'10 सालों से सरकार हर दिन मना रही संविधान हत्या दिवस', केंद्र पर भड़का विपक्ष
भाजपा एक बार फिर विपक्ष के अभियान संविधान बचाओ को लेकर आक्रामक हुई है। केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित कर दिया है। इसके लिए बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। वहीं विपक्ष भी केंद्र के इस फैसले से शुक्रवार को आगबबूला हो गया। अनुमान है कि इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संविधान पर छिड़ी जंग फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को सरकार की ओर से 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने के फैसले के बाद यह और तेज हो गई है। सरकार के इस फैसले पर आगबबूला विपक्ष ने जहां सरकार पर तीखा पलटवार किया है।
सरकार के फैसले पर विपक्ष का पलटवार
वहीं, मौजूदा घटनाक्रम से साफ हो गया है कि यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। वैसे भी 22 जुलाई से संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है, जहां इस मुद्दे पर बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है। खास बात यह है कि इंदिरा गांधी ने 25 जून को 1975 को देश में आपातकाल लगाया था।
इस बीच सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा है कि पिछले दस सालों में इस सरकार ने हर दिन संविधान हत्या दिवस ही तो मनाया है। आपने देश के हर गरीब व वंचित तबके से हर पल उसका आत्म सम्मान छीना है।
उन्होंने इस दौरान मध्य प्रदेश में आदिवासियों के अपमान, हाथरस में दलित बेटी के जबरिया अंतिम संस्कार जैसे मुद्दे गिनाए और पूछा कि क्या यह संविधान की हत्या नहीं हुई तो और क्या है? इस सरकार के मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती है।
विपक्ष ने सरकार पर लगाया आरोप
उन्होंने आगे कहा कि ईडी व सीबीआई का जिस तरीके से 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं पर इस्तेमाल किया गया, वह संविधान की हत्या नहीं है तो क्या है। उन्होंने संविधान जैसे पवित्र शब्द के साथ हत्या जैसे शब्द के इस्तेमाल को बाबा साहब का अपमान बताया। सरकार पर कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद जयराम रमेश भी हमलावर दिखे।
उन्होंने कहा कि अब हर साल आठ नवंबर को भारत के लोग आजीविका हत्या दिवस के रूप में मनाएंगे। इसका गजट नोटिफिकेशन भी जल्द ही जारी होगा। आठ नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी का एलान किया था। सरकार के इस फैसले पर ममता बनर्जी और अखिलेश यादव भी आक्रामक दिखे। ममता बनर्जी ने कहा कि वह आपातकाल को समर्थन तो नहीं करती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा आपातकाल की स्थिति इस सरकार में देखने को मिल रही है। ये सरकार को क्रिमिनल ला लेकर आयी है, उसे तो समझा ही नहीं जा सकता है।
ममता बनर्जी और अखिलेश ने भी घेरा
वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि एक्स पर एक लंबा पोस्ट कर दिया है और कहा है कि बीजेपी बताए कि वह अपने काले दिनों के लिए कौन-कौन सी तारीख को चुनेगी। उन्होंने कहा कि '30 जनवरी को 'बापू हत्या दिवस' या फिर 'लोकतंत्र हत्या दिवस' के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।