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इजरायल से विवाद सुलझाने को लेकर भारत पर टिकी है फिलिस्‍तीन की नजरें

फिलिस्‍तीन के साथ भारत के साथ पुराने और घनिष्‍ठ रहे हैं। यह संबंध भी इतने ही पुराने हैं जितना फिलिस्‍तीन का इजरायल से विवाद।

By Kamal VermaEdited By: Wed, 17 May 2017 12:42 PM (IST)
इजरायल से विवाद सुलझाने को लेकर भारत पर टिकी है फिलिस्‍तीन की नजरें
इजरायल से विवाद सुलझाने को लेकर भारत पर टिकी है फिलिस्‍तीन की नजरें

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। पश्मिची एशियाई देशों से संबंधों को मजबूत करना भारत की नई विदेश नीति का हिस्‍सा है। मौजूदा समय में फिलिस्‍तीन राष्‍ट्रपति महमूद अब्‍बास की भारत यात्रा इस दिशा में ही किया गया एक प्रयास है। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में फिलिस्‍तीन के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति यासर अराफात ने उन्‍हें अपनी छोटी बहन बताकर भारतीय मीडिया की सुर्खियों बटोरी थीं। आज हालात कुछ अलग हैं। कुछ समय से लगातार सुस्‍त हो रहे संबंधों को भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी नई विदेश नीति से नई उर्जा प्रदान की है।

पीएम मोदी की नई विदेश नीति

इस नीति में पश्चिमी एशियाई देश जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ईरान, इराक और कतर के अलावा फिलिस्तीन भी शामिल है से बेहतर संबंध बनाना है। फिलिस्‍तीन राष्‍ट्रपति की यह भारत यात्रा इसलिए भी खास है क्‍योंकि जुलाई में प्रधानमंत्री इजरायल की यात्रा पर जाने वाले हैं। लेकिन इस दौरान वह फिलिस्‍तीन नहीं जाएंगे। इसका मलाल राष्‍ट्रपति अब्‍बास को भी है। इस पर वह कह भी चुके हैं कि उन्‍हें अच्‍छा लगता कि यदि पीएम माेदी उनके देश आते। बहरहाल राष्‍ट्रपति अब्‍बास को अपनी मौजूदा यात्रा से काफी उम्‍मीदें लगी हैं। यह उम्‍मीद फिलिस्‍तीन और इजरायल के तनाव को कम करने से भी जुड़ी हैं। इसका जिक्र अब्‍बास ने पीएम मोदी से हुई मुलाकात में भी किया था।

इजरायल के मुद्दे पर भारत से उम्‍मीद

अब्बास ने कहा कि फिलिस्तीन और इजराइल के बीच विवाद के निपटारे में भारत बेहद अहम भूमिका निभा सकता है।भारत की भूमिका अहम होगी क्योंकि उसके दोनों ही देशों से अच्छे संबंध हैं। उन्होंने यहां अपने एक व्याख्यान में कहा कि हमारे क्षेत्र में शांति बनाए रखने में भारत की भूमिका होनी चाहिए। अब्बास का कहना था कि दोनों देशों के विवाद के निपटारे के लिए फिलिस्‍तीन किसी भी तरह की सैन्य दखल के खिलाफ हैं।

विवाद सुलझाने में मदद कर सकता है भारत

विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी भी मानते हैं यह काफी हद तक मुमकिन है कि इजरायल से तनाव कम करने को लेकर फिलिस्‍तीन भारत की मदद ले। यह भी हो सकता है कि पीएम मोदी की इजरायल यात्रा पर भी इसको लेकर कोई चर्चा जरूर हो और आने वाले समय में हम यह सुनें कि भारत इस तनाव को कम करने में सहायक भी भूमिका में आए। उनका कहना था कि फिलिस्‍तीन से भारत के संबंधों में फिर से गर्मजोशी आनी शुरू हुई है। कुछ समय तक यह काफी सुस्‍त हो गए थे। केंद्र में नई सरकार बनने के बाद पीएम मोदी की नई विदेश नीति के बाद न सिर्फ फिलिस्‍तीन से संबंध मजबूत करने की तरफ हाथ बढ़ाया गया है बल्कि इजरायल से भी संबंधों को मजबूत करने की तरफ भारत ने पहल की है।

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फिलिस्‍तीन और भारत में एमओयू साइन

राष्‍ट्रपति अब्‍बास की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कुछ एमओयू साइन किए गए हैं। वहीं भारत ने फिलिस्‍तीन के विकास के लिए अपना समर्थन जारी रखने की बात कही है। दोनाें देशों के राष्‍ट्रध्‍यक्षों ने इस दौरान आतंकवाद की निंदा करते हुए एकजुट होकर इसको खत्‍म करने की प्रतिबद्धत्‍ता दोहराई है। भारत ने फिलिस्‍तीन के मुद्दे पर अपने राजनीतिक समर्थन को दोहराते यह साफ कर दिया है कि वह विकास से जुड़ी परियोजनाओं में सहायता जारी रखेगा।

पीएम मोदी की इजरायल यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल की यात्रा पर जाएंगे। वह इस यहूदी देश की यात्रा पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। गौरतलब है कि इजरायल और भारत लगातार डिफेंस कोऑपरेशन बढ़ा रहे हैं। इस लिहाज से यह यात्रा काफी अहम होगी। गौरतलब है कि भारत ने साल 1992 में इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थपित किए थे, मगर किसी भारतीय प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ने कभी वहां का दौरा नहीं किया। साल 2003 में तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भारत की यात्रा पर आए थे। ऐसा करने वाले वह पहले इजरायली प्रधानमंत्री थे। भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को रक्षा और व्यापार सहयोग से लेकर रणनीतिक संबंधों तक विस्तार देने का श्रेय उन्हीं को दिया जाता है।

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फिलिस्‍तीन-इजरायल विवाद

दरअसल, इजरायल की सीमा लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, फिलीस्तीन के अलावा मिस्र से लगती है। इजरायल का लगभग इन सभी देशों से विवाद है। लेकिन फिलीस्तीन से उसकी दुश्‍मनी जगजाहिर है, जिसके चलते अक्सर इनके बीच जंग के हालात बने रहते हैं। इसकी वजह दोनों के बीच सीमा विवाद रहा है, जो कि इजरायल उदय होने के साथ से ही है। 30 नवंबर 1947 में यहूदियों और अरबों विवाद का मुद्दा बने इलाके के बंटवारे को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने अपनी सहमति दी थी। इसके बाद ही इजरायल अस्तित्‍व में आया था। लेकिन ऐसे कुछ देश जो इस बंटवारे से खफा थे उन्‍होंने इजरायल पर युद्ध थोप दिया किंतु हार गए। इसका नतीजा यह हुआ कि इजरायल ने गाजा पट्टी पर भी कब्जा कर लिया था। यही गाजा पट्टी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच दुश्मनी का कारण बनी हुई है। इस विवाद के चलते ही इजरायल ने अपने बॉर्डर पर दीवार बनाई है।

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