1965 की जंग में पाकिस्तानी दुश्मनों पर अकेले भारी पड़े थे अब्दुल हमीद, साधारण गन से उड़ा दिए थे कई टैंक
Abdul Hameed Birth Anniversary 1965 का युद्ध और इसके कई वीर योद्धाओं का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उन्हीं वीर जवानों में से एक परमवीर चक्र से सम्मानित अब्दुल हमीद थे। उन्होंने अकेले ही पाकिस्तान के आठ पैटन टैंकों को अपने साधारण रिकॉयलेस गन से ध्वस्त कर दिया था। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 01 Jul 2023 11:42 AM (IST)
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Abdul Hameed Birth Anniversary: एक बार नहीं बल्कि कई बार हमारे देश के वीर जवानों ने अपने दुश्मनों को धूल चटाई है। आजादी के बाद चाहे 1965 की लड़ाई, 1971 का युद्ध हो या फिर कारगिल युद्ध, हर बार वीर जवानों ने दुश्मनों की सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है। युद्ध और इसके कई वीर जवानों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
इस खबर में हम परमवीर चक्र उस वीर जवान की बात करेंगे, जिन्होंने 1965 के युद्ध में अकेले ही पाकिस्तानी सेना की खटिया खड़ी कर दी थी। अकेले ही इन्होंने पाकिस्तान की आठ पैटन टैंकों को नष्ट कर के लड़ाई का पूरा रुख ही बदल दिया था।
बचपन से ही निशानेबाजी और कुश्ती में रही दिलचस्पी
वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने भारतीय सेना का हिस्सा बनने का सपना देखना शुरू कर दिया था। इनके पिता पेशे से दर्जी थे, तो आर्मी का हिस्सा बनने से पहले वो अपने पिता की मदद करते थे। हालांकि, इसमें उन्हें खास दिलचस्पी नहीं थी, उनकी दिलचस्पी लाठी चलाने, कुश्ती करने और निशानेबाजी में थी।पत्ते खाकर जिंदा रहे वीर हमीद
20 साल की उम्र में अब्दुल हमीद ने वाराणसी में भारतीय सेना की वर्दी पहनी। ट्रेनिंग के बाद उन्हें 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में पोस्टिंग मिली। 1962 की लड़ाई के दौरान उनको 7 माउंटेन ब्रिगेड, 4 माउंटेन डिवीजन की ओर से युद्ध के मैदान में भेजा गया। उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने बताया कि शादी के बाद यह उनका पहला युद्ध था, जिस दौरान वह जंगल में भटक गए थे और कई दिनों बाद घर लौटे थे। रसूलन बीबी ने यह भी बताया कि उस दौरान हामिद ने पत्ते खाकर खुद को जिंदा रखा था।
युद्ध के 10 दिन पहले छुट्टी पर आए थे हमीद
8 सितंबर, 1965 को अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के केमकपण सेक्टर में तैनात थे। युद्ध के 10 दिन पहले ही वो छुट्टी पर अपने घर गए थे। इसी बीच, पाक की ओर से तनाव बढ़ने लगा, जिसके बाद सभी जवानों को ड्यूटी पर वापस बुलाया गया। कहा जाता है कि वापसी की तैयारियों के दौरान उनके साथ कई अपशगुन हुए थे, जिसके कारण उनका परिवार उन्हें जाने से मना कर रहा था, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।अजेय कहे जाने वाली टैंक को बनाया निशाना
पाकिस्तान ने उस समय के अमेरिकन पैटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। उस समय ये अमेरिकन टैंक अपराजेय माने जाते थे। अब्दुल हमीद की जीप 8 सितंबर, 1965 को सुबह 9 बजे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों से गुजर रही थी। उसी दौरान उन्हें टैंकों के आने की आवाज सुनाई दी और कुछ ही देर में टैंक दिखने भी लग गया। इसके बाद हामिद ने गन्ने के खेत का फायदा उठाया और वहीं छिप गए।