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Pakistan Election 2024: पाकिस्तान में कैसे चुना जाता है प्रधानमंत्री, भारत से कितनी अलग है प्रक्रिया, यहां जानिए सबकुछ

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री चुनने का प्रोसेस लगभग भारत जैसा ही है। पाकिस्तान भी एक संसदीय लोकतंत्र है। पाकिस्तानी संसद में दो सदन होते हैं। निचले सदन यानी नेशनल अंसेबली को कौमी अंसेबली कहा जाता है। वहीं पाकिस्तान के उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहा जाता है। नेशनल अंसेबली के सदस्य प्रधानमंत्री को चुनते हैं। लेकिन नेशनल अंसेबली की संरचना कैसी होती है? आइए इसे समझते हैं।

By Jagran News Edited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Thu, 08 Feb 2024 01:06 PM (IST)
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चुनाव में नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।

ऑनलाइन डेस्क। पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय विधानसभाओं की 336 सीटों के लिए आज (8 फरवरी) मतदान हो रहे हैं। पाकिस्तान के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। यह चुनाव ऐसे समय किया जा रहा है जब देश राजनीतिक और आर्थिक जैसे कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।पाकिस्तान स्थित डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 12 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ मतदान प्रक्रिया सुबह 8 बजे (स्थानीय समय) शुरू हो चुकी है और यह शाम 5 बजे (स्थानीय समय) तक जारी रहेगी।

पाकिस्तान में हो रहे आम चुनाव में नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में हैं। इस बीच चलिए जानते हैं कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री को चुनने की क्या प्रक्रिया होती है और यह भारत से कितनी अलग है?

पाकिस्तान भी एक संसदीय लोकतंत्र

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री चुनने का प्रोसेस लगभग-लगभग भारत जैसा ही है। पाकिस्तान भी एक संसदीय लोकतंत्र है। पाकिस्तानी संसद में दो सदन होते हैं। निचले सदन यानी नेशनल अंसेबली को कौमी अंसेबली कहा जाता है। वहीं, पाकिस्तान के उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहा जाता है। नेशनल अंसेबली के सदस्य प्रधानमंत्री को चुनते हैं। लेकिन नेशनल अंसेबली की संरचना कैसी होती है? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

पाकिस्तान में बैलेट पेपर पर होता है चुनाव

पाकिस्तान में आज भी बैलेट पेपर पर चुनाव होता है। जबकि भारत में ईवीएम का लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है। यही कारण है कि पाक में चुनाव में बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं आम हैं। यही नहीं अशांत खैबर पख्तूनख्वा में तो 80 फीसदी मतदान केंद्र अति संवेदनशील हैं।

पाकिस्तान में अब सवाल यह उठता है कि ईवीएम से चुनाव क्यों नहीं कराए जाते? तो आपको बता दें कि पाकिस्तान में जब इमरान खान पीएम थे, तब उन्होंने कोशिश की थी कि चुनाव ईवीएम से कराए जाएं। इसके लिए इमरान की सरकार ने 2 मई 2021 के दिन ईवीएम से वोटिंग के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन इस प्रस्ताव का तब पाकिस्तान के 11 विपक्षी दलों के सांसदों ने जोरदार विरोध किया था।

पाकिस्तान में एक ही दिन में आ जाते हैं चुनाव परिणाम

पाकिस्तान में बैलेट पेपर से मतदान ​कराए जाने के बाद वोटिंग के दिन ही काउंटिंग भी हो जाती है और आमतौर पर परिणाम भी आ जाते हैं। जबकि पाकिस्तान की जनसंख्या में वोट देने वाले करोड़ों में हैं। इसके पीछे कारण यह है कि चुनाव के दिन ही पोलिंग बूथ पर ही अधिकारी अपने हाथ से वोटों की गिनती कर लेते हैं और चुनाव के दिन देर रात तक नतीजे घोषित कर दिए जाते हैं।

वहीं, भारत में जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे, तब भी मतपेटियों को सील लगाकर जिला मुख्यालयों पर ले जाया जाता था। इसके बाद काउंटिंग होती थी, पर पाकिस्तान में ऐसा नहीं है। वहां वोटिंग के बाद ही बूथ पर ही काउंटिंग कर ली जाती है। हालांकि, तब भी अगर तय समय पर परिणाम नहीं आते हैं तो रिटर्निंग ऑफिसर को चुनाव आयोग को इसकी लिखित जानकारी देनी होती है।

कितनी सीटें मिलने पर बनती है पाकिस्तान में सरकार?

भारत में जैसे राज्यसभा का चुनाव होता है, वैसे ही पाकिस्तान में अलग अलग राज्यों के असेंबलियों के सदस्य पाकिस्तानी सीनेट का चयन करते हैं। वहीं निचले सदन में सदस्यों को आम चुनावों के माध्यम से चुना जाता है। पाकिस्तान में कुल 342 सीटें हैं, इनमें से 272 सीटों पर सीधे चुनाव होता है, जबकि 70 सदस्यों को खास तरह से चुना जाता है। इनमें से 60 सीटें महिलाओं के लिए पहले से रिजर्व रहती हैं, जबकि 10 सीटें देश के पारंपरिक और धार्मिक अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लिए आरक्षित हैं। हालांकि इनका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम के तहत होता है। इसका अर्थ ये है कि जो पार्टी जितनी सीटें जीतती है, उसी के सदस्य अधिक नामित होते हैं।

सरकार बनाने के लिए कितनी सीट की होती है जरूरत?

