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पीएम मोदी ने तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों का किया उद्घाटन, बोले- मानवता के लिए नई उम्मीद बना आयुर्वेद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश में तीन नए राष्ट्रीय आयुष संस्थानों ( National AYUSH Institutes) का उद्घाटन किया जिसमें अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) गोवा राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (NIUM) गाजियाबाद और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (NIH) दिल्ली शामिल है। फोटो- एएनआइ।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sun, 11 Dec 2022 05:34 PM (IST)
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पीएम मोदी ने तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों का किया उद्घाटन। फोटो- एएनआइ।

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश में तीन नए राष्ट्रीय आयुष संस्थानों ( National AYUSH Institutes) का उद्घाटन किया, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) गोवा, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (NIUM) गाजियाबाद और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (NIH) दिल्ली शामिल है।

— ANI (@ANI) December 11, 2022

जीवन जीने का तरीका सिखाता है आयुर्वेद- पीएम

पीएम मोदी ने इस दौरान विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा, 'कुछ लोग समझते हैं कि आयुर्वेद, सिर्फ इलाज के लिए है लेकिन इसकी खूबी ये भी है कि आयुर्वेद हमें जीवन जीने का तरीका सिखाता है। उन्होंने कहा, 'आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हार्डवेयर-साफ्टवेयर की तरह ही शरीर और मन भी एक साथ स्वस्थ रहने चाहिए, उनमें समन्वय रहना चाहिए।' पीएम मोदी ने कहा कि जिस योग और आयुर्वेद को पहले उपेक्षित समझा जाता था, वही आज पूरी मानवता के लिए एक नई उम्मीद बन गया है। हमारे पास आयुर्वेद का परिणाम भी था, प्रभाव भी थे लेकिन प्रमाण के मामले में हम पीछे छूट रहे थे। इसलिए, आज हमें ‘डेटा बेस्ड एविडेंसेस’ का डॉक्युमेंटेशन करना होगा।

विश्व के कल्याण का संकल्प अमृत काल का बड़ा लक्ष्य

उन्होंने कहा कि अपने ज्ञान, विज्ञान और सांस्कृतिक अनुभव से विश्व के कल्याण का संकल्प अमृत काल का बड़ा लक्ष्य है, आयुर्वेद इसके लिए एक प्रभावी माध्यम है। भारत इस वर्ष G-20 समुह की अध्यक्षता और मेजबानी कर रहा है। हमने G20 समिट की थीम वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर रखा है।'

दुनिया ग्लोबल फेस्टिवल के तौर पर मनाती है अंतराष्ट्रीय योग दिवस

उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय योग दिवस को अब पूरी दुनिया हेल्थ और वेलनेस के ग्लोबल फेस्टिवल के तौर पर मनाती है। इसका मतलब इस योग और आयुर्वेद को पहले उपेक्षित समझा जाता था, उसको आज पूरी मानवता के लिए एक नई उम्मीद बन गया है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास आयुर्वेद का परिणाम भी था, प्रभाव भी था, लेकिन प्रमाण के मामले में हम पीछे छूट रहे थे। इसलिए, आज हमें ‘डेटा बेस्ड एविडेंसेस’ का डॉक्युमेंटेशन करना अनिवार्य है। इसके लिए हमें लंबे समय तक निरंतर काम करना होगा।

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