इन देशों में पहले से लागू है CDS का पद, 20 साल बाद भारत में लागू हुई व्यवस्था
Independence Day 2019 चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की व्यवस्था पहले से कई देशों में लागू है। ये पद तीनों तरह की सेनाओं में बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sat, 17 Aug 2019 07:14 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारतीय सेनाओं को और मजबूती प्रदान करने और तालमेल बेहतर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस (73rd Independence Day) पर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने तीनों सेनाओं के ऊपर एक प्रमुख का पद बनाने की घोषणा की है, जो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) होगा। भारत में 20 साल से इस सीडीएस व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही है। हालांकि, दुनिया के तमाम देशों में ये व्यवस्था पहले से ही लागू है। आइये जानते हैं इस पद और उसकी जिम्मेदारियों के बारे।
लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण में तीनों सेनाओं की मजबूती और तालमेल पर काफी जोर दिया था। उन्होंने कहा था, 'तेजी से बदलती तकनीक और वक्त के साथ युद्ध के तरीके भी बदल रहे हैं। अब अगर कहीं भी युद्ध हुआ तो वो पहले से कहीं भयावह होगा। इससे निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमाल आवश्यक है।' इसके साथ ही उन्होंने तीनों सेनाओं, थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच बेहतर तालमाल स्थापित करने के लिए CDS सिस्टम लागू करने की घोषणा की।
पीएम ने बताई CDS की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुरक्षा विषय के जानकार लंबे समय से इस सिस्टम की मांग करते रहे हैं। उनकी मांग और सेना में बेहतर समन्वय की जरूरतों को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) की व्यवस्था की गई है। सीडीए तीनों सेनाओं के प्रभारी होंगे। इससे तीनों सेनाओं को एक नेतृत्व प्राप्त होगा। प्रधानमंत्री ने कहा ये व्यवस्था इसलिए की गई है क्योंकि आज के समय में तीनों सेनाओं का साथ चलना बेहद जरूरी है। तीनों सेनाएं एक साथ चलें तभी काम चलेगा। अगर एक सेना आगे और बाकी सेनाएं उनके एक-एक कदम पीछे चल रहीं हैं तो काम नहीं चलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुरक्षा विषय के जानकार लंबे समय से इस सिस्टम की मांग करते रहे हैं। उनकी मांग और सेना में बेहतर समन्वय की जरूरतों को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) की व्यवस्था की गई है। सीडीए तीनों सेनाओं के प्रभारी होंगे। इससे तीनों सेनाओं को एक नेतृत्व प्राप्त होगा। प्रधानमंत्री ने कहा ये व्यवस्था इसलिए की गई है क्योंकि आज के समय में तीनों सेनाओं का साथ चलना बेहद जरूरी है। तीनों सेनाएं एक साथ चलें तभी काम चलेगा। अगर एक सेना आगे और बाकी सेनाएं उनके एक-एक कदम पीछे चल रहीं हैं तो काम नहीं चलेगा।
क्या है सीडीएस
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद तीनों सेनाओं के ऊपर होता है। 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से सुरक्षा विशेषज्ञ इसकी मांग करते रहे हैं। कारगिल के बाद तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने भी तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए CDS की सिफारिश की थी। GOM ने अपनी सिफारिश में कहा था अगर कारगिल युद्ध के दौरान ऐसी कोई व्यवस्था होती और तीनों सेनाएं बेहतर तालमेल से युद्ध के मैदान में उतरतीं तो नुकसान काफी कम होता। 20 साल बाद इसे लागू गया है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद तीनों सेनाओं के ऊपर होता है। 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से सुरक्षा विशेषज्ञ इसकी मांग करते रहे हैं। कारगिल के बाद तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने भी तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए CDS की सिफारिश की थी। GOM ने अपनी सिफारिश में कहा था अगर कारगिल युद्ध के दौरान ऐसी कोई व्यवस्था होती और तीनों सेनाएं बेहतर तालमेल से युद्ध के मैदान में उतरतीं तो नुकसान काफी कम होता। 20 साल बाद इसे लागू गया है।
सेनाओं के बीच नहीं बन पाई थी सहमति
अटल बिहार वायपेयी सरकार में भी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिश पर तीनों सेनाओं के प्रमुख के तौर पर सीडीएस व्यवस्था लागू करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, उस वक्त तीनों सेनाओं के बीच इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसके बाद तीनों सेनाओं के समन्वय के लिए चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (CoSC) का पद बनाया गया, लेकिन इसके चेयरमैन के पास पर्याप्त शक्तियां नहीं थीं। लिहाजा, ये पद होते हुए भी प्रभावी नहीं था। फिलहाल वासु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन हैं। अब मोदी सरकार दो के पहले स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ये महत्वपूर्ण घोषणा की है। वायुसेना ने किया था CDS का विरोध
अटल सरकार में सीडीएस व्यवस्था लागू न हो पाने के पीछे सबसे बड़ी वजह वायुसेना थी। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एस कृष्णास्वामी ने इस पद का विरोध किया था। वहीं थल सेना सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह और नेवी प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस सिस्टम का समर्थन किया था। यहां तक की ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) की सिफारिश पर उस वक्त की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीए) ने मंजूरी प्रदान कर दी थी। पहली मोदी सरकार में ही शुरू हो गया था काम
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के लिए जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही प्रमुखता से ये मामला मोदी सरकार के एजेंडे में भी शामिल रहा है। इसकी घोषणा भले ही मोदी सरकार दो में हुई हो, लेकिन इसके प्रयास पहली मोदी सरकार में ही शुरू हो गए थे। मोदी सरकार एक में रक्षामंत्री रहे दिवंगत भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर ने भी इस दिशा में काम किया था। उन्होंने अपने मंत्रीकाल में दो साल के भीतर ये पद बनाने की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन स्वास्थ्य वजहों से वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और ये मामला थोड़ा लंबा खिंच गया।कई देशों में लागू है CDS सिस्टम
भारत ने भले ही अपनी तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए CDS सिस्टम की घोषणा अब की हो, लेकिन दुनिया के तमाम देशों में सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने और उन्हें एकरूपता देने के लिए ये व्यवस्था पहले से लागू है। अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, जापान और नॉटो देशों की सेनाओं में ये पद पहले से लागू है। इसे एकीकृत रक्षा प्रणाली का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है।कौन होगा सीडीएस?
