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Parliament Winter Session: शीतकालीन सत्र से पहले सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, इन विधेयकों पर होगी तीखी चर्चा

संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने शनिवार को लोकसभा और राज्यसभा में राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हो रहा है। सत्र 22 दिसंबर तक चलेगा जिसमें 15 बैठकें आयोजित की जाएंगी। यह बैठक संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की अध्यक्षता में होगी जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल शामिल हो सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 30 Nov 2023 02:15 PM (IST)
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शीतकालीन सत्र से पहले सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने शनिवार को लोकसभा और राज्यसभा में राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हो रहा है। सत्र 22 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें 15 बैठकें आयोजित की जाएंगी।

शीतकालीन सत्र के दौरान औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों सहित प्रमुख मसौदा कानूनों पर विचार करने की उम्मीद है। यह बैठक संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की अध्यक्षता में होगी, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।

संसद में 37 विधेयक लंबित

बता दें कि वर्तमान समय में संसद में 37 विधेयक लंबित हैं, जिनमें से 12 विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं। वहीं, सात विधेयकों को संसद में पेश करने और उसे पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

महुआ मोइत्रा को लेकर रिपोर्ट पेश होगी

वहीं, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ 'कैश-फॉर-क्वेरी' के आरोपों पर आचार समिति की रिपोर्ट भी इसी सत्र के दौरान लोकसभा में पेश की जाएगी। इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम को बदलने वाले तीन प्रमुख विधेयकों पर सत्र के दौरान विचार किए जाने की संभावना है। इससे पहले गृह संबंधी स्थायी समिति ने हाल ही में तीन रिपोर्टों को स्वीकार किया है।

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर होगी चर्चा

जबकि, संसद में लंबित एक अन्य प्रमुख विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित है। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मानसून सत्र में पेश किया था, जिसका विपक्ष और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के कड़ा विरोध किया था। विरोध को देखते हुए सरकार ने इसे संसद के विशेष सत्र में पारित करने पर जोर नहीं दिया। दरअसल, सरकार सीईसी और ईसी के कद को कैबिनेट सचिव के बराबर लाना चाहती है।

वर्तमान में, मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के बराबर दर्जा प्राप्त है।

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