'जेलों में बढ़ती भीड़ और न्याय में देरी बना चिंता का विषय', कैदियों को लेकर संसदीय समिति ने की कई सिफारिशें
देशभर के जेलों में बढ़ती भीड़ को लेकर संसदीय समिति (Parliamentary Standing Committee) ने चिंता जताई है। संसदीय समिति का मानना है कि जेलों में भीड़ भाड़ और न्याय में देरी होना एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। उनका मानना है कि बढ़ती भीड़ की वजह से न्याय मिलने में देरी हो रही है। समिति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गौर करने की सिफारिश की है।
By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 21 Sep 2023 06:51 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। देशभर के जेलों में बढ़ती भीड़ को लेकर संसदीय समिति (Parliamentary Standing Committee) ने चिंता जताई है। संसदीय समिति का मानना है कि जेलों में भीड़ भाड़ और न्याय में देरी होना एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। उनका मानना है कि बढ़ती भीड़ की वजह से न्याय मिलने में देरी हो रही है।
समिति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया जिक्र
भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता में गठित गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तर्ज पर गर्भवती महिलाओं (कैदियों) पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि जेल में प्रसव से पहले और प्रसव के बाद महिला कैदियों और उनके बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त सुविधाएं होनी चाहिए।
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संसदीय समिति का मानना है,
भीड़भाड़ और न्याय में देरी का मुद्दा एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जिससे कैदियों और आपराधिक न्याय प्रणाली दोनों के लिए कई परिणाम सामने आ रहे हैं। समिति की सिफारिश है कि भीड़ भाड़ वाली जेलों से कैदियों को अन्य जेलों में भेजा जा सकता है।
महिला कैदियों को लेकर समिति ने क्या कहा?
संसदीय समिति ने सिफारिश की कि जेल में पैदा हुए बच्चों को 12 साल की उम्र तक उनकी मां के साथ रहने की अनुमति मिलनी चाहिए। समिति ने कहा कि जेलों में खाना आश्रय, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा और शारीरिक विकास से संबंधित बच्चों की सही देखभाल पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा इन बच्चों के लिए खेल और मनोरंजन की सुविधाएं भी उपलब्ध हो।