Move to Jagran APP

आंध्रप्रदेश में बढ़ी मिट्टियों से बनी मूर्तियों की मांग, दिलचस्प है ईकोफ्रेंडली मूर्ति बनाने वाली पद्मावती की कहानी

आंध्रप्रदेश में पद्मावती नाम की महिला पिछले 20 सालों से भगवान की मूर्ति बना रही हैं। उन्होंने बताया था कि उनके पिता ने उन्हें सबसे पहली बार मूर्ति बनाना सिखाया था। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उनका जोर ईकोफ्रेंडली मूर्तियों पर रहता है। उन्होंने बताया गणपति की मूर्ति बनाने में लगभग दस दिन लगते हैं। साथ ही इन मूर्तियों की बिक्री 8 हजार तक हो जाती है।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sun, 21 Jul 2024 11:42 AM (IST)
Hero Image
भगवान गणेश की मूर्ति बनाने की महिला ने बताई प्रक्रिया (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में किसी पूजा या पर्व को दौरान लोग देवताओं की मूर्तियों की पूजा करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं। धर्म में मूर्ति पूजा को बहुत महत्व दिया जाता है। बता दें कि देवी-देवताओं की ये मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस या सीमेंट का उपयोग करके बनाई जाती हैं। आज हम आपको ऐसी महिला की कहानी बताते हैं, जो पिछले 20 सालों से ईकोफ्रेंडली बना रही है।

दूसरी तरफ दिन-ब दिन हमारा पर्यावरण दूषित होता जा रहा है, ऐसे में लोग अब लोग देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए अधिक पर्यावरण-अनुकूल तरीकों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, जिससे हमारे पर्यावण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जाती हैं मूर्तियां

गणेश चतुर्थी आने में बस दो महीने बचे हैं, ऐसे में भगवान गणेश की मूर्तियों की बिक्री बढ़ जाएगी।आम तौर पर, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्तियों को गणेश चतुर्थी के बाद पानी में विसर्जित किया जाता है, जो जल निकायों को नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में कई लोग गणेश चतुर्थी के दौरान पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का उपयोग कर रहे हैं।

इस महिला ने कैसे सीखा मूर्ति बनाना

पर्यावरण की खातिर लोगों को मिट्टी और मिट्टी से बनी मूर्तियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस बीच आज हम आपको मिट्टी से मूर्तियां बनाने वाली ऐसी ही एक महिला पद्मावती की कहानी बताते हैं। वो पिछले 20 सालों से आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम शहर के बलागा मेट्टू में अयप्पा स्वामी मंदिर के पास मिट्टी की मूर्तियां बना रही हैं।

पद्मावती से जब पूछा गया, उन्होंने ये सब कहां से सीखा तो उन्होंने कहा, मैंने मिट्टी की मूर्तियां बनाना अपने पिता से सीखा है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले दुर्गा देवी, सरस्वती देवी, या दशहरा और दिवाली जैसे किसी अन्य देवी-देवताओं के त्योहारों के लिए गणपति की मूर्तियां बनाने के लिए कहा गया था। अब, वह इन मूर्तियों को बेहतरीन तरीके के साथ बना सकती हैं।

8 हजार तक हो जाती मूर्ति की बिक्री

उन्होंने मूर्तियां बनाने की प्रक्रिया भी बताई। पद्मावती ने बताया कि मिट्टी के गणपति बनाने से पहले लकड़ी से एक ढांचा बनाया जाता है, फिर गणपति के आकार में घास बांधी जाती है और मूर्ति का आकार बनाने के लिए उस पर मिट्टी ली जाती है। इसे आकर्षक बनाने के लिए इसमें रंग मिलाए जाते हैं और इसे मुकुट, धोती आभूषण आदि से सजाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि एक गणपति की मूर्ति बनाने में लगभग दस दिन लगते हैं। उन्होंने साथ ही इसकी बिक्री को लेकर भी खुलासा किया, उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन के दौरान, ये मूर्तियां आमतौर पर 5,000 रुपये से 8,000 रुपये के बीच बेची जाती हैं।

यह भी पढ़ें: Guru Purnima 2024 Upay: आषाढ़ पूर्णिमा पर जरूर आजमाएं हल्दी के ये उपाय, दांपत्य जीवन की समस्या होगी दूर