पत्नी की सहमति के बिना उसके आभूषण गिरवी रखना विश्वासघात है- केरल हाई कोर्ट
अगर पति बिना पत्नी की सहमति के उसकी ज्वेलरी गिरवी रखता है तो यह आईपीसी की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात है। ये बात केरल हाई कोर्ट ने कही है। हाई कोर्ट इस मामले में पति को राहत देने से इनकार कर दिया जिसे निचली अदालत ने पत्नी से विश्वासघात करने का दोषी करार दिया है। यह मामला याचिकाकर्ता की पत्नी की शिकायत के बाद सामने आया है।
डिजिटल डेस्क, कोच्चि। एक व्यक्ति जिसने बेईमानी से अपनी पत्नी के सोने के आभूषणों का गबन किया तथा उन्हें गिरवी रखकर अपने उपयोग के लिए इस्तेमाल किया, वह आपराधिक विश्वासघात का दोषी है। ये बात केरल उच्च न्यायालय ने कही है।
यह फैसला न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन की पीठ ने कासरगोड निवासी एक व्यक्ति द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनाया, जिसमें उसने आपराधिक विश्वासघात के अपराध में छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाए जाने के ट्रायल कोर्ट और सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
यह मामला याचिकाकर्ता की पत्नी की शिकायत के बाद सामने आया है। महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने उसकी जानकारी या सहमति के बिना एक निजी वित्तीय संस्थान में उसके 50 सोने के गहने गिरवी रख दिए थे। उसने आगे दावा किया कि गहने उसकी माँ ने उनकी शादी के दौरान उपहार में दिए थे, इस शर्त के साथ कि उन्हें बैंक लॉकर में रखा जाएगा।
ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत दंडनीय अपराध के लिए छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई। हालाँकि उन्होंने सत्र न्यायालय में अपील की, लेकिन उसने ट्रायल कोर्ट की सजा को बरकरार रखा।
इस बीच, याचिकाकर्ता की पत्नी ने धोखाधड़ी और जालसाजी सहित अन्य आरोपों से उसे बरी किए जाने को चुनौती देते हुए अपील दायर की। दोनों अपीलों पर विचार करते हुए, सत्र न्यायालय ने निर्णय को संशोधित करते हुए याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया, साथ ही आपराधिक विश्वासघात के लिए छह महीने के कारावास के अलावा, भुगतान न किए जाने पर छह महीने के कारावास की डिफॉल्ट सजा भी दी।