Winter Session: डाटा प्रोटेक्शन और बिजली संशोधन बिल पर सियासी रार के बन रहे आसार, सरकार ने शुरू की तैयारी
संसद के शीतकालीन सत्र में अहम विधायी कार्यों को अंजाम देने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। लंबे अरसे बाद भले ही संसद सत्र पर फिलहाल किसी बड़े सियासी विवाद की छाया नहीं दिख रही है लेकिन सरकार ने अहम विधेयकों तैयारी शुरू कर दी है।
By Sanjay MishraEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 25 Nov 2022 07:55 PM (IST)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में अहम विधायी कार्यों को अंजाम देने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। लंबे अरसे बाद भले ही संसद सत्र पर फिलहाल किसी बड़े सियासी विवाद की छाया नहीं दिख रही है, लेकिन डाटा प्रोटेक्शन बिल और बिजली संशोधन जैसे कुछ अहम विधेयकों पर विपक्ष के साथ भारी रस्साकशी की आशंका को देखते हुए सरकार अपनी जवाबी रणनीति तैयार कर रही है।
सरकार ने 6 दिसंबर को बुलाई सर्वदलीय बैठक
बता दें कि इसके मद्देनजर ही सरकार ने शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले छह दिसंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सत्र के दौरान डाटा प्रोटेक्शन और बिजली संशोधन विधेयकों समेत करीब डेढ दर्जन विधेयक लाने की सरकार की तैयारी है। सर्वदलीय बैठक वैसे तो संसद सत्र की परंपरा का हिस्सा है, मगर आर्थिक सुधारों ओर नीतिगत मामलों से जुड़े कुछ अहम विधेयकों पर सरकार और विपक्ष के बीच असहमति के कई बिंदु हैं। इसलिए सर्वदलीय बैठक के जरिए सरकार इन विधेयकों को पारित कराने की अपनी रणनीति को आगे बढ़ाने का रास्ता बनाने की कोशिश करेगी।
डाटा प्रोटेक्शन बिल 2019 में लोकसभा में हुआ था पेश
आपको बता दें कि डाटा प्रोटेक्शन बिल को 2019 के शीत सत्र में सरकार ने लोकसभा में पेश किया था, लेकिन इसमें नागरिकों की निजता के अधिकार से लेकर डाटा की सुरक्षा से जुड़े जटिल मसलों को देखते हुए विपक्ष की मांग पर संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया था। संसदीय समिति ने को बीते मानसून सत्र में पिछले दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट देते हुए इस विधेयक में 150 से अधिक संशोधनों के साथ बदलाव की सिफारिश की। सरकार ने इसके बाद इस विधेयक को आगे बढ़ाने की बजाए बीते मानसून सत्र में इसे वापस ले लिया।शीतकालीन सत्र में कई अहम विधेयक पेश करने की उम्मीद
सरकार ने इसकी जगह शीतकालीन सत्र में नए सिरे से डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 लाने के इरादे साफ करते हुए संशोधित बिल के स्वरुप को पिछले हफ्ते जारी कर दिया, जिसमें संसदीय समिति की अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार, सरकार का इरादा नए सिरे से लाए गए इस विधेयक को शीत सत्र में ही पारित करने का है। लेकिन विपक्षी खेमे से मिले संकेतों के अनुसार, वह डाटा प्रोटेक्शन बिल को जल्दबाजी में पारित करने का विरोध करेगा और इसे संसदीय स्थाई समिति के अध्ययन के लिए भेजने की मांग करेगा।विधेयक को लेकर विपक्षी दल भी तैयार
जाहिर तौर पर सरकार और विपक्ष के बीच इसको लेकर टकराव की नौबत आ सकती है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि सरकार भले यह तर्क दे कि सभी संशोधनों को शामिल कर यह बिल लाया गया है, मगर चूंकि संपूर्ण रूप से यह एक नया विधेयक होगा, जिसे स्थाई समिति या जेपीसी के विचारार्थ भेजना जरूरी है और हम आनन-फानन में पारित कराने के किसी प्रयास का पूरजोर विरोध करेंगे। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक में राज्यों के डिस्काम और बिजली बोर्डों में सुधार के लिए अहम बदलाव के प्रस्ताव हैं। इसमें बिजली वितरण के निजीकरण का प्रस्ताव भी शामिल है और इस पर भी पक्ष-विपक्ष के बीच कई असहमित के बिंदु हैं।