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भारत के पहले निजी Vikram-S राकेट ने श्रीहरिकोटा से भरी उड़ान, पीएम मोदी ने बताया 'मील का पत्थर'

भारत के पहले निजी Vikram-S राकेट का श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किया गया। पीएम मोदी ने इसकी सराहना कहते हुए कहा कि यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। विक्रम-एस राकेट को स्काईरूट एयरोस्पेस ने तैयार किया है।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 18 Nov 2022 04:36 PM (IST)
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पीएम मोदी ने राकेट विक्रम-एस के प्रक्षेपण की सराहना की
नई दिल्ली, एएनआई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट (Sriharikota spaceport) से स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) द्वारा विकसित राकेट विक्रम-एस (Rocket Vikram-S) के प्रक्षेपण की सराहना की और कहा कि यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी।

पीएम मोदी ने दी बधाई

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, 'स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित राकेट विक्रम-एस के रूप में भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण, आज श्रीहरिकोटा से रवाना हुआ! यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस उपलब्धि को सक्षम करने के लिए @isro और @INSPACEIND को बधाई।'

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से राकेट का प्रक्षेपण

भारत के पहले निजी तौर पर विकसित राकेट विक्रम-एस को शुक्रवार की सुबह श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष यान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। विक्रम सबआर्बिटल राकेट का प्रक्षेपण सुबह 11:30 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ। इसरो और IN-SPACe (इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड आथराइजेशन सेंटर) के समर्थन से हैदराबाद में स्काईरूट एयरोस्पेस स्टार्ट-अप द्वारा 'प्रारम्भ' मिशन और विक्रम-एस राकेट विकसित किए गए हैं। राकेट दो भारतीय और एक अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के पेलोड को अंतरिक्ष में ले जा रहा है।

स्काईरूट एयरोस्पेस के लिए 'मील का पत्थर'

स्काईरूट एयरोस्पेस के सीईओ और सह-संस्थापक पवन कुमार चंदाना ने भारत के पहले निजी तौर विकसित राकेट विक्रम-एस की लान्चिंग पर कहा कि यह देश और हमारी कंपनी 'स्काईरूट एयरोस्पेस' के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। हमारा अगला मिशन अगले साल आर्बिटल मिशन होगा।

विक्रम साराभाई पर रखा गया राकेट का नाम

'विक्रम-एस' का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसरो और IN-SPACe (इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर) के समर्थन से हैदराबाद में स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा 'प्रारम्भ' मिशन और विक्रम-एस राकेट विकसित किए गए हैं। राकेट दो भारतीय और एक अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के पेलोड को अंतरिक्ष में ले जा रहा है।

दो साल में तैयार हुआ विक्रम-एस

साल 2020 के अंत के आसपास शुरू होने वाले ग्राउंडवर्क के साथ, विक्रम-एस को दो साल के रिकार्ड समय के भीतर विकसित किया गया है, जो स्काईरूट एयरोस्पेस के अनुसार ठोस ईंधन वाले प्रणोदन, अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सभी कार्बन फाइबर कोर संरचना द्वारा संचालित है।

स्काईरूट एयरोस्पेस के अनुसार, विक्रम-एस कई उप-प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों सहित आर्बिटल क्लास स्पेस लान्च वाहनों की विक्रम श्रृंखला में अधिकांश तकनीकों का परीक्षण और सत्यापन करने में मदद करेगा, जिनका लान्च के प्री-लिफ्ट आफ और पोस्ट-लिफ्ट आफ चरणों में परीक्षण किया जाएगा।

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सबसे तेज है विक्रम-एस

विक्रम एस पहले कुछ समग्र अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों में से एक है, जो अपनी स्पिन स्थिरता के लिए 3 डी-मुद्रित ठोस थ्रस्टर्स से बना है। स्काईरूट एयरोस्पेस के अनुसार, 545 किलोग्राम के बाडी मास, 6 मीटर की लंबाई और 0.375 मीटर के व्यास के साथ, विक्रम-एस अंतरिक्ष के लिए सबसे तेज और सबसे सस्ती सवारी है।

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