Pak Space Agency: '62 साल में लॉन्च किए केवल 5 सैटेलाइट', कहां खड़ी है पड़ोसी देश पाक की स्पेस एजेंसी?
ISRO VS Pak Space Agency चंद्रयान 3 के चांद पर सफल लैंडिंग के बाद से पाक की स्पेस एजेंसी का उनके ही नागरिक मजाक बना रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि यहां खाने के लाले पड़े हैं तो स्पेस में जाने की बात कौन करेगा। पाक स्पेस एजेंसी SUPARCO ने अपनी आखिरी सैटेलाइट 2018 में लॉन्च की थी। आखिर पाक एजेंसी इतनी पिछड़ क्यों गई आइए जानें।
By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Sat, 26 Aug 2023 03:12 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। ISRO VS Pak Space Agency भारत के मून मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) की सफलता की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। हर कोई चंद्रयान 3 की चांद पर सफल लैंडिंग की बात कर रहा है। जो अमेरिका, रूस और चीन नहीं कर सका, वो भारत ने कर दिखाया है। भारत के इस मिशन की चर्चा सबसे ज्यादा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में हो रही है।
पाक में भारत के इस मिशन को लेकर सब अपने देश की ही खिल्ली उड़ा रहे हैं। आम लोग हो या मीडिया सब पाकिस्तानी हुक्मरानो को कोसने में लगे हैं।
इस बीच एक सवाल सबसे ज्यादा उठ रहा है कि पाक में स्पेस एजेंसी की स्थापना भारत के इसरो से भी पहले हुई थी, लेकिन वो इसके मुकाबले कहीं खड़ी क्यों नहीं उतरी। आइए, जानें क्या है इसका कारण।
Pak में 1961 में स्पेस एजेंसी की हुई स्थापना
पाकिस्तान में स्पेस एजेंसी SUPARCO की स्थापना भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO VS Pak Space Agency) से भी पहले हुई थी। स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (SUPARCO) की स्थापना 16 सिंतबर 1961 में हुई थी, जबकि इसरो की स्थापना 1969 में हुई थी।
भारत से पहले लॉन्च किया था पहला रॉकेट
सुपारको ने इसरो से भी पहले 1962 में अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च किया था। इसके बाद इसरो ने धीरे-धीरे तरक्की की राह पकड़ ली और आगे ही बढ़ता गया। इसमें सबसे बड़ा कारण पाक सरकार की ओर से एजेंसी पर ध्यान न देना था।62 साल में सिर्फ 5 सैटेलाइट छोड़े
पाकिस्तान ने अपने 62 साल के अंतरिक्ष एजेंसी के इतिहास में केवल 5 सैटेलाइट ही छोड़ी हैं। सबसे पहली सैटेलाइट 19 जुलाई 1990 को छोड़ी थी, इसका नाम बद्र 1 रखा गया था। ये सैटेलाइट केवल 6 महीने ही काम कर सकी थी। इसके बाद दूसरी सैटेलाइट 10 दिसंबर 2001 को छोड़ी गई, जिसका नाम बद्र-बी रखा गया।तीसरी पाकात-1 को 11 अगस्त 2011 को चीन की मदद से छोड़ा गया था। चौथी सेलेलाइट आईक्यूब-1 को 21 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था। पाक ने अंतिम और पांचवी सैटेलाइट 9 जुलाई 2018 को चीन की मदद से ही लॉन्च की थी। इसके बाद पाक ने कोई लॉन्चिंग नहीं की है।Pak के लोग ही उड़ा रहे मजाक
पाकिस्तान की खस्ताहालत पर अब उनकी जनता ही खिल्ली उड़ाने लगी है। वहां का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में पड़ोसी मुल्क के नागरिकों का कहना है कि उनके मुल्क में रोटी खाने के तो लाले पड़े हैं, तो वो चांद पर पहुंचने का सपना कैसे देखे। लोगों का कहना है कि भारत ने तकनीकि रूप से काफी तरक्की की है और यहां कई आईटी कंपनियों ने भी इस कारण दिलचस्पी दिखाई है।क्यों खस्ताहाल हुई पाक एजेंसी
दरअसल, शुरुआत में पाक ने खुद को महाशक्ति बनाने की ठान रखी थी। यही कारण था कि वो अंतरिक्ष एजेंसी स्थापित कर रॉकेट लॉन्च करने में जुट गया। अमेरिका की मदद से पाक ने शुरुआत तो कर ली, लेकिन बाद में पड़ोसी मुल्क में अस्थिर सरकारों और सेना का तख्तापलट सब ले डूबा। पाक ने रही सही कसर अपना ज्यादातर पैसा सैन्य शक्ति बढ़ाने और मिसाइल परीक्षण पर लगाकर पूरी कर दी। आज भारत की स्पेस एजेंसी का फंड पाक से करीब 70 गुना ज्यादा है।पाक मीडिया ने ही खोली SUPARCO की पोल पट्टी
पाक मीडिया ने ही उनकी स्पेस एजेंसी SUPARCO की पोल पट्टी खोल दी है। SUPARCO क्यों विफल होती जा रही है, इसके पीछे वहां की व्यवस्था को बताया गया है।- पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाक की स्पेस अजेंसी के पिछड़ने का मुख्य कारण इसकी कमान रिटायर्ड सैन्य अधिकारी को देना है।
- डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर SUPARCO की कमान किसी एक्सपर्ट को दी जाए तो हालात में सुधार हो सकता है।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई दशकों के बाद भी पाक कोई बड़ा मिशन लॉन्च नहीं कर सका है।