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MQ-9B Drone: LAC पर निगरानी क्षमता में होगा इजाफा, इन हवाईअड्डों पर प्रीडेटर ड्रोन तैनात करने की योजना

भारतीय सेना और वायु सेना लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के सरसावा-गोरखपुर में हवाई अड्डों पर संयुक्त रूप से एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन तैनात करने की योजना बना रही है। अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदे जा रहे हैं। इनमें से नौसेना की ओर से 15 ड्रोन समुद्री क्षेत्र की निगरानी के लिए तैनात किए जाएंगे।

By Agency Edited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 05 May 2024 10:00 PM (IST)
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यूपी के सरसावा और गोरखपुर में प्रीडेटर ड्रोन तैनात करने की योजना (फाइल फोटो)
एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय सेना और वायु सेना लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के सरसावा और गोरखपुर में हवाई अड्डों पर संयुक्त रूप से एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन तैनात करने की योजना बना रही है।

ड्रोन सौदा, जिसकी कीमत लगभग चार अरब डालर होने की उम्मीद है, त्रि-सेवा स्तर पर किया जा रहा है और भारतीय नौसेना अमेरिकी पक्ष के साथ इसके लिए बातचीत का नेतृत्व कर रही है। रक्षा अधिकारियों ने कहा कि एमक्यू-9बी ड्रोन को उड़ान भरने और उतरने के लिए लंबे रनवे की आवश्यकता होती है, जो भारतीय वायु सेना के पास उपलब्ध है। यही कारण है कि सरसावा और गोरखपुर में एयरबेस पर सेना के ड्रोन को वायुसेना के साथ तैनात करने की योजना बनाई गई है।

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कितने ड्रोन की हो रही खरीदारी?

अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदे जा रहे हैं। इनमें से नौसेना की ओर से 15 ड्रोन समुद्री क्षेत्र की निगरानी के लिए तैनात किए जाएंगे। वायुसेना और सेना के पास आठ-आठ ड्रोन होंगे।

MQ-9B ड्रोन की खासियत

40,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर 36 घंटे से अधिक उड़ान भरने के साथ ही यह हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों और बमों से लैस हो सकता है। यह लड़ाकू आकार का ड्रोन निगरानी और टोही मिशनों में माहिर है। प्रीडेटर ड्रोन से विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र और चीन और पाकिस्तान के साथ अपनी भूमि सीमाओं पर मानव रहित निगरानी और टोही गश्त की भारत की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

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