प्रयागराज: बहरिया में तैयार किया गया मणिपुर के चखाओ प्रजाति का धान
शुगर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की ताकत प्रयागराज भी देगा। इसके लिए जैविक तरीके से मणिपुर के ‘चखाओ’ प्रजाति का ‘काला धान’ उगाया जा रहा है।
By Pooja SinghEdited By: Updated: Mon, 28 Oct 2019 10:39 AM (IST)
लखनऊ [गुरुदीप त्रिपाठी]। शुगर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की ताकत प्रयागराज भी देगा। इसके लिए जैविक तरीके से मणिपुर के ‘चखाओ’ प्रजाति का ‘काला धान’ उगाया जा रहा है। प्रयागराज के बहरिया स्थित मंसूरपुर गांव के प्रगतिशील किसान रवि प्रकाश मौर्य ने इसकी खेती शुरू की है। रवि प्रकाश बताते हैं कि वह छत्तीसगढ़ के बस्तर स्थित कोंडा गांव के डॉ. राजाराम त्रिपाठी के बारे में अक्सर पढ़ते थे, जो कि छत्तीसगढ़ में इसकी व्यापक स्तर पर खेती कर रहे हैं।
मूलरूप से प्रतापगढ़ के रहने वाले कृषि विशेषज्ञ डॉ. राजाराम को जैविक खेती में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘अर्थ हीरो’ और ‘राष्ट्रीय कृषि रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। उनसे प्रभावित होकर रवि ने उनसे संपर्क किया और मणिपुर के काला चावल की विशेषता जानी। पता चला कि इस चावल से न सिर्फ शुगर और कैंसर नियंत्रित होगा, बल्कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त भी है, क्योंकि यह एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। इससे किसानों की आय भी चार गुना बढ़ेगी। अब रवि ने बिना रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से अपने गांव के खेत में इसका उत्पादन किया है। बाजार में इसकी कीमत 500 रुपये किलो तक है। यह 140 दिन में तैयार हो जाता है।
अन्य किसानों को भी देंगे टिप्स
कुल आठ किलो बीज से 15 बिस्वा में इसकी खेती शुरू करने वाले रवि ने बताया कि जैविक खेती पर उनका पूरा जोर है। उन्होंने यह बीज श्रवस्ती के अभिषेक सिंह के जरिए मंगवाया। वह इसका बीज उसी किसान को देंगे जो यह शपथ लेगा कि वह अपने खेत में कभी कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करेगा। वह किसानों को जैविक खाद घर पर तैयार करने के भी टिप्स देंगे।
सामान्य धान से बड़े हैं पौधे
इस धान के पौधे सामान्य धान से काफी बड़े और मजबूत हैं। रवि के यहां उगाए गए इस धान में फिलहाल किसी रोग का प्रभाव नहीं दिखा है। यह पूवरेत्तर भारत के मणिपुर राज्य की एक विरली प्रजाति ‘चखाओ’ है। इसे ‘चक-हाओ’ भी कहते हैं।यह भी पढ़ें: दिवाली के बाद का हाल : दिल्ली में जहरीली हुई हवा, मुंबई में सांस लेना रहा आसान