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इजरायल-हमास की लड़ाई के बीच कश्मीर मुद्दा गरमाने की कोशिश कर रहा पाक, मुस्लिम देशों से है समर्थन की आस

Israel Hamas War। इजरायल-हमास की लड़ाई के बीच पाकिस्तान कश्मीर मुद्दा को गरमाने की कोशिश कर रहा है। लगभग तीन साल पुराने संघर्ष विराम के उल्लंघन की कोई तात्कालिक वजह नहीं है। आतंकियों के घुसपैठ में नाकामी की हताशा भी संघर्ष विराम के उल्लंघन की वजह हो सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 27 Oct 2023 08:41 PM (IST)
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इजरायल-हमास की लड़ाई के बीच कश्मीर मुद्दा गरमाने की नापाक कोशिश (प्रतीकात्मक फोटो)
नीलू रंजन, नई दिल्ली। इजरायल और हमास के बीच जारी लड़ाई के बीच जम्मू-कश्मीर सीमा पर लगभग तीन साल से जारी संघर्ष विराम के उल्लंघन को भारतीय सुरक्षा एजेंसियां गहरी साजिश के रूप में देख रही है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों के बाद फलस्तीन के लिए मुस्लिम देशों में जुट रहे समर्थन को देखते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को भी चर्चा के केंद्र में लाने की नापाक कोशिश शुरू कर दी है।

पाकिस्तान की पहल पर हुआ था संघर्ष विराम का समझौता

केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फरवरी 2021 में पाकिस्तान की पहल पर ही संघर्ष विराम का समझौता हुआ था और अचानक उससे पीछे हटने का कोई तात्कालिक कारण नहीं है। ध्यान देने की बात है कि पिछले दिनों इजरायल-फलस्तीन विवाद पर संयुक्त राष्ट्र में चर्चा के दौरान भी पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था, लेकिन भारत ने इसे जवाब देने लायक भी नहीं करार दिया था। किसी अन्य देश से भी पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिला था।

कश्मीर मुद्दे पर दुनिया का ध्यान लाना है फायरिंग का मकसद

केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी से वरिष्ठ अधिकारी ने सीमा पार से आ रही खुफिया जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि सीमा पर भारी फायरिंग के पीछे पाकिस्तान का असली उद्देश्य दुनिया का ध्यान कश्मीर मुद्दे की ओर लाना है। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान ने इसके लिए भरसक कोशिश की थी, लेकिन मुस्लिम देशों का भी समर्थन जुटाने में बुरी तरह विफल रहा था।

फलस्तीन विवाद का फायदा उठाना चाहता है पाकिस्तान

अधिकारी के अनुसार, हमास के आतंकी हमले और उसके खिलाफ इजरायल की कार्रवाई के बाद फलस्तीन विवाद पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में है और पाकिस्तान इसका फायदा उठाना चाहता है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद भी पाकिस्तान सीमा पर फायरिंग के सहारे कश्मीर के मुद्दे को जिंदा रखने की नाकाम कोशिश कर चुका है।

2020 में पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा बार की फायरिंग

2018 में पाकिस्तान की ओर से सीमा पर फायरिंग की 2140 घटनाएं दर्ज की गई थी, 2019 में जिनकी संख्या बढ़कर 3479 हो गईं। इनमें आधी से अधिक फायरिंग की घटनाएं पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुई थीं। 2020 में पाकिस्तान ने सबसे अधिक 5133 बार सीमा पर फायरिंग की, जो 2021 के जनवरी और फरवरी तक जारी रहा और क्रमश: 380 और 278 बार फायरिंग की घटनाएं दर्ज की गईं।

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25 फरवरी की रात को हुआ संघर्ष विराम समझौता

अकारण फायरिंग के बावजूद कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक समर्थन जुटाने में विफल रहे पाकिस्तान ने संघर्ष विराम करना उचित समझा और 25 फरवरी की रात से इसे लागू करने पर भारत के साथ समझौता भी कर लिया। वैसे सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अधिकारी अकारण फायरिंग को आतंकी घुसपैठ में विफलता के कारण पाकिस्तान की हताशा के रूप में भी देख रहे हैं।

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अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान पोषित आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने में सुरक्षा एजेंसियां काफी हद तक सफल रहीं। यही नहीं, सीमा पार से आतंकियों का घुसपैठ भी आसान नहीं रह गया है। गुरुवार को ही सुरक्षा एजेंसियां ने घुसपैठ की कोशिश कर रहे पांच आतंकियों को मार गिराया और इसके एक हफ्ता पहले तीन आतंकियों को घुसपैठ के दौरान मार दिया गया था।