कोरोना मरीजों के उपचार में कारगर नहीं प्लाज्मा थेरेपी, आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस जारी
आईसीएमआर और एम्स ने मिलकर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए एक नई गाइडलाइंस जारी की है। आईसीएमआर ने कोरोना मरीजों के इलाज में अब तक इस्तेमाल हो रही प्लाज्मा थेरेपी को चिकित्सीय प्रोटोकोल से बाहर कर दिया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 18 May 2021 09:33 AM (IST)
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज अब प्लाज्मा थेरेपी (Convalescent Plasma Therapy (CPT)) से नहीं किया जाएगा। इसकी वजह है कि इसको आईसीएमआर ने कोरोना के इलाज के तरीके से बाहर कर दिया है। इसको लेकर आईसीएमआर ने नई गाइडलाइन भी जारी कर दी हैं। आपको बता दें कि बीते वर्ष जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तब से ही प्लाज्मा थेरेपी इसके इलाज में बेहद कारगर रूप से सामने आई थी। इसका उपयोग न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में डॉक्टरों ने मरीजों पर किया था। प्लाज्मा थेरेपी की बदौलत कई मरीज स्वस्थ्य भी हुए थे। लेकिन अब इसके अचानक इलाज से बाहर कर देने पर ये सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि ऐसा फैसला क्यों किया गया।
इस सवाल के जवाब में आईसीएमआर का कहना है कि भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर में अब प्लाज्मा थेरेपी उतनी कारगर नहीं रह गई है जितनी पहले थी। इसका असर अब कब होता दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि इसको कोविड-19 मरीज के इलाज के प्रोटोकोल से बाहर कर दिया गया है। यही वजह है कि आईसीएमआर और एम्स को मिलकर एक नई गाइडलाइन भी जारी करनी पड़ी है।
आपको बता दें कि भले ही ये थेरेपी अब आगे से इस्तेमाल नहीं होगी लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि सोमवार तक भी इस थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना के मरीज को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। आईसीएमआर की तरफ से कहा गया है कि नीदरलैंड और चीन में प्लाज्मा थेरेपी पर हुए शोध में यही बात सामने आई है कि ये तकनीक मरीजों को स्वस्थ्य करने में कारगर नहीं है।
आईसीएमआर का कहना है कि अप्रैल में आई दूसरी लहर के बाद से प्लाज्मा थेरेपी की मांग काफी अधिक बढ़ गई थी। नई गाइडलाइंस के मुताबिक कोरोना मरीजों को तीन श्रेणी में बांटते हुए उनका इलाज किया जाएगा। इसमें हल्के लक्षण वाले मरीज, मध्यम लक्षण वाले मरीज और गंभीर मरीज शामिल हैं। हल्के लक्षण वाले मरीजों को नई गाइडलाइन में घर में ही आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है। मध्यम मरीज जिनका आक्सीजन लेवल 90-93 के बीच है उनको कोरोना वार्ड में और ऐसे गंभीर मरीजों को जिनका आक्सीजन लेवल 90 से नीचे है उन्हें आईसीयू में भर्ती करने का दिशा-निर्देश दिया गया है।
प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना मरीज के उपचार से हटाने की एक बड़ी वजह ये भी बनी है कि कुछ जगहों पर मरीज के शरीर में आक्सीजन का लेवल 90 होने के बाद उन्हें प्लाज्मा दिया जा रहा था, जबकि इस लेवल को आक्सीजन देकर ही ठीक किया जा सकता है। आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस में कोरोना मरीज के उपचार में इस्तेमाल रेमडेसिविर को लेकर भी हिदायत दी गई है।