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Padma Awards 2024: पद्म पुरस्कारों में दिखा सामाजिक न्याय, OBC, SC, ST... सभी वर्गों का रखा गया ध्यान

गुरुवार को घोषित पद्म पुरस्कार यूं तो उनकी उपलब्धियों के लिए दिए गए हैं लेकिन वहां सामाजिक न्याय भी देखने को मिला। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए जिन 132 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है उनमें 40 ओबीसी 11 अनुसूचित जाति और 15 अनुसूचित जनजाति से आते हैं। पुरस्कारों में अल्पसंख्यक वर्गों का भरपूर प्रतिनिधित्व देखने को मिला।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Fri, 26 Jan 2024 05:58 PM (IST)
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132 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार देने का एलान किया गया है। (फाइल फोटो)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। गुरुवार को घोषित पद्म पुरस्कार यूं तो उनकी उपलब्धियों के लिए दिए गए हैं लेकिन वहां सामाजिक न्याय भी देखने को मिला। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए जिन 132 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, उनमें 40 ओबीसी, 11 अनुसूचित जाति और 15 अनुसूचित जनजाति से आते हैं। पुरस्कारों में अल्पसंख्यक वर्गों का भरपूर प्रतिनिधित्व देखने को मिला।

सरकार ने सभी वर्गों का रखा ध्यान

पुरस्कार पाने वालों में नौ ईसाई, आठ मुस्लिम, पांच बौद्ध, तीन सिख, दो-दो जैन व पारसी और दो स्थानीय मूल धर्म से आते हैं। दो दिन पहले भारत रत्न से सम्मानित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़े वर्ग से आते हैं। दरअसल 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार पद्म पुरस्कारों को आम जन से जोड़ने की कोशिश करती रही है। इसके लिए समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले ऐसे अनजान लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता रहा है, जिन्होंने अथक परिश्रम और संकल्प से जमीन पर परिवर्तन लाया है।

इसका असर अब पद्म पुरस्कारों के लिए आने वाले नामांकनों में देखा जा सकता है। इस बार रिकार्ड 60 हजार नामांकन आए, जो 2014 की तुलना में 28 गुना अधिक है। ये पद्म पुरस्कारों के जनता का पुरस्कार बन जाने का प्रमाण है। 250 विशेषज्ञों के परामर्श और कई दौर के सलाह मशविरे के बाद 132 लोगों का चयन किया गया।

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पुरस्कृत होने वालों में 49 की उम्र 80 साल से अधिक

सामाजिक कामों में पूरा जीवन खपा देने वालों के योगदान को पद्म पुरस्कारों के माध्यम से पहचान मिली। 80 साल से अधिक उम्र के 49 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है। इनमें 31 की उम्र 85 साल से अधिक, 15 की उम्र 90 साल से अधिक और तीन की उम्र सौ साल से भी अधिक है। पद्म पुरस्कारों के माध्यम से उनके जीवन पर्यंत किये कार्यों को सम्मान मिला।

इस बार 10 ऐसे जिलों से पद्म पुरस्कारों के लिए चयन किया गया, जिनमें आजादी के बाद से अब तक किसी को भी पद्म पुरस्कार नहीं मिला था। इसी तरह से पद्म पुरस्कार पाने वाल 32 राज्यों के 89 जिलों से आते हैं। यही नहीं, बड़े-बड़े शहरों के बजाय छोटे-छोटे कस्बों और दूर-दराज के इलाकों में काम करने वालों भी पद्म पुरस्कारों की सूची में स्थान मिला है।

आधी आबादी के योगदान को सम्मान

पद्म पुरस्कारों में आधी आबादी के सामाजिक योगदानों को भी सम्मानित किया गया है। इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में 30 महिलाएं हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश फातिमा बीबी से लेकर पहली महिला महावत पार्वती बरुआ और पहली कथा वाचक उमा महेश्वरी शामिल हैं। इसी तरह से वैजयंती माला और पद्मा सुब्रह्मनयम को पद्म विभूषण और उषा उथप को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। महिलाओं को सम्मानित करने में जाति और वर्ग की अवरोध भी खत्म होते नजर आए।

मधुबनी (मिथिला) पेंटर शांति देवी पासवान और पर्यावरण के लिए काम करने वाली चामी मुर्मु के साथ ही बंगाल की राजबोंशी लोकगायिका गीता राय बर्मन, मेघालय की खासी लोकगायिका सिल्बी पस्साह और उत्तरप्रदेश की कजरी गायिका उर्मिला श्रीवास्तव को भी सम्मान मिला। पद्म पुरस्कार पाने वाली महिलाओं में परंपरागत बुनकर, संगीतकार, किसान, डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर बिजनेस लीडर तक शामिल हैं।

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राजनीतिक पक्षपात नहीं

सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वालों के योगदान को सम्मानित करने में राजनीतिक पक्षपात को दरकिनार करने की मोदी सरकार की रिवायत इस बार भी कायम रही। जनता पार्टी से जुड़े रहे पूर्व मुख्यमंत्री कर्पुरी ठाकुर को भारत रत्न देने के बाद कांग्रेस के चीरंजीवी को पद्म विभूषण तो डीएमडीके नेता कैप्टन विजयकांत को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

इसके पहले मोदी सरकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति को भारत रत्न से सम्मानित कर चुकी है। इसके अलावा शरद पवार, पीए संगमा, जार्ज फर्नांडिस, प्रकाश सिंह बादल, मुलायम सिंह यादव, एसएम कृष्णा, एससी जमीर, तरुण गोगोई, गुलाम नबी आजाद, मुजफ्फर हुसैन बेग, केशुभाई पटेल, बुद्धदेव भट्टाचार्य, सुखदेव सिंह ढिंढसा, राम विलास पासवान, सरदार त्रिलोचन सिंह टोकेहो सेमा, भवानी चरण पटनायक, मलजीभाई देसाई और एनसी डेबबर्मा को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।