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Israel-Hamas War: इजरायल-हमास युद्ध को लेकर विपक्ष ने भारत सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, पढ़ें किसने क्या कहा

संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन की ओर से एक मसौदा पेश कर इजरायल और हमास आतंकियों के बीच तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था जिसमें भारत किसी भी पक्ष के साथ नजर नहीं आया। भारत सरकार के इस कदम पर विपक्षी पार्टियों ने जमकर आलोचना की है ।

By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 28 Oct 2023 04:44 PM (IST)
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इजरायल हमास युद्ध को लेकर विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल और हमास के बीच संघर्ष का आज 22 वां दिन है। इस युद्ध में दोनों तरफ से अब तक आठ हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन की ओर से एक मसौदा पेश कर इजरायल और हमास आतंकियों के बीच तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था। हालांकि, भारत ने इस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया। भारत के मतदान से दूरी बनाए जाने के बाद विपक्षी दलों ने भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाया है।

प्रियंका गांधी ने सरकार की मंशा पर उठाया सवाल 

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए महात्मा गांधी का एक कथन पोस्ट किया, जिसमें राष्ट्रपिता ने कहा था आंख के बदले आंख का सिद्धांत पूरी दुनिया को अंधा कर देगा। उन्होंने कहा कि मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र में होने वाले  मतदान में भाग लेने से परहेज किया है।

मानवता के हर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फलस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, ऐसे में स्टैंड लेने से इनकार करना और चुपचाप देखते रहना साफ-तौर पर गलत है, जिसके लिए एक राष्ट्र के रूप में हमारा देश हमेशा खड़ा रहा है।- प्रियंका गांधी

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NCP प्रमुख शरद पवार ने क्या कहा?

वहीं, इस मामले पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इस समय भ्रम में है। उन्होंने कहा कि भारत की नीति फलस्तीन का समर्थन करने की थी, इजरायल का नहीं।

इजरायल- फलस्तीन मुद्दे पर भारत सरकार भ्रम की स्थिति में है। भारत की नीति हमेशा से फलस्तीन का समर्थन करने की थी, इजरायल का नहीं। इजरायल में हजारों लोग मर रहे हैं और भारत ने कभी भी इसका समर्थन नहीं किया। यह सब देखकर लगता है कि वर्तमान सरकार भ्रम की स्थिति में है।

भारत सरकार पर बरसे ओवैसी

जॉर्डन की ओर से लाए गए तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान करने वाले मसौदे पर वोटिंग में भाग नहीं लेने पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का मतदान में भाग नहीं लेना चौकाने वाला है। उन्होंने कहा कि इजरायल-हमास युद्ध के बाद से ही चीजें खराब हो गई हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह एक मानवीय मुद्दा है।

इजरायल ने गाजा में सात हजार से अधिक लोगों को मार दिया है, जिसमें  3000 से अधिक बच्चे और 1700 महिलाएं शामिल हैं। इजरायली हमसे में गाजा में करीब 45 प्रतिशत आवास नष्ट हो गए हैं। अब तक 14 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। शांतिकाल में भी गाजावासियों को पूरी तरह से नाकाबंदी का सामना करना पड़ रहा है। यह एक मानवीय मुद्दा है न की राजनीति। इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग में भाग न लेकर दक्षिण एशिया और ब्रिक्स में अकेला खड़ा है। भारत ने नागरिक जीवन से संबंधित मुद्दे पर खुद को अलग क्यों रखा? एक विश्व एक परिवार और विश्व गुरु का क्या हुआ? 

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प्रस्ताव के पक्ष में पड़े 120 वोट

संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट और विरोध में केवल 14 वोट पड़े। वहीं, भारत, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन समेत 45 देशों ने इस मतदान प्रक्रिया से खुद को बाहर रखा।

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