नहीं पता था शिंजो आबे से ये आखिरी मुलाकात होगी, पीएम मोदी ने भावुक होकर किया याद
पीएम नरेन्द्र मोदी ने जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे के साथ बिताए कई पलों को याद किया है। पीएम मोदी ने लिखा है कि उन्होंने अपने प्यारे दोस्त को खो दिया है। साथ ही दुनिया ने एक बेहतरीन नेता और इंसान को खोया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 05:08 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पीएम नरेन्द्र मोदी ने जापान के पूर्व दिवंगत नेता शिंजो आबे को अपना सबसे प्यारा दोस्त बताते उनके साथ बिताए कई पलों को याद किया है। उन्होंने कहा है कि हाल ही में जब वो जापान गए थे तब शिंजो से उनकी मुलाकात हुई थी। तब वो नहीं जानते थे कि ये उनकी आखिरी मुलाकात होगी। आइए जानते हैं पीएम मोदी ने और क्या कुछ लिखा है।
मैं पहली बार श्री आबे से 2007 में मिला था। जब मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जापान गया था। पहली मुलाकात से ही हमारी दोस्ती सार्वजनिक पद और सार्वजनिक कूटनीतिक रस्मों की बेड़ियों से आगे निकल गई है।
तोजी मंदिर में पूजा, शिंकानसेन यात्रा, अहमदाबाद में साबर माटी आश्रम की यात्रा, वाराणसी में गंगा आरती, टोक्यो में चाय समारोह का अनुभव और यादों की सूची वास्तव में लंबी है।
पीएम मोदी ने उस पल को भी याद किया है जब वो माउंट फूजी की तलहटी में पहाड़ियों से घिरे यामानाशी में आबे के घर में एकमात्र नेता आगंतुक के रूप में गए थे। उन्होंने लिखा है कि 2007 से 2012 तक, जब मैं प्रधानमंत्री नहीं था तब से लेकर आज तक हमारे व्यक्तिगत संबंध हमेशा की तरह मजबूत रहे।
प्रधान मंत्री आबे हमेशा नए विचारों से भरे रहते थे। शासन, अर्थशास्त्र, संस्कृति, विदेश नीति और कई अन्य मुद्दों पर उनके विचार बहुमूल्य थे। आबे की सलाह ने गुजरात में मेरे आर्थिक विकल्पों को प्रेरित किया और उन्होंने गुजरात में एक जीवंत साझेदारी बनाने में बहुत मदद की है।
आमतौर पर द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में हम सभी विषयों में व्यापक संबंध के निर्माण का समर्थन करते हैं, लेकिन इतना ही नहीं, भारत-जापान संबंध द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सुरक्षा का केंद्र बन गए हैं। आबे के लिए, भारत-जापान संबंध हमारे दोनों देशों और दुनिया के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे। आबे असैन्य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाने में अहम थे, जो जापान के लिए सबसे कठिन विषय था। उन्होंने भारत में एक हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए सबसे उदार शर्तों की पेशकश की। भारत की आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि नए भारत के विकास को गति देने के साथ ही जापान हाथ कस कर भारत का हाथ पकडे रहा।
आबे के पास दुनिया में हो रहे जटिल और कई परिवर्तनों में गहरी समझ थी। उनकी दूरदर्शिता इस बात को लेकर भी थी कि अन्य विकल्पों के साथ राजनीति, समाज, अर्थशास्त्र और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित करेंगे। उनमें बड़े निर्णय लेने का साहस था। उन्हें दुनिया का समर्थन प्राप्त था। आबे की व्यापक एवनॉमिक्स नीति ने जापानी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया है और जापानी लोगों के सुधार और उद्यमशीलता की भावना को फिर से जगाया।
आबे ने क्वाड, आसियान के नेतृत्व वाले मंच, इंडो-पैसिफिक पहल, अफ्रीका सहित इंडो-पैसिफिक से भारत-जापान विकास सहयोग और आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन में योगदान दिया। पीएम मोदी ने हाल ही में अपनी जापान यात्रा के बारे में बताते हुए लिखा है कि, जब मैं इस साल मई में जापान गया था, तो मुझे पूर्व प्रधान मंत्री आबे से मिलने का अवसर मिला, जो हाल ही में जापान-भारत संघ के अध्यक्ष बने थे। हमेशा की तरह, श्री आबे ऊर्जावान, चमकदार और मजाकिया थे। उनके पास भारत-जापान सहयोग को और मजबूत करने का एक सुधारवादी विचार था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि विदाई के समय यह मेरी आखिरी यात्रा होगी।