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Operation Diamond: जब लेडी एजेंट के जरिए चुरा लिया था मिग-21 फाइटर जेट, 'मोसाद' का सबसे खतरनाक ऑपरेशन

Operation Diamond 1960 के दशक में रूस विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा था इसी दौरान उसने मिग-19 को अपग्रेड कर मिग-21 बनाने की सोची। इसके बाद रूस ने मिग-21 बनाया और अपने मित्र देश मिस्र लेबनान और इराक को इसे दे दिया। मिग 21 पाकर ये सभी देश इजरायल को हड़काने लगे जिसके बाद इजरायल ने मिग-21 चुराने के लिए ऑपरेशन डायमंड लॉन्च किया।

By Mahen Khanna Edited By: Mahen Khanna Updated: Fri, 23 Feb 2024 12:46 PM (IST)
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Operation Diamond जब रूस का फाइटर जेट हो गया था चोरी।

जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। What is Operation Diamond फिल्मों में तो आपने विमान चोरी की घटना देखी होगी, लेकिन असल जिंदगी में भी एक ऐसी घटना हुई, जब एक देश ने दूसरे देश का फाइटर प्लेन ही चोरी कर लिया। ये घटना रूस के फाइटर प्लेन मिग-21 की चोरी से संबंधित है। 

दरअसल, 1960 के दशक के दौरान रूस विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा था, इसी दौरान उसने मिग-19 को अपग्रेड कर मिग-21 बनाने की सोची। इसके बाद रूस ने मिग-21 बनाया और अपने मित्र देश मिस्र, लेबनान और इराक को इसे दे दिया। मिग 21 पाकर ये सभी देश इजरायल को हड़काने लगे, जिसके बाद इजरायल ने मिग-21 चुराने की ठान ली।

मोसाद का सबसे खतरनाक मिशन 'ऑपरेशन डायमंड'

  • इजरायल के इस मिशन को ऑपरेशन डायमंड भी कहा जाता है। ये इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का सबसे खतरनाक मिशन माना जाता है।
  • इस मिशन की शुरुआत 25 मार्च 1963 को उस समय हुई जब इजरायली एजेंसी मोसाद के नए चीफ मीर एमिट मोसाद बनाये गए। 
  • अपना पद संभालते ही मीर एक्टिव मोड में आ गए और उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में अधिकारियों से पूछा गया कि क्या ऐसे किया जा सकता है, जिससे देश को फायदा हो।
  • इसके जवाब में सभी ने कहा कि वो बस मिग-21 को रूस से इजरायल ले आएं। हालांकि, मीर ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। 
  • इसके बाद इजरायल के नए वायुसेना अध्यक्ष एजेर वाइस मैन ने भी मीर से मिग-21 मांगा। यहां से इजरायल के ऑपरेशन डॉयमंद की शुरुआत हुई। 

कोल्ड वार से उठी मांग

1960 के दशक में शीत युद्ध में वृद्धि हो रही थी और क्षेत्रीय तनाव चरम पर था। इस बीच मिग-21 अपनी सुपरसोनिक गति और उन्नत हथियारों के साथ सोवियत-गठबंधन के दुश्मन देशों की वायु सेनाओं को निशाना बना रहा था। इजराइल, जो अपने पड़ोसियों के साथ जंग में घिरा हुआ था, उसने मिग के रहस्यों को जानने को जानने की ठान ली थी।

दो बार फेल हुआ प्रयास

दरअसल, अपनी चतुराई के लिए जाने जाने वाली इजरायली एजेंसी मोसाद ने सबसे पहले मिस्र को मिले रूसी मिग-21 को चुराने का प्रयास किया। हालांकि, ये प्रयास गलत साबित हुआ और मोसाद एजेंट पकड़े गए और उन्हें मार डाला गया। इसके बाद एजेंसी ने अपना ध्यान इराक पर केंद्रित किया, वहां के दो पायलटों को ये करने के लिए मना भी लिया गया, लेकिन वो अंत में मुकर गए और दो बार मिशन फेल हुआ।

लेडी एजेंट की बातों में फंसा इराकी पायलट

इसके बाद इराक को मिले मिग-21 फाइटर जेट को चुराने का प्लान बनाया गया। इस बार मोसाद की एक लेडी जासूस ने मुनीर रेड्फा नाम के इराकी पायलट को अपनी बातों में फंसा लिया। मुनीर रेड्फा ईसाई धर्म का था और इराक में उसे प्रमोशन नहीं मिल रहा था। इसी कारण वो काफी परेशान भी था, जिसका फायदा मोसाद ने उठाया। 

दरअसल, लेडी एजेंट ने मुनीर रेड्फा को 10 लाख डॉलर की मदद, सरकारी नौकरी और परिवार समेत इजरायल में बसाने का भरोसा दिया, जिसे मुनीर मान गया। 

1966 में सफल हुआ 'ऑपरेशन डायमंड'

अंत में वो दिन 16 अगस्त 1966 आया, जब रेड्फा ने एक नियमित प्रशिक्षण मिशन की आड़ में इराकी एयरबेस से उड़ान भरी और मिग-21 को इजरायली एयरबेस में लैंड करा दिया। मिग-21 के इजरायल आते ही रूस से अमेरिका तक खुफिया समुदाय में हड़कंप मच गया।

'ऑपरेशन डायमंड' से इजरायल को डबल फायदा

मिग-21 को चोरी करने से इजरायल को डबल फायदा हुआ था। पहला, उस समय इजरायल मिस्र, लेबनान और इराक की हेकड़ी झेलता था, लेकिन मिग-21 मिलने के बाद इजरायल की ताकत बढ़ गई। वहीं दूसरा ये था कि मिग 21 मिलने के बाद इजरायली और अमेरिकी विशेषज्ञों ने सावधानीपूर्वक विमान का विच्छेदन किया और इसकी तकनीक के हर पहलू को जांचा। इससे दोनों को भविष्य में हवाई लड़ाई में काफी फायदा हुआ।