8 फरवरी को होने वाले चुनाव में जनता नेशनल असेंबली के लिए वोटिंग करेगी। इसमें पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के 272 सांसद चुने जाएंगे। इसके बाद अनुपात के नियम के तहत नेशनल असेंबली के 70 सदस्यों का चुनाव होता है, फिर जिस भी पार्टी या गठबंधन के पास बहुमत होता है, वो पीएम चुनते हैं।

प्रधानमंत्री का चुनाव कैसे होता है?

  • प्रधानमंत्री का चुनाव नेशनल असेंबली (एमएनए) के सदस्यों द्वारा नेशनल असेंबली में प्रक्रिया और संचालन के नियमों की दूसरी अनुसूची, 2007 के अनुसार किया जाता है। पाकिस्तान में पीएम पद का उम्मीदवार बनने के लिए किसी को एमएनए होना चाहिए। पहले कदम के रूप में उम्मीदवार को किसी साथी एमएनए द्वारा पीएम पद के लिए प्रस्तावित किया जाना चाहिए। फिर नामांकन को किसी अन्य विधायक द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रकार उम्मीदवार के पास एक प्रस्तावक और एक अनुमोदक होना चाहिए।
  • चूंकि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है, इसलिए सरकार का मुखिया भी मुस्लिम धर्म का होना चाहिए। नामांकन पत्र सत्र से एक दिन पहले दोपहर 2 बजे तक सचिव के पास दाखिल करना होगा। नामांकन का मूल्यांकन नेशनल असेंबली के अध्यक्ष द्वारा उसी दिन दोपहर 3 बजे तक किया जाता है। उम्मीदवार चाहें तो मतदान से पहले किसी भी समय अपना नामांकन वापस ले सकते हैं।
  • नियमानुसार, मतदान शुरू होने से पहले अध्यक्ष निर्देश देंगे कि पांच मिनट के लिए घंटियां बजाई जाएं, ताकि जो सदस्य सदन में उपस्थित नहीं हैं वे उपस्थित रह सकें। घंटियां बजना बंद होने के तुरंत बाद लॉबी के सभी प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया जाएगा और प्रत्येक प्रवेश द्वार पर तैनात विधानसभा कर्मचारी मतदान समाप्त होने तक उन प्रवेश द्वारों से किसी को भी प्रवेश या निकास की अनुमति नहीं देंगे।
  • तब, अध्यक्ष विधानसभा में वैध रूप से नामांकित उम्मीदवारों के नाम पढ़ेंगे, जिन्होंने नाम वापस नहीं लिया है। उन्हें इसके बाद चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के रूप में संदर्भित किया जाएगा, जिस क्रम में उनके नामांकन पत्र प्राप्त हुए थे और दूसरी अनुसूची में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मतदान कराने के लिए आगे बढ़ेंगे।
  • इसके बाद, अध्यक्ष उन सदस्यों से कहेंगे जो उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करना चाहते हैं। उन्हें प्रवेश द्वार के माध्यम से एकल फाइल में पास करने के लिए कहा जाएगा, जहां वोटों को रिकॉर्ड करने के लिए टेलर तैनात किए जाएंगे। टेलर के डेस्क पर पहुंचने पर प्रत्येक सदस्य नियमों के तहत उसे आवंटित डिवीजन नंबर को कॉल करेगा।
  • इसके बाद टेलर प्रभाग सूची पर उसका नंबर अंकित करेंगे। साथ ही सदस्य का नाम भी पुकारेंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका वोट ठीक से दर्ज किया गया है। सदस्य को तब तक नहीं हटना चाहिए जब तक कि उसने टेलर को अपना नाम पुकारते हुए स्पष्ट रूप से नहीं सुन लिया हो। किसी सदस्य द्वारा अपना वोट दर्ज करने के बाद, वह सदन की घंटी बजने तक वापस नहीं आएगा।
  • अंत में, जब अध्यक्ष को पता चलेगा कि वोट देने के इच्छुक सभी सदस्यों ने अपना वोट दर्ज कर लिया है, तो वह घोषणा करेंगे कि मतदान समाप्त हो गया है। इसके बाद सचिव डिवीजन IIST को एकत्र कराएगा, रिकॉर्ड किए गए वोटों की गिनती करेगा और गिनती का परिणाम अध्यक्ष को प्रस्तुत करेगा। इसके बाद अध्यक्ष निर्देश देंगे कि सदस्यों को चैंबर में लौटने में सक्षम बनाने के लिए दो मिनट के लिए घंटियां बजाई जाएं। घंटियां बजना बंद होने के बाद अध्यक्ष विधानसभा में परिणाम की घोषणा करेंगे।

वोटों का किया जाता है मिलान

यदि चुनाव लड़ने वाला केवल एक ही उम्मीदवार है और वह विधानसभा की कुल सदस्यता के बहुमत के वोट हासिल करता है, तो अध्यक्ष उसे निर्वाचित घोषित करेगा। इसके बाद यदि चुनाव लड़ने वाला केवल एक ही उम्मीदवार है और वह विधानसभा की कुल सदस्यता के बहुमत के वोट हासिल करने में विफल रहता है, तो सभी कार्यवाही नए सिरे से शुरू होगी।

यदि दो या अधिक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार हैं और यदि कोई भी चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार पहले मतदान में इतना बहुमत हासिल नहीं करता है, तो दूसरा मतदान उन उम्मीदवारों के बीच होगा, जिन्होंने पहले मतदान में दो सबसे अधिक वोट हासिल किए हैं और वह उम्मीदवार जो बहुमत हासिल करता है उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के वोटों से प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने की घोषणा की जाएगी।

यदि सबसे अधिक वोट पाने वाले दो या दो से अधिक उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त वोटों की संख्या बराबर है, तो उनके बीच आगे मतदान तब तक आयोजित किया जाएगा जब तक कि उनमें से एक उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत को सुरक्षित नहीं कर लेता।