Photo Gallery of PM Modi and his Mother: पीएम मोदी ने बताया जब भी फोन पर होती है मां से बात, हर बार वह देती हैं यह सीख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मां हीराबा मोदी को ईमानदारी स्वाभिमान और गरीब कल्याण का प्रेरणा स्रोत बताया है। अपनी मां की 100वीं जन्मतिथि पर भावुक ब्लाग में प्रधानमंत्री ने उनके व्यक्तित्व को सरल लेकिन असाधारण करार दिया है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 19 Jun 2022 02:56 AM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को अपनी मां के 100वें जन्मदिन के मौके उनको समर्पित एक ब्लाग लिखा। इसमें पीएम मोदी ने अपनी मां के बलिदानों और उनके जीवन के अनछुए पहलुओं को साझा किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- मां केवल एक शब्द नहीं है। मेरी मां उतनी ही असाधारण है जैसे हर मां होती है। पीएम मोदी कहते हैं कि जब भी वह फोन पर अपनी मां से बात करते हैं मां यही कहती हैं कि देख भाई, कभी कोई गलत काम मत करना...
मां के मन में कोई नाराजगी नहीं पीएम मोदी कहते हैं कि दिल्ली आने के बाद मां से मिलना जुलना काफी कम हो गया है। यदा-कदा बस कुछ पलों के लिए मां से मिलना होता है। लेकिन मां के मन में इसे लेकर कोई नाराजगी मैंने आज तक महसूस नहीं किया। मां का स्नेह मेरे लिए वैसा ही है। वह अक्सर पूछती हैं- दिल्ली में अच्छा लगता है? मन लगता है?
जब भी फोन पर होती है बात तो... प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मां से जब भी फोन पर बात होती है तो यही कहती हैं कि देख भाई, कभी कोई गलत काम मत करना, बुरा काम मत करना, हमेशा गरीब के लिए काम करना। वह कहती हैं कि मेरी चिंता मत किया करो, तुम पर बड़ी जिम्मेदारी है। परिस्थितियां कैसी भी रही हों, गरीबी से जूझते हुए मेरे माता-पिता ने ना कभी ईमानदारी का रास्ता छोड़ा ना ही अपने स्वाभिमान से समझौता किया।
सार्वजनिक कार्यक्रम में केवल दो बार रहीं साथ मोदी ने बताया कि उनके जीवन में अब तक केवल दो बार उनकी मां किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में उनके साथ रही हैं। पहली बार जब वह एकता यात्रा के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर लौटे थे तो अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में मां ने मंच पर आकर उन्हें तिलक लगाया था। दूसरी बार मां सार्वजनिक तौर पर पीएम मोदी के साथ तब मौजूद थीं, जब उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। कभी रिश्वत नहीं लेनापीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि जब पार्टी ने साल 2001 में उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चुना तब उनकी मां ने कहा था कि मुझे सरकार में तुम्हारा कामकाज तो समझ नहीं आता लेकिन मैं केवल यही चाहती हूं कि तुम कभी रिश्वत नहीं लेना। मां से मिली इस सीख ने एक बेदाग और निर्मल व्यक्तित्व को गढ़ने का काम किया। मैं तो निमित्त मात्र... पीएम मोदी बताते हैं कि एकबार उनकी दिली इच्छा हुई कि वह अपनी सबसे बड़ी शिक्षिका अपनी मां समेत अपने सभी शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करें... लेकिन उनकी मां ने ऐसा करने से उन्हें रोक दिया। बकौल पीएम मोदी उनकी माता जी ने उनसे कहा था, बेटा मैं एक सामान्य व्यक्ति हूं। मैं तो निमित्त मात्र हूं कि मेरी कोख से तुम्हारा जन्म हुआ है। बेटा तुम्हें मैंने नहीं खुद ईश्वर ने गढ़ा है। अभाव में भी नहीं खोया धैर्य प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि अक्षर ज्ञान के बिना भी कोई सचमुच में शिक्षित कैसे बनता है, ये मैंने हमेशा अपनी मां में देखा है। मां के सोचने का नजरिया, उनकी दूर दृष्टि, मुझको आश्चर्यचकित कर देती है। मेरे माता-पिता की विशेषता रही कि अभाव में भी उन्होंने घर में कभी तनाव को हावी नहीं होने दिया। मां को सफाई बहुत पसंदप्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि मां को सफाई बहुत पसंद थी। मां को घर सजाने का बहुत शौक था। घर साफ और सुंदर दिखे, इसके लिए वह दिन भर लगी रहती थीं। यही नहीं जब वडनगर में मेरे घर के पास कोई नाली साफ करने आता था, तो मां उसे चाय पिलाए बिना नहीं जाने देती थीं। मां को दूसरों की खुशियों में खुशी मिलती है। वह बहुत बड़े दिल वाली हैं। अब्बास की भी करती थीं देखभाल प्रधानमंत्री मोदी एक अनोखा वाकया बताते हैं। उन्होंने बताया कि एकबार उनके पिता अपने करीबी दोस्त के असामयिक निधन के बाद उनके बेटे अब्बास को घर लेकर आए थे। अब्बास एक तरह से हमारे घर में ही रहकर पढ़ा। हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं। ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं। त्योहारों के समय पड़ोस के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर भोजन करते थे। जब घर छोड़ने का लिया फैसला प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि जीवन में एक ऐसा वक्त भी आया जब कम आयु में मैंने अपने माता पिता से घर छोड़ने की इच्छा के बारे में बताया। इस पर मेरे पिताजी बहुत दुखी हुए। इस बार भी मां आगे आईं और मुझे समझा और आशीर्वाद के साथ विदा किया। पिता जी भी मेरे फैसले से सहमत हुए और आशीर्वाद दिया। दूसरों पर अपनी इच्छा नहीं थोपना पीएम मोदी ने कहा कि दूसरों की इच्छा का सम्मान और दूसरों पर अपनी इच्छा नहीं थोपने की भावना भी मैंने मां में बचपन से देखा है। मेरी मां इस बात का हमेशा ख्याल रखती थीं कि वह मेरे फैसलों के बीच में कभी दीवार ना बनें। मेरी मां ने मुझे हमेशा ही प्रोत्साहित किया। वह बचपन से मुझमें अलग प्रवृत्ति को पनपते देख रहीं थीं। धार्मिक कार्यों के प्रति भी दृढ़ प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व को आकार देने वाली उनकी मां हीराबा मोदी के जीवन में भारतीय सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अगाध श्रद्धा का भाव है। एक ओर निगम से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव में उनकी मां मतदान कर एक नागरिक का धर्म निभाती रही हैं, तो दूसरी ओर नित्य अपने धार्मिक कार्यों के प्रति भी दृढ़ रही हैं। मोदी का कहना है कि उनकी मां की रोजमर्रा की गतिविधियों में गरीबों की मदद करने से लेकर जरूरतमंदों की सेवा और दूसरों की पसंद का सम्मान सहज रूप में शामिल था। यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने अपनी मां के व्यक्तित्व को सरल, लेकिन असाधारण बताया है।मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है, जीवन की वो भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया है।
मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं, उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। मैं अपनी खुशी और सौभाग्य साझा कर रहा हूं। https://t.co/4YHk1a59RD
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2022