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कश्‍मीर में सेना और सरकार की हलचल से पाक की फूल रही सांस, देखें क्‍या कह रहा मीडिया

कश्‍मीर में भारतीय सेना की हलचल से पाकिस्‍तान की सांसे अटकी हुई हैं। इतना ही नहीं अब पाकिस्‍तान कह रहा है कि भारत उसके इलाके में क्‍लस्‍टर बम गिरा रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 05 Aug 2019 08:26 PM (IST)
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कश्‍मीर में सेना और सरकार की हलचल से पाक की फूल रही सांस, देखें क्‍या कह रहा मीडिया
नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। जम्‍मू कश्‍मीर में हो रहे बदलावों और केंद्र सरकार के फैसलों के चलते पाकिस्‍तान की सांसें अटकी हुई हैं। पाकिस्‍तान की मीडिया में लगातार यह बात कही जा रही है कि घाटी में केंद्र सरकार कुछ बड़ा फैसला लेने वाली है। इस मुद्दे पर लगातार पाकिस्‍तानी मीडिया में डिबेट चल रही है। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान के नामी अखबार डॉन ने यहां तक कहा है कि केंद्र सरकार 35ए से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर सकती है। अखबार ने ये भी लिखा है कि यदि ऐसा हुआ तो कश्‍मीरी भारत के और खिलाफ हो जाएंगे। पाकिस्‍तान की मीडिया में यह कहकर भी लोगों को डराने का काम कर रही है कि केंद्र सरकार यहां की डेमोग्राफी में भी बदलाव कर सकती है। इसके तहत यहां पर बाहरी लोगों को लाकर बसाया जा सकता है। अखबार का कहना है कि यदि दिल्‍ली की सरकार सोच रही है कि वह ऐसा करके कश्‍मीर को छीन लेगी तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है। अखबार ने अपने वर्षों पुरानी भारत विरोधी मुहिम को जारी रखते हुए कहा है कि कश्‍मीर के लोग पहले से ही आजादी के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं। यदि केंद्र सरकार ने कुछ गलत किया तो वहां पर हालात बेकाबू हो जाएंगे। 

पाकिस्‍तान को सता रहा डर
पाकिस्‍तान को लगातार इस बात का डर सता रहा है कि राज्‍य में सुरक्षाबलों की गिनती में बढ़ोतरी करने की दूसरी वजह यहां के संविधान में बड़ा बदलाव लाना भी हो सकती है। पाकिस्‍तान का कहना है कि यह कदम भारत के लिए घातक होगा। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान की मीडिया ही नहीं बल्कि पाकिस्‍तान की सरकार भी लगातार जम्‍मू कश्‍मीर को लेकर झूठ का प्रचार-प्रसार करती आ रही है। राज्‍य में सेना की तादाद बढ़ाने के मौजूदा फैसले के बाद पाकिस्‍तान की सरकार में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि इस सुगबुगाहट की वजह से ही इमरान खान ने नेशनल सिक्‍योरिटी काउंसिल (एनएससी) की बैठक बुलाई है। यह इस बात को समझने के लिए काफी है कि पाकिस्‍तान की सांसें कितनी उखड़ी हुई हैं।

बैट जवानों का मारा जाना
आपको बता दें कि शनिवार को ही भारतीय सेना ने पाकिस्‍तान की बैट (बॉर्डर एक्‍शन टीम) की टुकड़ी के घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए उनके सात जवानों को मार गिराया था। इसके बाद भारत ने इन शवों को ले जाने के लिए भी पाकिस्‍तान को कहा था। लेकिन जवाब में पाकिस्‍तान ने कहा कि ये उनके जवानों के शव नहीं है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। वह पहले भी इस तरह की ही बात करता रहा है। इमरान द्वारा एनएससी की बैठक बुलाने की एक वजह ये भी हो सकती है। दरअसल, बैट फोर्स पाकिस्‍तान की स्‍पेशल सर्विस ग्रुप का हिस्‍सा है। इस टुकड़ी की हर चीज बेहद खास है। इसके जवानों का मारा जाना और वैश्विक मंच पर पाकिस्‍तान की कलई खुलना भी इस बैठक की एक वजह हो सकती है।  

पाक मीडिया ने बताई ये वजह 
हालांकि पाकिस्‍तानी मीडिया ने इस बैठक की वजह कुछ और ही बताई है। दरअसल, पाकिस्‍तानी सेना का कहना है भारत ने 30/31 जुलाई को गुलाम कश्‍मीर (पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर) स्थित नीलम घाटी में क्‍लस्‍टर एम्‍यूनिशन (Cluster Bomb) का प्रयोग किया था। इसकी वजह से वहां पर कुछ लोग घायल भी हुए थे। पाकिस्‍तानी सेना के प्रवक्‍ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक ट्वीट करते हुए इसको जिनेवा समझौते का खुला उल्‍लंघन बताया है और भारत को घेरने की कोशिश की है। पाक मीडिया का कहना है कि पीएम इमरान खान ने जो बैठक बुलाई है उसका अहम मुद्दा यही है। पाक मीडिया अपने झूठे दावों से एक कदम और आगे बढ़कर यह कह रही है कि भारत पिछले कुछ समय से क्‍लस्‍टर बम का इस्‍तेमाल कर रहा है।  

क्‍या होता है क्‍लस्‍टर बम 
अपने झूठ को सही साबित करने के चक्‍कर में वह बड़ी चूक भी कर बैठा है। दरअसल, जिस बम के इस्‍तेमाल की पाकिस्‍तान बात कर रहा है वह छोटे-छोटे बमों से बना हुआ होता है। यह बम काफी बड़े दायरे को अपनी चपेट में लेने में सक्षम होता है। क्लस्टर बम के अंदर से निकलने वाले छोटे-छोटे बम काफी लंबे समय तक जमीन में पड़े रहते हैं और कभी भी फट सकते हैं। इस तरह के बम का सबसे पहले रूस और जर्मनी की सेना ने किया था।आपको यहां पर ये भी बता दें कि नॉर्वे की राजधानी ओस्‍लो में 2008 में दुनिया के करीब 102 देशों ने इस तरह के बम के निर्माण, इसके इस्‍तेमाल को प्रतिबंधित करने पर हस्‍ताक्षर किए थे। इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने वाले देशों में भारत और पाकिस्‍तान भी शामिल थे। हालांकि अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों ने इस समझौते से खुद को बाहर रखा है।  

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