'लोगों को स्वच्छ हवा और साफ पानी पाने का अधिकार', SC ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती बरतते हुए कहा कि सभी लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने साफ पानी पीने और बीमारियों से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के थूथुकुडी में तांबा गलाने वाले संयंत्र को बंद करने के अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ उद्योग द्वारा आदेशों को बार-बार उल्लंघन की प्रकृति को गंभीर बताया।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती बरतते हुए कहा कि सभी लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने, साफ पानी पीने और बीमारियों से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के थूथुकुडी में तांबा गलाने वाले संयंत्र को बंद करने के अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ उद्योग द्वारा आदेशों को बार-बार उल्लंघन की प्रकृति को गंभीर बताया।
कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, की पीठ ने बुधवार को तमिलनाडु के थूथुकुडी में तांबा गलाने वाले संयंत्र को बंद करने के खिलाफ वेदांता समूह की याचिका को खारिज कर दी थी। मालूम हो कि प्रदूषण कारणों से यह संयंत्र मई, 2018 से बंद है।
लोगों को साफ पानी पीने के अधिकारः कोर्ट
तमिलनाडु के थूथुकुडी में वेदांत समूह की कंपनी स्टरलाइट कॉपर को बंद करने पर अपने आदेश में पीठ ने कहा कि उद्योग को बंद करना पहली पसंद का मामला नहीं है, बल्कि इकाई द्वारा बार-बार उल्लंघन की प्रकृति और गंभीर है। पीठ ने कहा कि यह एक निर्विवाद और मौलिक सत्य है कि सभी व्यक्तियों को स्वच्छ हवा में सांस लेने, साफ पानी पीने, रोग और बीमारी से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है।लंबे समय तक बना रहता है प्रदूषण का दूरगामी प्रभाव
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वह इस तथ्य से अवगत है कि इकाई राष्ट्र की उत्पादक संपत्तियों में योगदान दे रही है और क्षेत्र में रोजगार और राजस्व प्रदान कर रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव दूरगामी होता है और यह अक्सर न केवल गंभीर होता है बल्कि लंबे समय तक बना रहता है।