PM मोदी ने IISC की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग 'पेटेंट' की सफलता पर जताई खुशी, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु को अपने नाम पर कुल 145 पेटेंट होने का रिकॉर्ड बनाने के लिए बधाई दी। मन की बात के 97वें संस्करण को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि IISC एक अद्भुत मिसाल पेश कर रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Sun, 29 Jan 2023 02:23 PM (IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु को अपने नाम पर कुल 145 'पेटेंट' होने का रिकॉर्ड बनाने के लिए बधाई दी।
मन की बात के 97वें संस्करण को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि IISC एक अद्भुत मिसाल पेश कर रहा है।
भारतीय विज्ञान संस्थान कर रहा मिसाल पेश
पीएम ने साल के पहले मन की बात कार्यक्रम में कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं 'मन की बात' में एक ऐसे विषय पर बात करूंगा, जिसमें आपको आनंद और गर्व की अनुभूति होगी और आपका मन कहेगा- वाह क्या आनंद! देश के सबसे पुराने विज्ञान संस्थानों में से एक, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु एक अद्भुत उदाहरण पेश कर रहा है।’'मन की बात' में मैंने पहले चर्चा की है कि इस संस्था की स्थापना के पीछे किस प्रकार भारत के दो महान व्यक्तित्व जमशेदजी टाटा और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा रही है। और हमारे लिए हर्ष और गर्व की बात यह है कि वर्ष 2022 में इस संस्थान के नाम कुल 145 पेटेंट हो चुके हैं। इसका मतलब है - हर पांच दिन में दो पेटेंट। यह रिकॉर्ड अपने आप में अद्भुत है। मैं IISc की टीम को भी इस सफलता के लिए बधाई देना चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि आज भारत की रैंकिंग पेटेंट फाइलिंग में 7वीं और ट्रेडमार्क में 5वीं है।
पेटेंट में हुई 50 फीसदी बढ़ोतरी
उन्होंने कहा, सिर्फ पेटेंट की बात करें तो पिछले पांच साल में करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भी भारत की रैंकिंग में जबरदस्त सुधार हुआ है और अब यह 40वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि 2015 में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत 80वें स्थान से भी पीछे था।
मैं आपको एक और दिलचस्प बात बताना चाहता हूं। भारत में पिछले 11 सालों में पहली बार घरेलू पेटेंट फाइलिंग की संख्या विदेशी फाइलिंग से ज्यादा देखी गई। यह भारत के बढ़ते वैज्ञानिक कौशल को भी दर्शाता है।अपने मासिक रेडियो संबोधन के दौरान, पीएम ने देश के नागरिकों से उन लोगों के जीवन और कहानियों के बारे में पढ़ने का भी आग्रह किया, जिन्हें प्रतिष्ठित 'पद्म' पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पद्म पुरस्कार विजेताओं की एक बड़ी संख्या आदिवासी समुदायों और आदिवासी समाज से जुड़े लोगों से आई है।