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भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री साबिर अली बोले, वीर अब्‍दुल हमीद की तरह होना चा‍हिए देशप्रेम का जज्‍बा

शहीद अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित धामूपुर गांव में हुआ था। वह मात्र 20 साल की उम्र में भारतीय सेना का हिस्सा बन गए थे। सन 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद की तैनाती पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में थी। हमीद को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 02 Jul 2023 12:18 AM (IST)
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वीर अब्‍दुल हमीद की तरह होना चा‍हिए देशप्रेम का जज्‍बा : साबिर अली
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। राष्ट्रीय राजधानी स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद जी के जन्‍मदिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री साबिर अली ने अपने संबोधन में कहा कि हमें परमवीर चक्र विजेता अब्‍दुल हमीद जी से देश प्रेम के जज्‍बे को सीखना चाहिए। उन्‍होंने अपनी अंतिम सांस तक देश के लिए लड़ाई लड़ी और कुर्बान हो गए।

उन्‍होंने आगे कहा,

हमारे देश का इतिहास वीरता और शौर्य की कहानियों से भरा पड़ा है। जहां आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान और धैर्य के बलबूते ब्रिटिश ताकत को झुकाया था, वहीं आजादी के बाद देश के दुश्मनों को हमारी सेना के जवानों ने भी हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है। जब भी हमारे देश के ऊपर खतरा मंडराया हिंदुस्तान के सपूतों ने अपनी आखिरी सांस तक देश की रक्षा की है, ऐसे ही एक वीर सपूत थे शहीद अब्दुल हमीद।

कौन थे शहीद अब्दुल हमीद?

उनका जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित धामूपुर गांव में हुआ था। वह मात्र 20 साल की उम्र में भारतीय सेना का हिस्सा बन गए थे। सन 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद की तैनाती पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में थी।

इस लड़ाई में पाकिस्तान ने अमेरिकन पैटन टैंक को युद्ध के मैदान में उतारा, जो अपराजेय माने जाते थे, लेकिन जाबांज वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जान की परवाह किए बिना पाकिस्तान के उन टैंकों मिट्टी में मिला दिया था। उन्होंने एक के बाद एक कुल 7 टैंकों को ध्वस्त कर डाला और अपनी आखिरी सांस तक देश के लिए पूरे जज़्बे के साथ लड़े और शहीद हो गए।

वीर अब्दुल हमीद के पराक्रम, शौर्य और बलिदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था। 

उन्होंने कहा कि वीर अब्‍दुल हमीद की तरह ही मानवता और देश के लिए कुर्बानी का जज्बा हम सबके अंदर होना चाहिए। आज हम ऐसे दिन बात करने आए हैं जो कुर्बानी के दिन हैं। मैं भले ही सियासी जमात का व्‍यक्ति हूं, लेकिन मेरा मानना है कि बात स्‍पष्‍टता और सत्‍यता के साथ होनी चाहिए। इस मंच से मैं कहना चाहूंगा कि इंसान को अपनी बुरे जज्‍बातों का कुर्बानी करनी चाहिए, क्‍योंकि इंसान की जहनियत ही हमारे समाज और देश की दशा और दिशा तय करती है।

कहा जाता है कि यदि 7 अच्‍छे लोगों में एक बुरा व्‍यक्ति शामिल हो जाए तो वह भी अच्‍छा हो जाता है। इसलिए ऐसे कार्यक्रम देश में होते रहेंगे तो समाज में एक नया सकारात्‍मक बदलाव आएगा। साथ ही हमें मानव जीवन की बेहतरी के लिए कुर्बानी की शुरुआत खुद से करनी होगी, जिससे हम उन कमियों को दूर कर अपने किरदार को भी बुलंद कर सकें।

उन्होंने कहा कि मैं भले ही सियासी जमात का व्यक्ति हूं, लेकिन मेरा मानना है कि बात स्पष्टता और सत्यता के साथ होनी चाहिए। इस मंच से मैं कहना चाहूंगा कि इंसान को अपनी बुरे जज्बातों और ख्‍यालातों की कुर्बानी करनी चाहिए। इसी से हम और हमारा समाज तरक्‍की के राह पर आगे बढ़ सकेगा। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में देश विकास के रास्‍ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं सीमा और आंतरिक सुरक्षा पर भी पूरी चौकसी है। आज यदि भारत की ओर कोई आंख उठाकर देखने की हिम्‍मत करता है तो उसकी उसी भाषा में जवाब भी दिया जाता है।

इस दौरान मंच पर सम्मानित अतिथि शहीद वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम जी, विशिष्ट अतिथि पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दिल्ली प्रभारी भाजपा श्याम जाजू जी और थल सेना में मेजर दानिश जी समेत तमाम लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संयोजन नसीर इदरीसी जी व शहजाद अली जिला उपाध्‍यक्ष मयूर विहार अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा भाजपा द्वारा किया गया।