तो Pak सेना ही थी 'मुजाहिदीन', 1948 से कारगिल तक... भारत से विश्वासघात पर Army Chief का कबूलनामा; पहले भी खुल चुकी पोल
Pakistan army chief on Kargil कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की भूमिका को पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकारा गया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने 6 सितंबर को रावलपिंडी में रक्षा दिवस के अवसर पर अपने संबोधन ने पहली बार सच कबूला। इतना ही नहीं पाकिस्तान कई बार पहले भी अपने झूठ से बेपर्दा हो चुका है। आइए जानें कब-कब पाकिस्तान का झूठ पकड़ा गया है।
जागरण डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। Pakistan army chief on Kargil पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने 1999 में भारत के साथ कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की भूमिका को पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने 6 सितंबर को रावलपिंडी में रक्षा दिवस के अवसर पर अपने संबोधन ने पहली बार सच कबूला।
इतना ही नहीं, पाकिस्तान कई बार पहले भी अपने झूठ से बेपर्दा हो चुका है। आइए, जानें कब-कब पाकिस्तान का झूठ पकड़ा गया है।
कारगिल ही नहीं, 1971 तक के विश्वासघात को स्वीकारा
पाकिस्तानी चैनल जियो टीवी द्वारा पोस्ट किए गए उनके संबोधन के वीडियो के अनुसार, पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने कहा, "पाकिस्तान एक साहसी और साहसी राष्ट्र है और स्वतंत्रता के महत्व और इसके लिए चुकाई जाने वाली कीमत को जानता है। चाहे वह 1948, 1965, 1971 (युद्ध), कारगिल युद्ध या सियाचिन संघर्ष हो, हजारों सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।"
कारगिल पर भारत की शानदार जीत
बता दें कि कारगिल युद्ध 60 दिनों से अधिक समय तक लड़ा गया था और 26 जुलाई 1999 को भारत की शानदार जीत के साथ समाप्त हुआ था। भारतीय सशस्त्र बलों ने सर्दियों के महीनों के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा विश्वासघाती तरीके से कब्जा किए गए उच्च चौकियों पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया।
Pak सेना ही थी 'मुजाहिदीन'
पाकिस्तानी सेना ने कभी भी सार्वजनिक रूप से कारगिल युद्ध में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार नहीं किया है तथा आधिकारिक तौर पर दावा किया है कि यह 'मुजाहिदीन' या स्वतंत्रता सेनानियों का काम था। अब पाक सेना प्रमुख के बयान के बाद ये साफ हो गया है कि ये मुजाहिदीन पाक सेना ही थी।
नवाज शरीफ ने भी कबूली थी गलती
पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने भी कारगिल युद्ध को लेकर अपनी गलती कबूलते हुए खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेई यहां आये और हमारे साथ समझौता किया, लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया जो हमारी गलती थी।
पुलवामा हमले पर पाकिस्तान की खुली थी पोल
पाकिस्तान की धरती को हमेशा से आतंक की फैक्ट्री कहा जाता है। पुलवामा हमले को लेकर हमेशा झूठ बोलने वाले पाक की सच्चाई भी वर्ष 2020 को बाहर आ गई थी। दरअसल, तब उसके ने ही पोल खोल दी थी। उस दौरान पाकिस्तान के मंत्री रहे फवाद चौधरी ने संसद में बयान दिया था कि पुलवामा में हुआ हमला पाकिस्तान की कामयाबी है।
चौधरी ने माना था कि पुलवामा में जो हमला हुआ था वो उस समय के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में किया गया था। चौधरी ने कहा था कि ये पूरे देश की कामयाबी है कि हमले भारत में घुसकर मारा।