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आतंकी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध करा रहा था पाकिस्तान का राजनयिक मिशन, एनआइए ने सुबूतों के साथ कही बात

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एनआइए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने टेरर फंडिंग के मामले में पकड़े गए कश्मीरी अलगाववादियों आतंकियों और कारोबारियों से संबंधित मामले की 16 मार्च को सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए कहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Sat, 19 Mar 2022 10:40 PM (IST)
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एनआइए कोर्ट ने हाफिज सईद, सलाहुद्दीन, यासीन मलिक समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ आरोप तय करने को कहा
नई दिल्ली, एजेंसी। पाकिस्तान का राजनयिक मिशन जम्मू-कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों को समर्थन देने के साथ-साथ धन भी उपलब्ध करा रहा था। कुपवाड़ा के लंगेट के पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद भी अलगाववादियों की तरह ही आम कश्मीरियों को भारत सरकार के खिलाफ उकसाने में लगे थे। यह बात राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने टेरर फंडिंग के सिलसिले में पकड़े गए कश्मीरी अलगाववादियों, आतंकियों और कारोबारियों के खिलाफ अपने आरोपपत्र में सुबूतों के साथ कही हैं।

इसी आरोपपत्र का संज्ञान लेते हुए एनआइए की दिल्ली स्थित विशेष अदालत ने लश्कर-ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख कमांडर मोहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सलाहुद्दीन, जेकेएलएफ के चीफ कमांडर यासीन मलिक और हुर्रियत नेता शब्बीर शाह व मसर्रत आलम समेत करीब एक दर्जन लोगों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, राष्ट्रद्रोह अधिनियम के तहत आरोप तय करने को कहा है।

अदालत ने इंजीनियर रशीद और कारोबारी जहूर अहमद के साथ आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट उर्फ पीर सैफुल्ला के खिलाफ भी आरोप तय करने के लिए कहा है। हाफिज सईद और सलाहुद्दीन दोनों ही इस समय पाकिस्तान में हैं।

कश्मीर को भारत से अलग करने के मकसद पर कर रहे थे काम

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एनआइए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने टेरर फंडिंग के मामले में पकड़े गए कश्मीरी अलगाववादियों, आतंकियों और कारोबारियों से संबंधित मामले की 16 मार्च को सुनवाई करते हुए उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि गवाहों के बयानों और आरोपितों के खिलाफ उपलब्ध साक्ष्य लगभग सभी आरोपितों को एक दूसरे के साथ जोड़ते हुए बताते हैं कि ये सभी कश्मीर को भारत से अलग करने के मकसद पर काम कर रहे थे। इसके लिए पाकिस्तान के दिशा निर्देश और फंडिंग के जरिये आतंकी और आतंकी संगठनों से भी जुड़े हुए थे।

आरोपपत्र पर बहस के दौरान किसी भी आरोपित ने अपनी अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा से इन्कार नहीं किया है। उन्होंने इससे भी इन्कार नहीं किया कि वह जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने की पैरवी करते हैं।

गवाहों ने बताया है कि हुर्रियत में विभाजन के बाद इसके विभिन्न गुट और ज्वाइंट रजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने के मकसद पर काम कर रहे थे। आरोपित शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह वटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे सभी हुर्रियत कांफ्रेंस व जेआरएल से जुड़े हुए थे। एक गवाह ने पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद के जहूर अहमद शाह वटाली से संबधों की पुष्टि की है। जहूर अहमद शाह वटाली का हुर्रियत कांफ्रेंस और पाकिस्तान की सरकार व एजेंसियों के साथ भी घनिष्ठ संबंध रहा है।

पाकिस्तान का राजनयिक मिशन भी शामिल

एनआइए कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान और इसकी एजेंसियां ही नहीं इसका राजनयिक मिशन भी आतंकियों और अलगाववादियों के लिए पैसा पहुंचाने का काम करता रहा है। इसके अलावा आतंकियों के लिए पैसा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी घोषित हाफिज सईद ने भी भेजा है।

हिसा फैलाने में इस्तेमाल हुई धनराशि

एनआइए ने अपने आरोपत्र में बताया है कि लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और जैश जैसे आतंकी संगठन वादी में आम नागरिकों व सुरक्षाबलों पर हमले कर आतंक फैला रहे हैं। एनआइए ने अदालत को बताया है कि हुर्रियत कांफ्रेंस का गठन जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक मंच प्रदान करने के लिए 1993 में हुआ था। एनआइए ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को एक पक्की सूचना मिली थी कि जमातुल दावा का आमीर हाफिज मोहम्मद सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न नेता हिजबुल मुजाहिदीन व लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के साथ मिलकर देश विदेश में पैसा जुटा रहे हैं। यह पैसा जम्मू कश्मीर में आतंकी हिसा और जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की साजिश पर खर्च किया गया है। इस सूचना के आधार पर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने एनआइए को एक मामला दर्ज करने के लिए कहा। इसके आधार पर मौजूदा मामला आइपीसी की धारा 120बी,121, 121ए और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम की धारा 13,16,17,18,20, 38, 39 और 40 के तहत दर्ज किया गया।

युवाओं को हड़ताल करने के लिए उकसाया

हुर्रियत कांफ्रेंस व अन्य अलगाववादी संगठनों ने आम लोगों को हड़ताल करने, हिंसा फैलाने व सुरक्षाबलों पर पथराव करने के लिए उकसाया है। यह सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों में भारत सरकार के प्रति नफरत पैदा करने के लिए किया गया।