मनरेगा पर सरकार के खिलाफ एकजुट विपक्ष
मनरेगा को लेकर सरकार संसद में घिरी नजर आई। एकजुट विपक्ष ने भाजपा मुख्यमंत्रियों का हवाला देते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र मनरेगा के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दे रही है। वहीं सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने मनरेगा के फंड को स्थानीय सांसदों की निधि से भी जोड़ने
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 07 May 2015 07:54 PM (IST)
नई दिल्ली। मनरेगा को लेकर सरकार संसद में घिरी नजर आई। एकजुट विपक्ष ने भाजपा मुख्यमंत्रियों का हवाला देते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र मनरेगा के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दे रही है। वहीं सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने मनरेगा के फंड को स्थानीय सांसदों की निधि से भी जोड़ने की मांग कर दी। सरकार ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि पैसे में कोई कोताही नहीं होगी लेकिन लोकसभा में प्रश्नकाल का आधे से ज्यादा समय शोर शराबे में ही डूबा रहा।
मनरेगा शुरू से सवालों में रहा है। विवाद यहां तक रहा कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए कह चुके हैं कि कांग्रेस काल की विफलता के स्मारक(मनरेगा) को वह जीवित रखेंगे ताकि लोग देख सकें कि साठ साल में गरीबों के साथ क्या हुआ है। गुरुवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष फिर से आक्रामक था। हालांकि ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने बताया कि अप्रैल में ही इस मद में 13 हजार करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। लेकिन अधिकतर सांसदों का आरोप था कि राज्यों को समय पर फंड नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा के मुख्यमंत्री के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने केंद्र से शिकायत की कि समय पर पैसा न देने और फंड में कटौती से मजदूरों के पैसे अटके हुए हैं। सरकार के उत्तर से असंतुष्ट पूरा विपक्ष सदन के वेल में उतर आया। लगभग आधे घंटे तक यही माहौल रहा और इस बीच कुछ देर के लिए कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी। इस बीच मुलायम सिंह ने अनूठी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि मनरेगा फंड को सांसद निधि से जोड़ दिया जाना चाहिए ताकि स्थानीय सांसद जवाबदेही के साथ उसका क्रियान्वयन कर सकें। इसके लिए केंद्र जो चाहे शर्त लगा सकता है। यह और बात है कि उनकी इस मांग के समर्थन में कोई नहीं दिखा।