संसद का विशेष सत्र: श्रेय लेने की होड़ में चढ़ा सियासी पारा, शाह ने लोकसभा में अधीर के दावों को किया खारिज
यूं तो अक्सर संसद में विपक्षी सरकार के विधेयकों के खिलाफ ही खड़ा होता है लेकिन मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने के वक्त हर कोई इसका श्रेय अपने सिर बांधने की कोशिश में दिखा। खासकर कांग्रेस की ओर से यह याद दिलाने की कोशिश हुई मनमोहन सिंह सरकार में इसे राज्यसभा से पारित कराया गया था और कई मौको पर लोकसभा में भी पारित हुआ।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूं तो अक्सर संसद में विपक्षी सरकार के विधेयकों के खिलाफ ही खड़ा होता है, लेकिन मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने के वक्त हर कोई इसका श्रेय अपने सिर बांधने की कोशिश में दिखा।
खासकर कांग्रेस की ओर से यह याद दिलाने की कोशिश हुई मनमोहन सिंह सरकार में इसे राज्यसभा से पारित कराया गया था और कई मौको पर लोकसभा में भी पारित हुआ लेकिन एक साथ दोनों सदन में यह पारित नहीं हो सका, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसका तीखा विरोध किया और कहा कि कांग्रेस काल में एक बार भी इसे लोकसभा से पारित नहीं कराया गया।
महिला आरक्षण बिल को लेकर माहौल गर्म
राज्यसभा से पारित कराने के बाद कांग्रेस ने लोकसभा से पारित कराने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। राज्यसभा में तो यह विधेयक बाद में पेश होगा, लेकिन घोषणा मात्र से ही माहौल गरमा गया। प्रधानमंत्री की ओर से इसका जिक्र किए जाने के बाद विपक्ष ने इसे लपक लिया और इसका श्रेय लेने की कोशिश की।
खरगे ने महिलाओं को लेकर दिए बयान
कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को जैसे ही बोलने की मौका मिला, उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक में एससी एसटी के साथ ओबीसी को भी आरक्षण देने की पैरवी की। साथ ही यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि मौजूदा समय में सभी राजनीतिक दल सिर्फ ऐसी ही महिलाओं को टिकट देते है, जो कमजोर और कम पढ़ी-लिखी होती है।
खरगे के बयान पर प्रधान की आपत्ति
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ऐसा आपकी पार्टी में होगा। हमारी पार्टी में नहीं है। इसके बाद खरगे ने फिर सफाई दी और कहा कि मेरा कहना ये है कि कमजोर वर्ग के लोगों की सिर्फ ऐसी महिलाओं को ही टिकट देते हैं, जो ना तो अपनी बात रख बाती है न ही बोल पाती है। आप उनको कभी भी आगे बढ़ने नहीं देते है।
इसके बाद तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह बिल्कुल गलत है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु का उन्होंने जिक्र किया और कहा कि वह आदिवासी वर्ग आती है और सशक्त भी हैं।
संघीय ढांचे से जुड़े अपने बयान पर घिरे खरगे
राज्यसभा में सरकार पर संघीय ढांचे को कमजोर करने के खरगे के आरोपों को लेकर भी जमकर हंगामा हुआ। दरअसल खरगे ने सरकार पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह उन्हें जीएसटी के तहत तय राशि समय पर नहीं दे रहे है, न ही अलग-अलग योजनाओं के तहत उनके हिस्से की तय राशि दी जा रही है। ऐसे में राज्यों की हालात बेहद खराब है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संभाला मोर्चा
इसके बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने मोर्चा संभाला और कहा कि वह गलत बोल रहे है। किसी भी राज्य का जीएसटी का पैसा नहीं बकाया है। हमने तो कई राज्यों को जीएसटी का पैसा एडवांस में दिया है। विवाद बढ़ने पर सभापति ने खरगे और सीतारमण को अपने दावों से जुड़े दस्तावेज सदन के पलट पर रखने का आदेश दिया। जिसके बाद खरगे ने कहा कि उनके पास अभी दस्तावेज नहीं है। वह राज्यों से मंगाएंगे तो देंगे। इस पर सभापति ने कहा कि बगैर तथ्यों के ऐसे आरोप लगाना ठीक नहीं है।