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'ना' पाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाक, LoC पर 150 से ज्‍यादा स्‍नाइपर शूटर तैनात

पाक सेना ने उत्तरी कश्मीर में केरन सेक्टर से जम्मू में पलांवाला तक नियंत्रण रेखा पर 150 से ज्यादा आतंकियों को स्नाइपर शूटिंग के लिए तैनात किया है।

By Pratibha KumariEdited By: Updated: Thu, 22 Feb 2018 01:00 PM (IST)
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'ना' पाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा पाक, LoC पर 150 से ज्‍यादा स्‍नाइपर शूटर तैनात

श्रीनगर, नवीन नवाज। पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना पर बैट से हमला कराने वाले आतंकी संगठनों को आउटसोर्स करने के बाद अब स्नाइपर शूटरों की भूमिका भी आतंकियों को सौंप दी है। भारतीय जवानों को निशाना बनाने में कामयाब रहने पर जिहादी स्नाइपर को 50 हजार से एक लाख रुपए तक इनाम दिया जाता है।

पाक सेना ने उत्तरी कश्मीर में केरन सेक्टर से जम्मू में पलांवाला तक नियंत्रण रेखा पर 150 से ज्यादा आतंकियों को स्नाइपर शूटिंग के लिए तैनात किया है। पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पिछले एक साल के दौरान करीब 32 सैन्यकर्मी पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए हैं। इनमें लगभग डेढ़ दर्जन जवानों को पाकिस्तानी चौकियों में बैठे जिहादी स्नाइपर शूटरों ने ही निशाना बनाया है।

मंगलवार को तंगधार में शहीद हुए बीएसएफ कर्मी एसके मुरमु को भी स्नाइपर शूटर ने ही निशाना बनाया था। खुफिया सूचनाओं के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने अल-बदर, जैश और लश्कर से जुड़े आतंकियों को ही मुख्य रूप से स्नाइपर शूटर के तौर पर भर्ती किया है। हिज्ब, जमायत--उल--मुजाहिदीन, हरकत और तहरीक उल मुजाहिदीन के भी लगभग दो दर्जन आतंकियों को स्नाइपर शूटिंग की ट्रेनिंग दी गई है।

हर कोई नहीं बनता स्नाइपर शूटर
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में चलने वाले आतंकी ट्रेनिंग कैंपों में अक्सर पाकिस्तानी सेना के इंस्ट्रक्टर जिहादी तत्वों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देते हैं। यही इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग कर रहे जिहादी तत्वों में से कुछ को स्नाइपर शूटर बनाने के लिए चिन्हित करते हैं। उसके बाद उन्हें जिहादी कैंप से सीधे सेना के ट्रेनिंग सेंटर में विशेष ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। दस में से एक ही जिहादी को इस ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है।

पाक सेना तय करती है टारगेट
उपलब्ध सूचनाओं के मुताबिक, स्नाइपर शूटरों के लिए पाकिस्तानी सेना ही टारगेट तय करती है। टारगेट तय करने के बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकी संगठन के सरगना को स्नाइपर शूटर भेजने के लिए कहा जाता है। यह स्नाइपर शूटर अकेला नहीं होता बल्कि उसके साथ एक या दो और शूटर आते हैं। यह टारगेट को निशाना बनाने के बाद अपने शिविर में लौट जाते हैं। उन्हें टारगेट को निशाना बनाने के लिए दो से चार दिन तक पाकिस्तानी सेना की अग्रिम चौकियों पर तैनात रहना पड़ता है।

रैंक के हिसाब से मिलता है इनाम
स्नाइपर शूटर बनकर पाकिस्तानी सेना की मदद करने वाले जिहादी तत्व अगर अपने मंसूबे में कामयाब होते हैं और उनकी गोली से कोई भारतीय जवान शहीद होता है तो शहीदों की संख्या व रैंक के हिसाब से ही उन्हें नकद इनाम दिया जाता है। यह राशि 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक होती है। अगर कोई भारतीय जवान सिर्फ जख्मी होता है तो यह राशि पांच से दस हजार तक सीमित रहती है।

अमेरिका, इंग्लैंड में बनी राइफलों का हो रहा इस्तेमाल
स्नाइपर शूटिंग के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा ऑस्टि्रया, अमेरिका और इंग्लैंड में बनी अत्याधुनिक राइफलें प्रदान की जाती हैं। इंग्लैंड में निर्मित 50/12.7 एमएम कैलिबर की स्नाइपर राइफल की मारक क्षमता लगभग दो किलोमीटर है और यह काफी हल्की है। इसकी लंबाई करीब 60 इंच है। जब इसका बट फोल्ड किया जाता है तो यह 48 इंच में सिमट जाती है। इसके अलावा वह ऑस्ट्रिया में बनी स्टेयर एसएसजी .22 राइफल भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बटन के सुराख को भी सटीक निशाना बना सकती है।

भारतीय सेना के पास है रूस में बनी स्नाइपर राइफल
भारतीय सेना के पास भी स्नाइपर शूटर हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर नियंत्रण रेखा पर महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात हैं। यह रूस में 1960 में बनी द्रगनोव राइफल ही मुख्य तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यह अपेक्षाकृत काफी भारी और 800 मीटर तक ही सटीक मार करने में समर्थ है। 2012 में भारतीय सेना ने इस राइफल के विकल्प तलाशना शुरू किए थे। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है।