'दुष्कर्म पीड़िताओं की जांच केवल महिला डॉक्टर करें', कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र से BNSS में संशोधन करने का किया आग्रह
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 184 में संशोधन करने का आग्रह किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुष्कर्म पीड़ितों की जांच केवल महिला चिकित्सकों द्वारा की जाए ताकि उनकी निजता के अधिकार की रक्षा हो सके। न्यायमूर्ति एम जी उमा की पीठ ने केन्द्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 184 में संशोधन का आग्रह किया है। कोर्ट का आग्रह यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि दुष्कर्म पीड़िताओं की जांच केवल महिला डॉक्टरों द्वारा की जाए। इससे उनके निजता के अधिकार की रक्षा हो सकेगी।
हाईकोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश
हाईकोर्ट की एकल पीठ की जस्टिस एमजी उमा ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जब तक संशोधन नहीं हो जाता, दुष्कर्म पीड़िताओं की चिकित्सा जांच पंजीकृत महिला चिकित्सक द्वारा या उसकी देखरेख में की जाए। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों, अभियोजकों, डॉक्टरों, चिकित्सा कर्मियों और न्यायिक अधिकारियों सहित हितधारकों को दुष्कर्म पीड़िताओं से संवेदनशीलता के साथ निपटने के महत्व के बारे में शिक्षित और संवेदनशील बनाने का भी निर्देश दिया।
'पीड़िताओं को निजता का है अधिकार'
कोर्ट ने यह निर्देश दुष्कर्म और हत्या के प्रयास के आरोपित अजय कुमार भेरा की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिया है। जस्टिस उमा ने कहा कि सुबूतों से पता चलता है कि भेरा अपराध के लिए जिम्मेदार था और अपराध की गंभीर प्रकृति के कारण उसकी जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया।कोर्ट ने इस बात का उल्लेख किया कि एक पुरुष चिकित्सा अधिकारी ने पीड़िता की चिकित्सा जांच की थी, जो बिना कोई स्पष्टीकरण या राय दिए लगभग छह घंटे तक चली। पीड़िता के अनुकूल जांच की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िताओं को निजता का अधिकार है, जिसका पुलिस और चिकित्सा कर्मियों द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए।