सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं... संसद कवर करने वाले पत्रकारों की प्रशंसा में PM मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में उन पत्रकारों को भी याद किया जिन्होंने संसद कवर कई सालों तक संसद कवर किया। पीएम मोदी ने कहादेश में ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है। सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। संसद के विशेष सत्र में पीएम मोदी ने लोकसभा से देश को संबोधित किया। पुराने संसद से पीएम मोदी का ये आखिरी भाषण भी था। पीएम मोदी ने लोकसभा में देश को संबोधित करते हुए पुराने संसद के इतिहास में घटी महत्वपूर्ण घटनओं को याद किया।
पीएम मोदी ने पत्रकारों को किया याद
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में उन पत्रकारों को भी याद किया, जिन्होंने संसद कवर कई सालों तक संसद कवर किया। पीएम मोदी ने कहा,"देश में ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है। सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए उन्होंने अपनी शक्ति खपा दी।
इस संसद के जीवंत साक्षी रहे कई पत्रकार: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आगे कहा,"आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया। एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं। उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं।"
पीएम ने कहा,"एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है।"
जब सासंदों ने लगाए ठहाके
पीएम मोदी ने आगे कहा कि पत्रकारों का सामर्थ्य था कि वह अंदर की जानकारी लोगों तक पहुंचाते थे और अंदर के अंदर की भी जानकारी लोगों तक पहुंचाते थे। गौरतलब है कि ये बात सुनकर संसद में मौजूद ज्यादातर सांसद के चेहरे पर हंसी आ गई।
पहली बार जब संसद आए पीएम मोदी...
पीएम मोदी ने संसद में पहली बार दाखिल होने वाले उस पल को याद करते हुए कहा,"जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया, तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करते हुए यहां कदम रखा था। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ था।"
पीएम मोदी ने पुराने संसद को बताया तीर्थक्षेत्र
प्रधानमंत्री ने पुराने संसद को याद करते हुए कहा,"हमारे शास्त्रों में माना गया है कि किसी एक स्थान पर अनेक बार जब एक ही लय में उच्चारण होता है तो वह तपोभूमि बन जाता है। नाद की ताकत होती है, जो स्थान को सिद्ध स्थान में परिवर्तित कर देती है।
उन्होंने आगे कहा,"मैं मानता हूं कि इस सदन में 7,500 प्रतिनिधियों की जो वाणी यहां गूंजी है, उसने इसे तीर्थक्षेत्र बना दिया है। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति आज से 50 साल बाद जब यहां देखने के लिए भी आएगा तो उसे उस गूंज की अनुभति होगी कि कभी भारत की आत्मा की आवाज यहां गूंजती थी।"
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