Move to Jagran APP

मध्य प्रदेश : जिस भारत भवन के निर्माण में ईट-पत्थर ढोए, पद्मश्री पाकर वहीं मुख्य अतिथि बनेंगी भूरीबाई

भूरीबाई ने बताया कि 40 साल पहले भारत भवन से जुड़ना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निग पाइंट रहा। उन दिनों मुझे यह पता नहीं था कि यहां कोई कला केंद्र आकार लेने वाला है। मैं तो सिर्फ एक इमारत में काम करने आई थीं।

By Neel RajputEdited By: Updated: Fri, 12 Feb 2021 04:24 PM (IST)
Hero Image
देशभर में ख्याति प्राा बहुकला केंद्र भारत भवन का 39वां स्थापना दिवस आज
भोपाल [सुशील पांडेय]। यदि किसी के पास योग्यता हो और उसे प्रोत्साहित करने वाले मिल जाएं तो आम व्यक्ति भी शून्य से शिखर तक पहुंच सकता है। हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित हुई चित्रकार भूरीबाई इसका उदाहरण हैं। दरअसल, बहुकला केंद्र के रूप में प्रसिद्ध भोपाल स्थित भारत भवन के निर्माण के दौरान उन्होंने मजदूर के रूप में यहां ईट-पत्थर ढोए थे। उन्हें छह रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती थी। अब भूरीबाई प्रख्यात चित्रकार के रूप में स्थापना दिवस समारोह की मुख्य अतिथि होंगी। मशहूर कलाधर्मी और भारत भवन के पहले प्रमुख रहे जे. स्वामीनाथन ने उनकी कला को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ाया। इस मायने में 13 फरवरी को भारत भवन का 39वां स्थापना दिवस बेहद खास रहने वाला है।

भूरीबाई ने बताया कि 40 साल पहले भारत भवन से जुड़ना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निग पाइंट रहा। उन दिनों मुझे यह पता नहीं था कि यहां कोई कला केंद्र आकार लेने वाला है। मैं तो सिर्फ एक इमारत में काम करने आई थीं। यहां ईट-पत्थर ढोकर घर चलाना मेरा उद्देश्य था। यह बात अलग है कि काम करते-करते मैं यहां से जुड़ गई। जे. स्वामीनाथन ने मेरी प्रतिभा को पहचाना, मुझे मौका दिया, मेरी कला को निखारा और मंच उपलब्ध कराया। मुख्य अतिथि के रूप में इसके वर्षगांठ समारोह में शामिल होना मेरे लिए भावुक कर देने वाला क्षण होगा। गौरतलब है कि हाल ही में भूरीबाई को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।

1500 रुपये घर लेकर गई तो पति ने पूछा-कोई गलत काम तो नहीं किया?

भूरीबाई ने बताया कि एक दिन मैं कुछ महिलाओं के साथ खाना खा रही थी। जे. स्वामीनाथन आए और पूछा कि तुम्हारी संस्कृति की शादी के चित्र बना सकती हो? मैंने कहा कि बना तो देंगे, लेकिन मजदूरी का क्या होगा? तब उन्होंने कहा कि एक दिन के 150 रुपये दिए जाएंगे। मैंने 10 दिन काम किया और 1500 रुपये घर लेकर गई। इतने रुपये देखकर पति ने पूछा कि तुमने कोई गलत काम तो नहीं किया? झाबुआ जिले के एक गांव में बचपन में चित्रकारी सीखने वालीं भूरीबाई कहती हैं कि मैंने यह काम शुरू किया तो प्रोत्साहन मिलने के बजाय लांछन तक का सामना करना पड़ा। मैंने सभी के साथ समन्वय बनाया और चित्रकारी नहीं छोड़ी। परिवार और पति का ध्यान रखा। भोपाल में मजदूरी के साथ गांव में खेती भी करवाती रही। इसलिए खास है भारत-भवन श्यामला हिल्स पर बना भारत भवन एक विविध कला,सांस्कृतिक केंद्र एवं संग्रहालय है। इसमें कला दीर्घा, ललित कला संग्रह, इनडोर-आउटडोर ऑडिटोरियम, रिहर्सल रूम, भारतीय कविताओं का पुस्तकालय आदि कई चीजें शामिल हैं। यहां देश-विदेश के ख्यात कलाकारों को प्रस्तुति और प्रदर्शन करने का अवसर दिया जाता रहा है। 1

982 में स्थापित इस भवन को प्रसिद्ध वास्तुकार चा‌र्ल्स कोरिया ने डिजाइन किया था। भारत की विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केंद्र है। प्रसिद्ध चित्रकार एमएफ हुसैन, सैयद हैदर रजा, नाट्य निर्देशक हबीब तनवीर, बंसी कौल, अलखनंदन जैसे नामी कलाकार भारत भवन से जुड़े रहे हैं।