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लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायतों के भी हो चुनाव; एक राष्ट्र एक चुनाव पर कमेटी की बड़ी बातें

एक देश-एक चुनाव को लेकर गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय कमेटी ने देश में लोकसभा विधानसभा नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ करने की सिफारिश की है। कोविन्द ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कमेटी के सभी सदस्यों के साथ जाकर 18626 पृष्ठों की अपनी विस्तृत रिपोर्ट गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी है।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 14 Mar 2024 10:00 PM (IST)
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पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने सौंपी रिपोर्ट (फोटो: @rashtrapatibhvn)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। One Nation One Election: एक देश-एक चुनाव को लेकर गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय कमेटी ने देश में लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ करने की सिफारिश की है। कमेटी ने गठन के 191 दिनों के भीतर देश में चुनावों को एक साथ कराए जाने को लेकर दी गई अपनी सिफारिश में इसे दो चरणों में पूरा करने का सुझाव किया है।

  • पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है
  • जबकि दूसरे चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के सौ दिनों के भीतर ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया है।

राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट

कोविन्द ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कमेटी के सभी सदस्यों के साथ जाकर 18,626 पृष्ठों की अपनी विस्तृत रिपोर्ट गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी है। कमेटी ने इसके साथ ही त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या फिर ऐसी किसी स्थिति में नए सदन के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराने की तो सिफारिश की है, लेकिन ऐसी स्थिति में नई लोकसभा का कार्यकाल बची अवधि के लिए ही होगा। यानी चुनाव के बाद गठित सरकार यदि एक साल के बाद किसी कारण से गिर जाए और दूसरा कोई दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, तो नए सिरे से चुनाव हो सकते हैं। लेकिन इस दौरान नए सदन का गठन बाकी बचे चार सालों के लिए ही होगा।

  • मौजूदा व्यवस्था में बीच में चुनाव की नौबत आने के बाद फिर सदन का कार्यकाल पांच वर्षों का हो जाता है। इसके चलते ही आजादी के बाद लोकसभा और विधानसभाओं के साथ शुरू हुए चुनाव आज अलग- अलग सालों में हो रहे है।
  • कमेटी ने लोकसभा की तरह विधानसभाओं के गठन को लेकर भी अपनी सिफारिश की दी है, जिसमें त्रिशंकु या फिर अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति में नए चुनाव हो सकते हैं, लेकिन नई विधानसभा का कार्यकाल यदि वह भंग नहीं होती है, तो लोकसभा के कार्यकाल के अंत तक जारी रहेगी। कमेटी ने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 83 ( संसद की अवधि) और अनुच्छेद 171 ( राज्य विधानसभा की अवधि) में जरूरी संशोधनों की भी सिफारिश की है।
  • कमेटी ने इसके साथ ही मतदाताओं की पहचान के लिए देश में एक वोटर लिस्ट बनाने की भी सिफारिश की है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 325 में जरूरी संशोधन करने का कहा है। इस दौरान भारत निर्वाचन आयोग व राज्य निर्वाचन आयोगों के परामर्श से एक मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र तैयार किया जाए। कमेटी ने इसके लिए राज्यों के समर्थन की जरूरत बतायी है।

कमेटी में कौन-कौन हैं शामिल?

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अगुवाई वाली इस उच्च स्तरीय कमेटी में वैसे तो सात सदस्य थे, लेकिन अधीर रंजन के इस्तीफे के बाद कमेटी में छह सदस्य रह गए थे। इनमें गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे।

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वहीं, कमेटी में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल किया गया था। कमेटी के सचिव डॉ नितेन चन्द्र थे। गौरतलब है कि इस कमेटी का गठन दो सितंबर 2023 को किया गया था।

47 राजनीतिक दलों से ली गई राय

कोविन्द कमेटी ने एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर देश की 47 राजनीतिक दलों से परामर्श किया। जिसमें से 32 दलों ने लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचाचत चुनावों को एक साथ कराने का समर्थन किया। वहीं, विरोध करने वाले प्रमुख दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस और सपा शामिल है।

इसके साथ ही कमेटी ने देश भर के नागरिकों से भी इस मुद्दे पर सुझाव लिए थे। इस दौरान कमेटी को कुल 21,588 सुझाव मिले थे, जिसमें 80 फीसद लोगों ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया है। कमेटी ने इसके साथ ही देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों, आठ राज्यों के निर्वाचन आयुक्तों और विधि आयोग के अध्यक्ष के साथ व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर बातचीत की।

इन पहलों से मजबूत होगा लोकतंत्र: कमेटी

आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि इन सिफारिशों से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। साथ ही मतदाताओं के बीच पारदर्शिता आएगी। देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति लोगों का विश्वास और मजबूत होगा। भारत की आकांक्षाओं को भी यह सकार करेगा।

कमेटी ने किन हितधारकों के साथ किया परामर्श

हितधारक संख्या
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश 4
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश 1
हाई कोर्टों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश 12
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त 4
राज्य निर्वाचन आयुक्त 8
बार काउंसिल ऑफ इंडिया 1
व्यवसायिक संगठन 3
राजनीतिक दल 47
अर्थशास्त्री 14
विधि आयोग 2
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इन देशों की चुनावी प्रक्रिया का किया अध्ययन

दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में एक साथ होने वाले चुनावों से जुड़ी पूरी प्रक्रिया का अध्ययन किया। समिति का माना था कि देश की राजनीतिक विशेषताओं को देखते हुए एक समुचित समकालिक चुनाव मॉडल विकसित करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।