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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका, CAA और NPR की दी गई चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें नागरिकता संशोधन कानून(CAA)के साथ नेशनल पापुलेशन रजिस्टर(NPR) तैयार करने को भी चुनौती दी गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 13 Jan 2020 10:39 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका, CAA और NPR की दी गई चुनौती
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गैर सरकारी संगठन माइनॉरिटी फ्रंट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने को चुनौती दी है। सीएए कानून अधिसूचित और प्रभावी होने के बाद पहली याचिका दाखिल की गई है। गत 10 जनवरी को सीएए कानून अधिसूचित होकर प्रभावी हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में 60 से अधिक याचिकाएं दायर

इस याचिका के अलावा भी सुप्रीम कोर्ट में 60 से अधिक याचिकाएं हैं जिनमें नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी गई है और कोर्ट उनपर नोटिस भी जारी कर चुका है। उन याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होनी है। सोमवार को दाखिल की गई इस याचिका में कहा गया है कि सीएए धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है। इसके अलावा याचिका में एनपीआर शुरू करने की 31 जुलाई 2019 की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई है और उसे रद करने की मांग की गई है।

एनपीआर एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक होनी है। फिर नेशनल पापुलेशन रजिस्टर तैयार किया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि यह रजिस्टर नागरिकता रूल 2003 के प्रावधानों के तहत तैयार किया जाएगा। यही रूल एनआरसी तैयार करने और जिनका नाम एनआरसी में हो उन्हें राष्ट्रीय पहचानपत्र जारी करने की भी बात करता है। कहा गया है कि नियम के मुताबिक, एनपीआर के जरिये एकत्रित आंकड़े स्थानीय रजिस्ट्रार जांचेगा और अगर उसमें किसी व्यक्ति के बारे में दी गई जानकारी संदेहजनक पाई जाती है तो पापुलेशन रजिस्ट्रर में एक मार्क कर दिया जाता है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिए जाने के बाद तय होगा कि उस व्यक्ति को एनआरसी में शामिल किया जाए या नहीं।

याचिका में कहा गया है कि इससे साफ होता है कि एनपीआर न सिर्फ एनआरसी तैयार करने का पहला कदम है, बल्कि एनआरसी की पूर्व शर्त है। एनपीआर संदेहास्पद लोगों की पहचान करने की प्रक्रिया है। कहा गया है कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सरकार ने एनआरसी न लागू करने का नीतिगत फैसला ले लिया है तो फिर एनपीआर तैयार करना सिर्फ समय और पैसे की बर्बादी होगी। मीडिया रिपोर्ट में प्रधानमंत्री के भाषण का भी जिक्र है।

22 जनवरी को होगी सभी याचिकाओं पर सुनवाई 

राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद ने नागरिकता कानून को 12 दिसंबर को मंजूरी दी थी। सीएए के विरोध में दायिर की गई याचिकाओं को लेकर जस्‍टिस बीआर गवई और जस्‍टिस सूर्य कांत वाली बेंच की अध्‍यक्षता चीफ जस्‍टिस एस.ए. बोबडे करेंगे। इस बेंच में करीब 60 याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई का फैसला लिया गया है। इसमें इंडियन यूनियन मुस्‍लिम लीग और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की भी याचिका है।

सरकार की याचिका पर भी सुनवाई 22 को 

सुप्रीम कोर्ट ने देश के कई उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को उच्‍चतम न्‍यायालय में स्थानांतरित करने की सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि वह 22 जनवरी को सीएए से संबंधी सभी याचिकाएं और इन सभी याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका को 22 जनवरी को सुनेगा। दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून का देश के कई राज्‍यों में विरोध हो रहा है। अलग-अलग राज्‍यों के हाई कोर्ट में भी कई याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर की गई हैं।

'देश मुश्किल हालात से गुजर रहा है' 

पिछले दिनों सीएए को लेकर दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्‍टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने कहा था कि 'देश अभी मुश्‍किल हालात से गुजर रहा है जब यहां शांति लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।’सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CAA के खिलाफ जो भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उनपर सुनवाई जारी हिंसा के पूरी तरह से रुकने के बाद ही की जाएगी।