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जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने खाद किल्लत पर जताई गहरी चिंता, सदस्य देशों के सहयोग को बताया जरूरी

इंडोनेशिया के बाली में शुरू हुए जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कोविड-19 की विभीषिका के दौरान अपनी 130 करोड़ की आबादी की खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के साथ दुनिया के कई देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति का विस्तार से जिक्र किया।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Tue, 15 Nov 2022 09:25 PM (IST)
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जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने विश्व के शीर्ष देशों के प्रमुखों को चेताया
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विश्व के शीर्ष 20 देशों यानी जी-20 के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के आसन्न खाद्य संकट पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि आज की खाद की कमी कल के खाद्यान्न के संकट का कारण बनेगी। उन्होंने दुनिया के प्रमुख ताकतवर देशों के संगठन को चेताते हुए कहा कि खाद और खाद्यान्न, दोनों की सप्लाई चेन को मजबूत बनाने की दिशा में पूरी ताकत से उतरना होगा। दुनिया के दो बड़े खाद और खाद्यान्न के उत्पादक देशों रूस-यूक्रेन के बीच लंबा खींचते युद्ध से गरीब देशों की मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं, पेट भरने के लाले पड़े हैं।

शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा

इंडोनेशिया के बाली में शुरू हुए जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कोविड-19 की विभीषिका के दौरान अपनी 130 करोड़ की आबादी की खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के साथ दुनिया के कई देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत में 80 करोड़ की आबादी को मार्च 2020 से अब तक खाद्यान्न की मुफ्त आपूर्ति की जा रही है।सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रो समेत अन्य देशों के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने भविष्य के खाद्यान्न संकट की ओर सबका ध्यान खींचा।

पीएम मोदी ने दी सलाह

उन्होंने विश्व स्तर पर वर्तमान में फर्टिलाइजर (खाद) की आपूर्ति के बिगड़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पूरी दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा होने वाला है। विश्व ने इसका समाधान नहीं तलाशा तो फर्टिलाइजर की आज की कमी कल के अनाज संकट का कारण बन जाएगी। मोदी ने खाद और खाद्यान्न की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी देशों के प्रमुखों को परस्पर समझौते कर आगे बढ़ने की सलाह दी।

उन्होंने कहा कि भारत अपनी खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है। मोटे अनाज (मिलेट्स) जैसे पौष्टिक व पारंपरिक खाद्यान्न को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं। इससे जहां लोगों को पेट भरने में मदद मिलेगी वहीं कुपोषण की चुनौतियों से भी निपटा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोले पीएम मोदी

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते खाद्यान्न की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के चलते खाद्यान्न की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो गई है। इससे विश्व के विभिन्न हिस्सों में खाद्य सुरक्षा का संकट पैदा हो गया है। यूक्रेन एक प्रमुख गेहूं उत्पादक देश है, जहां से निर्यात ठप हो जाने की वजह से अनाज की किल्लत हो गई है। चालू सीजन में यूक्रेन में गेहूं की पैदावार पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत कम हुई है।

अगले साल 2023 में गेहूं की कम बोआई से उत्पादन में और भी गिरावट के आसार हैं। इससे दुनिया के गरीब देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यूक्रेन में गेहूं की कम पैदावार से वैश्विक स्टाक में सुधार की कोई संभावना नहीं है, जो अपनी तलहटी पर पहुंच गया है।

इससे मूल्य और बढ़ेंगे। जी-20 देशों के सम्मेलन में यह गंभीर चर्चा का विषय रहेगा। फर्टिलाइजर की वैश्विक किल्लत, खाद्यान्न के बढ़े मूल्य और ढुलाई की कीमतों से लागत बढ़ेगी, जो महंगाई को और हवा दे सकती है। इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल को आशंका है कि फर्टिलाइजर की किल्लत से अनाज की क्वालिटी खराब हो सकती है।

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