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'सेक्यूलर सिविल कोड समय की मांग', पीएम मोदी के लाल किले से दिए भाषण में क्या रहा खास?

PM Modi Independence Day Speech प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से देश को संबोधित किया। अपने तीसरे कार्यकाल में लाल किले से दिए गए पहले संबोधन में उन्होंने यूसीसी भ्रष्टाचार महिला सुरक्षा समेत कई अहम मुद्दों पर बात की। साथ ही सुधारों के एजेंडे पर आगे बढ़ने के सरकार के इरादे साफ किए।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 15 Aug 2024 09:00 PM (IST)
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पीएम ने एक लाख गैर-राजनीतिक युवाओं से सियासत में आने का आहृवान किया। (File Image)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी तीसरी पारी में लाल किले की प्राचीर से पहले संबोधन में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सुधारों के बड़े एजेंडे को आगे बढ़ाने के इरादे साफ करते हुए देश में सामान्य नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) लागू करने की पहल करने का एलान किया।

वर्तमान नागरिक संहिता को सांप्रदायिक और भेदभावकारी करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 'सेक्यूलर नागरिक संहिता' समय की मांग है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की दृढ़ता पर अडिग रहने की घोषणा करते हुए पीएम ने राजनीति में परिवारवाद का वर्चस्व खत्म करने का आहृवान किया।

एक देश-एक चुनाव की आवश्यकता पर दिया जोर

साथ ही उन्होंने एक लाख ऐसे युवाओं से सियासत में आने का आहृवान किया, जिनके परिवार का कोई भी सगा-संबंधी कभी राजनीति में नहीं रहा हो। बार-बार चुनाव के बोझ को खत्म करने के लिए एक देश एक चुनाव की व्यवस्था लागू किए जाने की मजबूत पैरोकारी की। आर्थिक सुधारों के अगले चरण से नहीं हिचकने का संकेत देते हुए पीएम ने देश में मेडिकल शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए अगले पांच साल में मेडिकल कालेजों में 75000 नई सीटें बढ़ाने का भी एलान किया।

लोकसभा चुनाव की कामयाबी के आत्मविश्वास से लबरेज प्रधानमंत्री मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लगातार 11वीं बार लालकिले पर तिरंगा फहराते हुए अपने डेढ़ घंटे से अधिक लंबे संबोधन में देश के तमाम मुद्दों-सवालों को छूने का प्रयास किया। इसमें सुधारों के एजेंडे पर उनका खास फोकस रहा।

मौजूदा सिविल कोड को बताया सांप्रदायिक

सुप्रीम कोर्ट से लेकर कई मंचों पर सामान्य नागरिक संहिता से जुड़ी चर्चाओं का हवाला देते हुए पीएम ने कहा कि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है और इसमें सच्चाई भी है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम जी रहे हैं, वह सचमुच में एक प्रकार का सांप्रदायिक सिविल कोड है। यह भेदभाव करने वाला सिविल कोड है।

पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब संविधान के 75 वर्ष मना रहे हैं तो संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, उसे देखते हुए हम सब का दायित्व है कि इस गंभीर विषय पर देश में व्यापक चर्चा हो। मोदी ने कहा कि जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं सकता है।

सेक्यूलर सिविल कोड को बताया समय की मांग

पीएम ने कहा कि इसलिए समय की मांग है अब देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड हो। उन्होंने कहा, 'हमने 75 साल सांप्रदायिक सिविल कोड में बिताए अब सेक्यूलर सिविल कोड की तरफ जाना होगा, तभी देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहें है, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।'

गौरतलब है कि राम मंदिर और धारा 370 के साथ सामान्य नागरिक संहिता दशकों से भाजपा के तीन कोर राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा रहा है। पहले दो कार्यकाल में दोनों प्रमुख एजेंड़े को पूरा करने के बाद तीसरे कार्यकाल के दौरान पीएम ने यूनिफार्म सिविल कोड पर फोकस बढ़ाने के इरादे जाहिर कर दिए।

