PRP Injection: आईवीएफ में आई नई उम्मीद, गर्भाशय के विकारों को दूर करने में सहायक
पीजीडी पीजीएस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों ने आईवीएफ की सफलता दर काफी बढ़ा दी है। इसी कड़ी में एक नया नाम पीआरपी तकनीक का जुड़ा है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 28 Dec 2019 02:50 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। महिलाओं में प्रजनन तंत्र से संबंधित समस्याओं के इलाज में पीआरपी तकनीक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। किसी भी महिला के लिए संतान सुख एक बड़ा सुख है, लेकिन कईं महिलाएं विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण इस सुख से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में असिस्टेंट रिप्रोडक्टिव तकनीक उन्हें संतान प्राप्ति में काफी सहायता करती है। पीजीडी, पीजीएस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों ने आईवीएफ की सफलता दर काफी बढ़ा दी है। इसी कड़ी में एक नया नाम पीआरपी तकनीक का जुड़ा है।
क्या है पीआरपी तकनीकहमारा रक्त चार घटकों से मिलकर बना होता है। लाल रक्त कणिकाएं, श्वेत रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा। प्लाज्मा रक्त का फ्ल्यूड या तरल भाग है। प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (पीआरपी) रक्त में से लाल रक्त कणिकाएं और श्वेत रक्त कणिकाएं निकालकर तैयार किया जाता है। पीआरपी मरीज के स्वयं के रक्त से ही तैयार किया जाता है। इसमें रक्त को विशेष तरीके से प्राप्त किया जाता है, जिसमें केवल प्लेटलेट्स और प्लाज्मा शामिल होते हैं। पीआरपी तैयार करने की प्रक्रिया के बाद एक पीले रंग का गाढ़ा द्रव प्राप्त होता है, जिसमें ग्रोथ फैक्टर्स काफी मात्रा में होते हैं। इसे गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है ताकि नई और स्वस्थ कोशिकाएं व टिश्यूज विकसित हों सकें।
विशेषताएं
पीआरपी थेरेपी से समय पूर्व मेनोपॉज को रोकने, अंडाणुओं की संख्या को बढ़ाने और बढ़ी हुई उम्र में मां बनने में सहायता मिलती है। पीआरपी का इस्तेमाल बांझपन के इलाज में भी हो रहा है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए बहुत कारगर है जिनका बार-बार गर्भपात होता है या जिनके गर्भाशय की सबसे अंदरूनी परत बहुत पतली है। पीआरपी तकनीक के इस्तेमाल से अंडाशय में अंडाणुओं की मात्रा और गर्भाशय की मोटाई बढ़ाना संभव हो सका है। पीआरपी तकनीक ने आईवीएफ की सफलता दर बढ़ा दी है, क्योंकि डॉक्टरों का मानना है कि आईवीएफ की असफलता का प्रमुख कारण भ्रूण का विकारग्रस्त होना नहीं, बल्कि गर्भाशय से संबंधित समस्याएं होती हैं। पीआरपी तकनीक गर्भाशय के विकारों को दूर करने में सहायक है।
[डॉ. सागरिका अग्रवाल, आईवीएफ एक्सपर्ट, नई दिल्ली]यह भी पढ़ें:-सर्दियों में जरूर खाएं औषधीय गुणों से भरपूर बथुआ, जानिए इसके 10 फायदेCAG की रिपोर्ट के बाद UP में पहली बार होगा अस्पतालों का थर्ड पार्टी आडिट
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