पीएम मोदी की दी चप्पलों को ताले में रखती है रत्नीबाई, घूमती है नंगे पांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो चप्पल रत्नीबाई को पहनाई, वह अब रत्नीबाई के लिए सहेज कर रखने वाली धरोहर बन गई है।
रायपुर [अनिल मिश्रा]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो चप्पल रत्नीबाई को पहनाई, वह अब रत्नीबाई के लिए सहेज कर रखने वाली धरोहर बन गई है। बुजुर्ग रत्नीबाई घर से खेत और खेत से जंगल तक नंगे पांव ही घूमती हैं, चप्पल को तो उन्होंने अपने झोपड़ेनुमा घर के इकलौते कमरे में धान के बोरे में सहेजकर रख दिया है।
इतना ही नहीं, कमरे का ताला बंद ...और चाबी रत्नीबाई के गले में। प्रधानमंत्री के हाथों मिली चप्पल को रत्नीबाई बेहद खास मौकों पर ही निकालती हैं, निहारती हैं, अपने तरीके से पोंछती हैं और इसके बाद उसे यूं पहनती हैं मानों पांव में चप्पल नहीं, किसी बादशाह ने सिर पर ताज धारण किया हो।प्रधानमंत्री 14 अप्रैल को बीजापुर, छत्तीसगढ़ के जांगला कस्बे में पहुंचे थे। वहां एक जनसभा को संबोधित करने के साथ ही उन्हें कई योजनाओं का शुभारंभ भी करना था। ऐसी ही एक योजना के तहत तेंदूपत्ता संग्राहक रत्नीबाई को चरण पादुका देने के लिए मंच पर बुलाया गया।
जब रत्नीबाई मंच पर आईं तब प्रधानमंत्री अपनी जगह से उठे और अचानक झुककर अपने हाथों से रत्नीबाई के पावों में चप्पल पहना दी। यह बेहद खास और भावुक पल था। मोदी के ऐसा करते ही पूरा देश रत्नीबाई को पहचान गया।
अब रत्नीबाई अपने गांव ही नहीं, आसपास के पूरे इलाके में खास शख्सियत बन चुकी हैं। उनके लिए वह पल जीवन का सबसे खास पल बन चुका है। प्रधानमंत्री की भेंट की हुई चप्पल की देख-रेख में उन्होंने कोई कसर नहीं उठा रखी है।
घर में सबसे कीमती चीज चप्पल
ब्लॉक मुख्यालय भैरमगढ़ से सटे बंडपाल गांव में रत्नीबाई का भरा पूरा परिवार है, लेकिन संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं। मिट्टी के घर के बाहर महुआ सुखाती रत्नीबाई ने गले में सूत की डोरी से बंधी कमरे की चाबी दिखाई। रत्नी के पुत्र बारीचंद समरथ ने बताया कि मां दिन भर नंगे पांव ही रहती हैं। किसी खास आयोजन में जाना हो तो ही चप्पल पहनती हैं। घर में चोरी होने लायक कुछ नहीं है लेकिन चप्पल जरूर बेशकीमती हो गई है। मां उसकी दिन रात रखवाली करती हैं।- इसे मोदी ने दिया है, बाहर क्यों निकालूं भला। हर जगह पहनने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह बहुत खास चीज है, खास मौके के लिए ही है। - रत्नीबाई (स्थानीय गोंडी बोली में रखी अपनी बात)।