युवाओं से राजनीति में आने का किया आह्वान

राजनीतिक और चुनावी सुधारों की पहल आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने परिवारवाद की राजनीति पर प्रहार करते हुए एक लाख सामान्य युवाओं से राजनीति में आने का लाल किले से सबसे महत्वपूर्ण आहृवान किया। उन्होंने कहा कि परिवारवाद व जातिवाद से लोकतंत्र को बहुत नुकसान हो रहा है। राजनीति को इन दोनों से मुक्ति दिलानी होगी।

इस लक्ष्य के लिए पीएम ने माई भारत मिशन की चर्चा करते हुए कहा कि हम जल्द देश के राजनीतिक जीवन में जन प्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं, जिनके परिवार में किसी की भी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि न रही हो। ऐसे होनहार नौजवान चाहे पंचायत, नगरपालिका, जिला परिषदों, विधानसभा या लोकसभा में आएं, इससे जातिवाद और परिवारवाद से मुक्ति मिलेगी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ी है जंग: पीएम मोदी

पीएम ने कहा कि इससे लोकतंत्र समृद्ध होगा और जरूरी नहीं कि ये सभी युवा एक दल में जाएं, उन्हें जो दल पसंद हो उसमें जाएं। देश में बार-बार चुनाव से प्रगति में गतिरोध की बात करते हुए पीएम ने कहा कि हर तीन-छह महीने में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं, ऐसे में एक देश एक चुनाव पर गठित कमिटी की रिपोर्ट तैयार है। देश को इसके लिए आगे आना होगा।

पीएम ने राजनीतिक दलों से एक देश एक चुनाव को साकार करने के लिए आगे आने की अपील की। भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए मोदी ने कहा कि हर देशवासी इस दीमक से परेशान रहा है। इसलिए मैंने व्यापक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जंग छेड़ी है, जिसकी कीमत अपनी प्रतिष्ठा से भी चुकानी पड़ती है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई अधिक तीव्र गति से जारी रहेगी, क्योंकि भ्रष्टाचारियों में भय का वातावरण पैदा करके लूटने की परंपरा को उन्हें रोकना है।

2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य

हालांकि पीएम ने इस पर चिंता जताई कि समाज में कुछ लोग भ्रष्टाचार का महिमामंडन कर भ्रष्टाचारियों की स्वीकार्यता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, जो एक चुनौती बन रही है। आर्थिक सुधारों की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने की दृढ़ता दोहराते हुए पीएम ने कहा कि 2047 विकसित भारत की प्रतीक्षा कर रहा है। देश इस पर तेज गति से चलने के लिए प्रतिबद्ध है।

पीएम ने कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था तो बनेगा ही वे खुद भी तीन गुना काम कर देश के सपने पूरा करेंगे। देश में यथास्थिति के माहौल से समझौता करने की प्रवृत्ति को खत्म करने की अपनी पहल के सकारात्मक दिशा में बढ़ने की बात करते हुए कहा कि हमें जिम्मेदारी दी गई तो हमने बड़े सुधार जमीन पर उतारे हैं।

पीएम ने कहा कि माई-बाप संस्कृति के गवर्नेंस मॉडल को बदल आज लोगों को उनके घर तक सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं। नकारात्मक सोच की प्रवृत्ति पर वार करते हुए पीएम ने कहा कि ऐसे विकृत मानसिकता की गर्त में डूबे मुट्ठीभर निराशा लोगों की सोच देश का नुकसान करती है, जिसे हमें समझना होगा।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा का उठाया मुद्दा

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कोलकाता में एक डॉक्टर की दुष्कर्म-जघन्य हत्या की घटना की ओर इशारा करते हुए इस राक्षसी प्रवृत्ति और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार पर चिंता जाहिर की। पीएम ने कहा कि बीते वर्षों में महिला नेतृत्व के विकास मॉडल पर हमने काम किया है, मगर दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं।

उन्होंने कहा कि एक समाज के नाते हमे गंभीरता से सोचना होगा कि हमारी माताओं-बहनों बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है। देश, समाज और हमारी राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो। समाज में विश्वास पैदा करने के लिए यह जरुरी है।