'सरल भाषा में कानून तैयार करने के हो रहे हैं गंभीर प्रयास', अंतरराष्ट्रीय लायर्स कॉन्फ्रेंस में बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर आम जनता को समझ आने वाले सरल भाषा में कानून और उसी की भाषा में न्याय पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने शनिवार को भारतीय विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय लायर्स कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन संबोधन में कहा कि जस्टिस डिलीवरी का एक और बड़ा पहलू है जिसकी चर्चा कम होती है वो है भाषा और कानून की सरलता।
प्रधानमंत्री ने की सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की उपलब्धता की सराहना
प्रधानमंत्री ने लोगों की भाषा में न्याय पर भी जोर दिया और अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की उपलब्धता की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के निर्माण में वहां की लीगल फ्रैटर्निटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है और आज जब भारत के प्रति विश्व का भरोसा बढ़ रहा है तो उसमें भी भारत की निष्पक्ष स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है।
कई देशों के प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह में मौजूद रहे कई लोग
डाटा प्रोटेक्शन लॉ में हुई सरलीकरण की पहली शुरूआत
प्रधानमंत्री ने कहा कि डाटा प्रोटेक्शन लॉ आपने देखा होगा, उसमें सरलीकरण की पहली शुरूआत की गई है, और मैं पक्का मानता हूं कि सामान्य व्यक्ति को उस परिभाषा से सुविधा रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि न्याय व्यवस्था में यह बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है और मैने चंद्रचूड़ का एक बार सार्वजनिक तौर पर अभिनंदन किया था क्योंकि उन्होंने कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट जजमेंट का ऑपरेटिव पार्ट मुकदमेदार की भाषा में उपलब्ध कराएंगे।
इतने से काम में 75 वर्ष लग गए- पीएम मोदी
साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि देखिए इतने से काम में 75 वर्ष लग गए और इसके लिए भी मुझे आना पड़ा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को स्थानीय भाषा में फैसले अनुवाद कराने की व्यवस्था के लिए धन्यवाद भी दिया। प्रधानमंत्री ने बढ़ते साइबर टैरेरिजम और मनी लांड्रिंग जैसे वैश्विक खतरों से निबटने के लिए पूरी दुनिया को मिलजुल कर काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी ताकतें हैं जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं, वो चीजें सीमा या क्षेत्राधिकार की परवाह नहीं करतीं।खतरे ग्लोबल हों तो उनसे निबटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए- पीएम
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब खतरे ग्लोबल हों तो उनसे निबटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए। साइबर टैरेरिजम हो, मनी लांड्रिंग हो, आर्टीफिशल इंटेलीजेंस के दुरुपयोग हो, ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी एक शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग अलग देशों के लीगल फ्रेमवर्क को भी एक दूसरे से जुड़ना होगा। ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना होगा। इंटनेशनल लायर्स कॉन्फ्रेंस में इस पर मंथन किया जाना चाहिए।वकीलों की भूमिका बढ़ी है- डीवाई चंद्रचूड़
इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लगातार बढ़ते वैश्वीकरण के युग में असंख्य वैश्विक कानूनी चुनौतियों से निपटने के लिए वकीलों की भूमिका बढ़ी है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वैकल्पिक न्याय को प्रभावी बनाने एडीआर को बढ़ावा देने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए किये गए प्रयासों का ब्योरा दिया। इस दिशा में लाए गए नये कानूनों का भी जिक्र किया।