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Parliament Security Breach: जिंदा हुई 2001 की आतंकी घटना, कानों में गूंजी पन्नू की धमकी; संसद में फिर से खौफ की आहट

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में सुरक्षा में बड़ी चूक हुई। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से लोकसभा में कूद गए। आज से ठीक 22 बरस पहले आतंकियों ने संसद पर हमला कर मौत का तांडव मचाया था। वर्ष 2001 में 13 दिसंबर को जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकियों ने संसद पर हमला किया था।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 13 Dec 2023 08:45 PM (IST)
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बुधवार को संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। वही दिन और लगभग समय भी वही, जब 22 बरस पहले आतंकियों ने संसद पर हमला कर मौत का तांडव मचाया था। उस दुखद दिन को याद कर, वीर बलिदानियों को नमन कर सांसद सदन में पहुंचे ही थे कि कार्यवाही के दौरान दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से लोकसभा में कूद गए।

आज से 22 वर्ष पहले संसद पर हुआ था हमला 

कोई कुछ समझ न पाया। मेज पर कूद-कूदकर पीठ की ओर बढ़ता हड़बड़ाता युवक और सदन में उठना शुरू हुआ रंगीन धुआं..। फिर क्या, सांसदों के कानों में गूंजने लगी खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी, आंखों के सामने थी अफरातफरी, दिमाग में 13 दिसंबर, 2001 की तारीख और माहौल में थी फिर वही खौफ की आहट।

वर्ष 2001 में 13 दिसंबर को ही शीतकालीन सत्र के दौरान जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकी लगभग 11.30 बजे ही संसद परिसर में सफेद रंग की एम्बेसडर कार से दाखिल हुए थे। लगभग सौ सांसद सदन में उपस्थित थे और बाहर आतंकियों ने एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। वे आतंकी मौत का तांडव ही मचाने आए थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात वीर जवानों ने उन्हें सदन में प्रवेश नहीं करने दिया और बाहर ही ढेर कर दिया।

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पीएम समेत अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

इस हमले में जवान और संसद कर्मियों सहित नौ वीर बलिदान हो गए थे। वह घटना तो काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गई, जिसे नम आंखों से 22 बरस बाद उसकी बरसी पर बुधवार को सुबह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित वरिष्ठ नेताओं ने बलिदानियों को श्रद्धांजलि देकर याद किया।

मगर, उसके बाद जो हुआ, वह अप्रत्याशित है, सुरक्षा प्रबंधों पर प्रश्न खड़े करने वाला है और सनसनी फैलाने वाला भी है। 13 दिसंबर, 2001 की घटना का जो समय था, उसी के आसपास दो प्रदर्शनकारी संसद परिसर के बाहर ट्रांसपोर्ट भवन के सामने सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए पकड़े जाते हैं। ठीक उसी समय पर लोकसभा में दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से सदन में कूदते हैं। वह क्या था, खतरनाक था या नहीं, यह तो बाद में पता चला, लेकिन उस वक्त यह दृश्य सांसदों के होश फाख्ता कर देने वाला जरूर था।

सांसदों के भयाक्रांत होने की महत्वपूर्ण वजह यह है कि उन्हें नहीं पता था कि उन युवकों के पास हथियार हैं या नहीं, इसके अलावा तुरंत ही उनके दिलो-दिमाग में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की वह धमकी भी तैर गई होगी कि कुछ दिन पहले ही उसने वीडियो जारी कर 13 दिसंबर को संसद पर हमले की धमकी दी थी।

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ख्याल आया हम जिंदा बचेंगे कि नहीं..

सांसदों के मन में बैठी दहशत उनकी प्रतिक्रिया में साफ सुनाई दी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने स्पष्ट कहा कि यह बहुत भयावह अनुभव था। किसी को नहीं मालूम था कि इनका निशाना क्या था और यह लोग ऐसा क्यों कर रहे थे। वहीं, बसपा सांसद मलूक नागर ने मीडिया को बयान दिया, इस घटना में पहला ख्याल आया कि उसकी नीयत खराब है, हम जिंदा बचेंगे कि नहीं। कहीं इसके पास हथियार न हों। वह कुछ करता, उससे पहले सांसद उस पर टूट पड़े।