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PEC Chandigarh Convocation: तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए- राष्ट्रपति मुर्मु

PEC Chandigarh Convocation राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु रविवार को पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के 52वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि पीईसी ने देश को कई दिग्गज प्रदान किए हैं।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 09 Oct 2022 03:54 PM (IST)
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PEC Chandigarh Convocation: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (फोटो- ट्विटर)
चंडीगढ़, आइएएनएस। PEC Chandigarh Convocation: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को कहा कि देश की प्रगति को और गति देने के लिए तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। चंडीगढ़ में पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (पीईसी) के शताब्दी वर्ष समारोह और 52वें दीक्षांत समारोह के समापन समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पीईसी के वैमानिकी इंजीनियरिंग विभाग की पूर्व छात्रा कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं, जिन्होंने विज्ञान के लिए आत्म-बलिदान का प्रेरक इतिहास रचा। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पीईसी में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की कल्पना चावला पीठ की स्थापना की गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पीईसी ने देश को प्रौद्योगिकी, उद्योग, सिविल सेवाओं, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में कई दिग्गज प्रदान किए हैं, जिनमें इसरो के पूर्व अध्यक्ष और भारत में प्रायोगिक द्रव गतिकी अनुसंधान के जनक प्रो सतीश धवन,  प्रख्यात शिक्षाविद् और आईआईटी दिल्ली के संस्थापक-निदेशक प्रो. आर.एन. डोगरा और मिसाइल प्रौद्योगिकी और सामरिक प्रणालियों के विशेषज्ञ डॉ सतीश कुमार शामिल हैं।

मातृभूमि के प्रति कर्तव्यों को कभी न भूलें

स्नातक छात्रों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वे असीमित अवसरों और संभावनाओं की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अवसरों को सफलता और संभावनाओं को निश्चितता में बदलने में सक्षम हैं। उन्होंने उन्हें सलाह दी कि वे मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों को कभी न भूलें, चाहे वे अपने जीवन में कुछ भी बनना चाहें।

मानवता की सेवा में करें ज्ञान का उपयोग

राष्ट्रपति मुर्मु ने छात्र-छात्राओं से कहा कि वे कल के भारत के निर्माता हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस प्रतिष्ठित संस्था में अर्जित ज्ञान का उपयोग मानवता की सेवा में भी करेंगे। उन्होंने उनसे महात्मा गांधी के 'सर्वोदय' के संदेश को अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं में रखने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपिता के मूल्यों को व्यवहार में लाना प्रत्येक नागरिक, विशेषकर युवाओं का नैतिक कर्तव्य है। पीईसी के दीक्षांत समारोह से ठीक पहले उन्होंने चंडीगढ़ सचिवालय के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया।

तकनीकी शिक्षा का अग्रदूत है पीईसी

राष्ट्रपति ने कहा कि 1921 में लाहौर में स्थापित, पीईसी अनुसंधान के लिए एक अग्रणी संस्थान के रूप में उभरा है और वैश्विक तकनीकी परिवर्तन में योगदान दिया है। यह देश का एक प्रमुख संस्थान होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा का अग्रदूत भी है। 

'उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना जारी रखेगा पीईसी'

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में कहा गया है कि एक अच्छा शिक्षण संस्थान वह है जिसमें प्रत्येक छात्र का स्वागत और देखभाल की जाती है और जहां अच्छे बुनियादी ढांचे और उपयुक्त संसाधनों के साथ एक प्रेरक वातावरण मौजूद हो। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पीईसी में ये सभी गुण हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कालेज उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना जारी रखेगा।

एक दिन पहले, राष्ट्रपति मुर्मू ने भारतीय वायु सेना की 90 वीं वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में सुखना झील के ऊपर एक शानदार फ्लाई-पास्ट और हवाई प्रदर्शन देखा। जुलाई में पदभार ग्रहण करने के बाद से राष्ट्रपति की यह पहली चंडीगढ़ यात्रा थी।

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