सेलेक्ट कमिटी के जरिए वक्फ बोर्ड विधेयक पर सरकार को थामने की होगी विपक्ष की कोशिश, सपा और वामदलों ने किया विरोध का एलान
सोमवार को विपक्षी नेताओं ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन पर कड़ा विरोध जताया और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर सामाजिक विभाजन पैदा करने और मुस्लिम अधिकारों को कमजोर करने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के साथ वामपंथी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने के अपने इरादे साफ कर दिए हैं। वहीं कांग्रेस सतर्कता के साथ निर्णय करेगी।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव करने के लिए लाए जाने वाले संशोधन विधेयक के खिलाफ शुरू हुई राजनीतिक लामबंदी के बीच विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन राजग सरकार के दो सहयोगी दलों जनतादल यूनाइटेड और तेलगुदेशम का इस मुद्दे पर रूख देखने के बाद अपनी अंतिम रणनीति तय करेगा।
समाजवादी पार्टी के साथ वामपंथी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने के अपने इरादे साफ कर दिए हैं। लेकिन कांग्रेस सतर्कता के साथ निर्णय करेगी। दरअसल उसे राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करनी है और वह नहीं चाहेगी कि उसके किसी फैसले से कोई ऐसा नैरेटिव तैयार हो जिसका नुकासन हो जाए। सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर चल रहे सियासी दांव-पेंच इस ओर इशारा कर रहे हैं कि वक्फ बोर्ड के मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए विपक्ष की ओर से विधेयक को संसद की सेलेक्ट कमिटी (प्रवर समिति) में भेजे जाने की मांग की जाएगी।
सदन में विधेयक का विरोध करने की अपील की
राजग सरकार की ओर से वर्तमान मानसून सत्र में ही वक्फ संशोधन विधेयक लाए जाने की तैयारी को देखते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई प्रमुख अल्पसंख्यक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। सरकार से वक्फ के मामले में छेड़छाड़ नहीं करने का अनुरोध करने के साथ इन संगठनों ने विपक्षी खेमे के दलों से सदन में विधेयक का विरोध करने की अपील की है। विपक्षी खेमे की अगुवाई कर रही कांग्रेस से मिल रहे संकेतों के अनुसार विधेयक का मसौदा सामने आने के बाद गुण-दोष के आधार पर पार्टी अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करेगी।'दोनों दलों के लिए अपने राज्य की सियासत भी महत्वपूर्ण'
सरकार सदन में विधेयक लाती है तो फिर इसके जटिल पहलुओं का अध्ययन करने के लिए इसे सेलेक्ट कमिटी में भेजे जाने की आइएनडीआइए गठबंधन की ओर से मांग की जाएगी क्योंकि सेलेक्ट कमिटी में आपत्तियों के निवारण की गुंजाइश रहेगी। कांग्रेस की निगाहें इस मामले में जदयू और टीडीपी पर भी लगी है जो राजग सरकार के बहुमत के कर्णधार हैं और इन दोनों दलों के लिए अपने राज्य की सियासत भी महत्वपूर्ण है।
वक्फ विधेयक पर अभी साझा दृष्टिकोण सामने नहीं
विपक्ष को उम्मीद है कि विधेयक को सेलेक्ट कमिटी में भेजे जाने की मांग उठेगी तो जदयू-टीडीपी भी इस पर हामी भर सकते हैं। आइएनडीआइए का वक्फ विधेयक पर अभी साझा दृष्टिकोण सामने नहीं आया है मगर समाजवादी पार्टी ने बेलाग-लपेट इसका विरोध करने की घोषणा की है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर अंकुश लगाने के केंद्र के कदम का विरोध करेगी। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम या मुस्लिम भाइयों के अधिकारों को छीनने के अलावा भाजपा के पास कोई काम नहीं है।सरकार को एकपक्षीय नजरिया नहीं अपनाना चाहिए
माकपा सांसद अमरा राम और आइयूएमएल के सांसद मोहम्मद बशीर ने विधेयक लाने की सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए इसका विरेाध करने की बात कही। झामुमो सांसद महुआ माझी ने विधेयक का सीधे विरोध तो नहीं किया मगर कहा कि सरकार को एकपक्षीय नजरिया नहीं अपनाना चाहिए और दूसरे पक्ष की बातें भी सुननी चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के रूख का अभी इंतजार है मगर जाहिर तौर पर वह सरकार के खिलाफ रहेगा। सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन संबंधी विधेयक इसी सत्र में पेश किए जाने की तैयारी है। इस विधेयक में 40 से अधिक संशोधनों पर विचार किया जा रहा है जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को कम करना है।
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