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2015 से पहले आने वाले गैर-मुस्लिमों को फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में नहीं भेजेगा असम, करना होगा नागरिकता के लिए आवेदन

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि 2015 से पहले असम में आने वाले लोगों को सबसे पहले सीएए के तहत नागरिकता का आवेदन करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो संबंधित लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। बता दें कि अब तक असम में आठ लोगों ने नागरिकता का आवेदन किया है। सिर्फ दो लोग ही इंटरव्यू देने पहुंचे हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 15 Jul 2024 10:29 PM (IST)
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा। (फाइल फोटो)
पीटीआई, गुवाहाटी। असम सरकार ने अपनी सीमा पुलिस इकाई से कहा है कि वह 2015 से पहले राज्य में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों के मामलों को फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में न भेजें। उन्हें सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने की सलाह दें।

विशेष पुलिस महानिदेशक (सीमा) को लिखे एक पत्र में, गृह और राजनीतिक सचिव पार्थ प्रतिम मजूमदार ने सीएए का उल्लेख करते हुए कहा कि वे सभी गैर-मुस्लिम अप्रवासी, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके हैं, भारतीय नागरिकता दिए जाने के पात्र हैं।

नागरिकता पोर्टल पर आवेदन की दी जाए सलाह

पांच जुलाई को जारी पत्र में असम पुलिस की सीमा शाखा से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदायों के व्यक्तियों के मामलों को सीधे फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल को नहीं भेजने के लिए कहा गया है। मजूमदार ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों को भारत सरकार द्वारा उनके आवेदन पर विचार करने के लिए नागरिकता पोर्टल पर आवेदन करने की सलाह दी जानी चाहिए।

सिर्फ आठ लोगों ने किया नागरिकता के लिए आवेदन 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को कहा कि राज्य में सिर्फ आठ लोगों ने सीएए के तहत आवेदन किया है और केवल दो लोग ही संबंधित अधिकारी के पास साक्षात्कार के लिए आए हैं। गुवाहाटी के लोक सेवा भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी व्यक्ति साल 2015 से पहले भारत आया है, उसे नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे सीएए के तहत आवेदन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और 2015 के बाद आए लोगों को राज्य से निर्वासित करेंगे।

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कई हिंदू बंगाली परिवारों से संपर्क किया

मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि हमने बराक घाटी में कार्यक्रम आयोजित किए और कई हिंदू बंगाली परिवारों से संपर्क किया और उन्हें सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने को कहा भी था। हालांकि, उन्होंने ऐसा करने से इन्कार कर दिया कि वे विदेशी ट्रिब्यूनल में अपने मामलों से लड़ना पसंद करेंगे।

ये लोग कर सकते हैं आवेदन

गौरतलब है कि संसद से पारित होने के चार साल बाद इस साल 11 मार्च को केंद्र सरकार ने नियमों को सूचित करके नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) को लागू किया। जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज के आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे और पांच साल तक यहां रहे।

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