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लाल सागर में समुद्री डकैती के साथ ड्रोन हमलों की भी समस्या, जयशंकर बोले- दुश्मनों के लिए हमारे लड़ाकू जहाज तैनात

Red Sea News जयशंकर ने कहा कि लाल सागर क्षेत्र में समुद्री डकैती के साथ-साथ मर्चेंट नेवी जहाजों पर ड्रोन हमलों की भी समस्या है। अगर हमारे पड़ोस में बुरी चीजें हो रही हैं और हम कहते हैं कि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है तो हमें जिम्मेदार देश नहीं माना जाएगा। जब आप परेशानी में होंगे तो पड़ोस भी यही कहेगा।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Tue, 30 Jan 2024 04:00 PM (IST)
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जयशंकर ने कहा कि लाल सागर में भारतीय नौसेना के लड़ाकू जहाज तैनात है। (File Photo)
पीटीआई, मुंबई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने व्यापारी नौसेना के जहाजों पर हमलों से निपटने के लिए लाल सागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना द्वारा युद्धपोतों की तैनाती पर कहा कि भारत की अधिक क्षमता, उसका अपना हित और प्रतिष्ठा आज इस बात की गारंटी देती है कि वह वास्तव में कठिन परिस्थितियों में मदद करता है।

लाल सागर में भारतीय नौसेना के 10 जहाज तैनात

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) मुंबई में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में अपने 10 जहाज तैनात किए हैं। भारत की अधिक क्षमता, हमारा अपना हित और हमारी प्रतिष्ठा आज इस बात की गारंटी देती है कि हम वास्तव में कठिन परिस्थितियों में मदद करें।

मर्चेंट नेवी जहाजों पर ड्रोन हमलों की भी समस्या

जयशंकर ने कहा कि लाल सागर क्षेत्र में समुद्री डकैती के साथ-साथ मर्चेंट नेवी जहाजों पर ड्रोन हमलों की भी समस्या है। अगर हमारे पड़ोस में बुरी चीजें हो रही हैं और हम कहते हैं कि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है तो हमें जिम्मेदार देश नहीं माना जाएगा। जब आप परेशानी में होंगे तो पड़ोस भी यही कहेगा।

कोविड में भारत ने की कई देशों की मदद

जयशंकर ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत बहुत शक्तिशाली हुआ है और लाल सागर क्षेत्र में नौसैनिक तैनाती इसका प्रमाण है। उन्होंने तुर्किये में आए भूकंप पर भारत की प्रतिक्रिया और कोविड-19 के दौरान टीके उपलब्ध कराने सहित विभिन्न अन्य देशों को दी गई सहायता का भी उल्लेख किया। हमने वास्तव में कोविड-19 महामारी के दौरान हिंद महासागर के कई देशों में सैन्य डॉक्टरों को भी भेजा था।

हमारी प्राथमिकता सुरक्षा में योगदान करना

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को हमलों के मामले में अमेरिका और ब्रिटेन की तरह "सक्रियतापूर्वक कार्रवाई" करनी चाहिए, जयशंकर ने यमन में हूती विद्रोहियों पर इन दोनों देशों द्वारा शुरू किए गए जवाबी हमलों का संदर्भ देते हुए कहा कि कुछ देशों ने यही विकल्प चुना है। फिलहाल हमारी प्राथमिकता सुरक्षा में योगदान करना है। आखिरकार हम एक स्वतंत्र देश हैं।

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