चूंकि सीडीएस तीनों सेनाओं का प्रमुख होगा, लिहाजा उसके पास सैन्य सेवा का लंबा अनुभव और उपलब्धियां होनी चाहिए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की जिम्मेदारी थल सेना, नौसेना या वायु सेना प्रमुख को दी जा सकती है। अन्य देशों में तीनों सेना प्रमुखों में जो सबसे सीनियर और अनुभवी होता है उसे ही इस पद की जिम्मेदारी दी जाती है। सीडीएस की जिम्मेदारी देश की सेनाओं को वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप तैयार रखना और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करना होता है।यह भी पढ़ें-
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अटल बिहार वायपेयी सरकार में भी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की सिफारिश पर तीनों सेनाओं के प्रमुख के तौर पर सीडीएस व्यवस्था लागू करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, उस वक्त तीनों सेनाओं के बीच इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसके बाद तीनों सेनाओं के समन्वय के लिए चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (CoSC) का पद बनाया गया, लेकिन इसके चेयरमैन के पास पर्याप्त शक्तियां नहीं थीं। लिहाजा, ये पद होते हुए भी प्रभावी नहीं था। फिलहाल वासु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन हैं। अब मोदी सरकार दो के पहले स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ये महत्वपूर्ण घोषणा की है। वायुसेना ने किया था CDS का विरोध
अटल सरकार में सीडीएस व्यवस्था लागू न हो पाने के पीछे सबसे बड़ी वजह वायुसेना थी। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एस कृष्णास्वामी ने इस पद का विरोध किया था। वहीं थल सेना सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह और नेवी प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस सिस्टम का समर्थन किया था। यहां तक की ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) की सिफारिश पर उस वक्त की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीए) ने मंजूरी प्रदान कर दी थी। पहली मोदी सरकार में ही शुरू हो गया था काम
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के लिए जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही प्रमुखता से ये मामला मोदी सरकार के एजेंडे में भी शामिल रहा है। इसकी घोषणा भले ही मोदी सरकार दो में हुई हो, लेकिन इसके प्रयास पहली मोदी सरकार में ही शुरू हो गए थे। मोदी सरकार एक में रक्षामंत्री रहे दिवंगत भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर ने भी इस दिशा में काम किया था। उन्होंने अपने मंत्रीकाल में दो साल के भीतर ये पद बनाने की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन स्वास्थ्य वजहों से वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और ये मामला थोड़ा लंबा खिंच गया।कई देशों में लागू है CDS सिस्टम
भारत ने भले ही अपनी तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए CDS सिस्टम की घोषणा अब की हो, लेकिन दुनिया के तमाम देशों में सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने और उन्हें एकरूपता देने के लिए ये व्यवस्था पहले से लागू है। अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, जापान और नॉटो देशों की सेनाओं में ये पद पहले से लागू है। इसे एकीकृत रक्षा प्रणाली का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है।कौन होगा सीडीएस?
चूंकि सीडीएस तीनों सेनाओं का प्रमुख होगा, लिहाजा उसके पास सैन्य सेवा का लंबा अनुभव और उपलब्धियां होनी चाहिए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद की जिम्मेदारी थल सेना, नौसेना या वायु सेना प्रमुख को दी जा सकती है। अन्य देशों में तीनों सेना प्रमुखों में जो सबसे सीनियर और अनुभवी होता है उसे ही इस पद की जिम्मेदारी दी जाती है। सीडीएस की जिम्मेदारी देश की सेनाओं को वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप तैयार रखना और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार करना होता है।यह भी पढ़ें-
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