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'मोदी है तो मुमकिन है' यूक्रेन की लड़ाई हो या कतर में रिहाई, PM के पांच बड़े कूटनीतिक फैसले

मोदी सरकार न केवल देश के अंदर 140 करोड़ भारतीयों के प्रति बल्कि देश के बाहर 110 देशों में अपना जीवन गुजार रहे 2.5 करोड़ भारतीयों की सुरक्षा की परवाह करती है। कतर से नौसैनिकों की रिहाई का मामला हो या यूक्रेन से सुरक्षित भारतीय छात्रों को वापस देश लाने का। मोदी सरकार की विदेश नीति को दुनिया सलाम कर रही है।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 13 Feb 2024 01:02 PM (IST)
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पीएम मोदी की कूटनीति की वजह से बच गई हजरों भारतीयों की जान।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। PM Modi Diplomatic Victory। 'पीएम नरेंद्र मोदी सिर्फ प्रधान सेवक ही नहीं, प्रधान रक्षक भी हैं', सोमवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यूं ही नहीं कही। 2014 से लेकर अब तक  मोदी सरकार की विदेश नीति की पूरी दुनिया ने सराहना की है।

चाहे रूस- यूक्रेन युद्ध की वजह से फंसे 22,000 से अधिक भारतीय छात्रों को स्वेदश वापस लाना हो या कतर में सजा पा चुके 8 भारतीय नौसैनिकों की रिहाई की बात हो। कूटनीति में हर बार मोदी सरकार विजेता के रूप में उभर कर सामने आई।

साल 2014 से लेकर अब तक पांच ऐसी बड़ी घटनाएं घटी जब कूटनीति के मामले में मोदी सरकार महारथी बनकर उभरी।

फांसी को रिहाई में बदलने के लिए तैयार हुआ कतर

भारतीय नागरिकों को 25 मार्च, 2023 को दायर आरोपों का सामना करना पड़ा और कतर के कानून के अनुसार कानूनी कार्यवाही से गुजरना पड़ा। नवंबर में, डहरा ग्लोबल कंपनी और कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नाविकों को मौत की सजा दी गई थी।

विदेश मंत्रालय ने कतर सरकार से बातचीत की और भारत की अपील के बाद सभी नौसैनिकों की मौत की सजा को तीन साल से लेकर 25 साल तक की जेल की सजा में तब्दील कर दी गई।  भारत की पैरवी और पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद दोहा की एक अदालत ने सभी नौसैनिकों की रिहाई पर मुहर लगा दी।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात की थी। उस समय पीएम मोदी ने कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर चर्चा की थी।

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पीएम मोदी ने ली थी यूक्रेन से हजारों छात्रों के रेस्क्यू की जिम्मेदारी

देश से बड़ी तादाद में मेडिकल के छात्र पढ़ाई करने यूक्रेन जाते हैं। 24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी तो यूक्रेन में मौजूद हजारों भारतीयों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा। मोदी सरकार तुरंत एक्शन मोड में आ गई। युद्ध के बीच सरकार ने छात्रों को स्वदेश वापस लाने के लिए रूस से लेकर अमेरिका के प्रमुख से बातचीत की।

 कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था,"उन्होंने (पीएम मोदी) रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन किया और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से भी बात की। उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की। उनके प्रयासों के कारण लड़ाई को 4-5 घंटे के लिए रोक दिया गया, जिससे यूक्रेन से 22,000 से अधिक छात्रों को सुरक्षित निकाला जा सका।"

कनाडा को भारत ने दिखा दी हैसियत

खालिस्तान को पनाह देने वाला कनाडा की ट्रूडो सरकार ने कुछ दिनों पहले भारत पर बेबुनियाद आरोप गढ़ दिए। खालिस्तानी समर्थक कट्टरपंथी हरदीप सिंह निज्जर की मौत को लेकर कनाडा की मौत के लिए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया।  बिना सबूत पेश किए भारत के खिलाफ ऐसे आरोप लगा देना कनाडा को महंगा पड़ा।  

सबसे पहले भारत ने कनाडा के एक सीनियर डिप्लोमैट को भारत छोड़ना का आदेश दिया। फिर भारत ने कनाडाई  नागरिकों के लिए भारत ने इलेक्ट्रॉनिक वीजा सर्विस पर रोक लगा दी। भारत के इस कड़े रवैया से ट्रूडो के पसीने छूट गए, जिसके बाद कनाडा ने भारत के साथ संबंध को बेहतर बनाने की कवायद शुरू कर दी। इस मामले के बाद कनाडा दुनिया के सामने अलग-थलग पड़ गया।

पाकिस्तान की निकाल दी हेकड़ी

आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मोदी सरकार ने कभी पीछे नहीं हटी। चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो या बालाकोट स्ट्राइक, हर बार मोदी सरकार ने पाकिस्तान के नापाक हरकतों का मुंह तोड़ जवाब दिया है। मोदी सरकार की पाकिस्तान को लेकर पॉलिसी बिलकुल स्पष्ट है। जब तक पड़ोसी देश आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाता, तब तक बातचीत को कोई गुंजाइश नहीं है।

फलस्तीन को लेकर भारत के रुख का साथ खड़ी है दुनिया

7 अक्टूबर 2022 की रात को हमास के आतंकियों ने इजरायल पर रॉकेट दागे। इस हमले में 1200 से ज्यादा इजरायल में मौजूद लोगों की मौत हो गई। आतंकवाद के इस कृत्य पर मोदी सरकार ने भी निंदा की। वहीं, भारत ने हमेशा फलस्तीनियों के लिए संप्रभु और स्वतंत्र देश की स्थापना की बात कही है। दुनिया के ज्यादातर देशों की सोच भारत के तरह ही रही है।

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