गोद लेने के कानून से बच्चों के लिए 'नाजायज' शब्द हटाएं, संसदीय समिति ने कहा- ऐसा कानून बने जो धर्म से परे हो
parliamentary panel on adoption law एक संसदीय समिति ने केंद्र सरकार गोद लेने के कानून (law on guardianship) से नाजायज बच्चे के संदर्भ को हटाने की सिफारिश की है। संसदीय समिति का कहना है कि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता...
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 07 Aug 2022 10:08 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। एक संसदीय समिति ने गोद लेने के कानून से 'नाजायज बच्चे' के संदर्भ को हटाने की सिफारिश की है। कहा है कि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता, चाहे वह विवाहित जोड़े से पैदा हुआ हो या इससे इतर। समिति ने विभिन्न संरक्षण पहलुओं को शामिल करते हुए एक व्यापक कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, जो धर्म से परे सभी पर लागू हो।
'अभिभावक और बच्चा कानून' की समीक्षा की
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने 'अभिभावक और बच्चा कानून' की समीक्षा करते हुए यह सिफारिश की। समिति द्वारा मौजूदा मानसून सत्र में 'अभिभावक और गोद लेने के कानूनों की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट पेश करने की संभावना है।
कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए
सूत्रों के मुताबिक, समिति ने कहा है कि कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए। समिति का मानना है कि अभिभावक के अधिकार पर 'कल्याण सिद्धांत' को प्रधानता देने के लिए 'अभिभावक और बच्चा कानून' में संशोधन की आवश्यकता है। सूत्रों ने कहा कि समिति का यह भी विचार है कि कानून में व्यापक रूप से बच्चे के कल्याण को परिभाषित करने की आवश्यकता है।बुजुर्ग व्यक्तियों के संरक्षक की भी हो सुविधा
समिति ने सुझाव दिया है कि संशोधित कानून में बुजुर्ग व्यक्तियों के संरक्षक की सुविधा भी होनी चाहिए। ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं, जहां वरिष्ठ नागरिक उस स्तर तक पहुंच सकता है, जहां स्वास्थ्य संबंधी चिंता बढ़ जाती है। ऐसे में उन्हें स्वास्थ्य और अन्य देखभाल के लिए संरक्षक की आवश्यकता हो सकती है।