पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू,देश के 18 राज्यों में होगा परीक्षण
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में डेंगू की वैक्सीन विकसित करने के लिए पहली बार तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है। पैनेसिया बायोटेक ने भारत की स्वदेशी टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन डेंगीआल को बनाया है। इस परीक्षण में पहले प्रतिभागी को आज पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआइएमएस) रोहतक में टीका लगाया गया।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में डेंगू की वैक्सीन विकसित करने के लिए पहली बार तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है। पैनेसिया बायोटेक ने भारत की स्वदेशी टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन 'डेंगीआल' को बनाया है।
इस परीक्षण में पहले प्रतिभागी को आज पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआइएमएस) रोहतक में टीका लगाया गया।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि आइसीएमआर के सहयोग से पैनेसिया बायोटेक भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 स्थानों पर चरण-3 का क्लीनिकल परीक्षण करेगा जिसमें 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे।
नागरिकों को इस बीमारी से बचाने में मिलेगी मदद
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा-'भारत के पहले स्वदेशी डेंगू टीके के लिए चरण-तीन के नैदानिक परीक्षण की शुरुआत डेंगू के खिलाफ हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। यह नागरिकों को इस बीमारी से बचाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और टीका अनुसंधान और विकास में भारत की क्षमताओं को रेखांकित करता है।'उन्होंने कहा कि आइसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक के बीच इस सहयोग के माध्यम से हम न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठा रहे हैं बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के अपने दृष्टिकोण को भी सुगम कर रहे हैं। वर्तमान में, भारत में डेंगू के लिए कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त वैक्सीन नहीं है। सभी चार सीरोटाइप के लिए एक प्रभावी वैक्सीन का विकास जरूरी है।
कई क्षेत्रों में संक्रमण फैला सकते डेंगू वायरस
भारत में डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप कई क्षेत्रों में संक्रमण फैला सकते हैं। टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (टीवी003/टीवी005) को मूल रूप से नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ (एनआइएच), अमेरिका द्वारा विकसित किया गया था। इसने विश्व में प्रीक्लीनिकल और क्लीनिकल परीक्षणों में आशाजनक परिणाम हासिल किए हैं। पैनेसिया बायोटेक स्ट्रेन प्राप्त करने वाली तीन भारतीय कंपनियों में से एक है, जो विकास के सबसे उन्नत चरण में है।कंपनी ने पूर्ण विकसित टीका फार्मूलेशन विकसित करने के लिए इन स्ट्रेन पर बड़े पैमाने पर काम किया है और इस काम के लिए एक पेटेंट प्रक्रिया भी रखी है। भारतीय टीका फार्मूलेशन के चरण-1 और 2 के क्लीनिकल परीक्षण 2018-19 में पूरे हुए थे और इसके आशाजनक परिणाम मिले। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पिछले दो दशकों में डेंगू के वैश्विक मामलों में लगातार वृद्धि हुई है। 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू अपने पैर पसार चुका है।