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'मां को पड़ा दिल का दौरा, जी-20 की ड्यूटी पर तैनात रहा बेटा', सम्मेलन के आयोजन में शामिल लोगों से PM ने की बात

जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन में शामिल लोगों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संवाद के दौरान कई रोचक किस्से सामने आए। किसी ने कहा कि उनको लेफ्ट हैंड ड्राइविंग सीखनी पड़ी तो किसी ने एप के जरिये एमिन एर्दोगन से बातचीत के बारे में बताया। सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे एक कर्मचारी ने बताया कि उनकी मां को दिल का दौरा पड़ा लेकिन फिर भी वह ड्यूटी पर रहे।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 23 Sep 2023 11:46 PM (IST)
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पीएम मोदी ने भारत मंडपम में लोगों से किया संवाद। (फोटो- एएनआई)
जेएनएन, नई दिल्ली। जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन में शामिल लोगों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संवाद के दौरान कई रोचक किस्से सामने आए। किसी ने कहा कि उनको लेफ्ट हैंड ड्राइविंग सीखनी पड़ी तो किसी ने एप के जरिये एमिन एर्दोगन से बातचीत के बारे में बताया।

सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी ने सुनाया अपना किस्सा

भारत मंडपम में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे एक कर्मचारी ने बताया कि उनकी मां को दिल का दौरा पड़ा, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता दी। इस बातचीत में लगभग 3,000 लोगों ने भाग लिया, जिन्होंने शिखर सम्मेलन की सफलता में योगदान दिया है। इसमें विशेष रूप से वे लोग शामिल थे, जिन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया है।

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इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि उनको भारत मंडपम में सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने रुंधे गले से अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि हम बहुत गर्व के साथ ड्यूटी कर रहे थे और हमें बहुत अच्छा लग रहा था। नौ सितंबर को जब मैं ड्यूटी पर था तो सूचना मिली की मेरी माताजी को अचानक हार्ट अटैक आने के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। एक मन कह रहा था कि मां के पास चले जाना चाहिए, लेकिन दूसरा मन कर रहा था कि यह कार्यक्रम देश का गौरव है और मुझे ड्यूटी पर ही रहना चाहिए।

पीएम मोदी ने सुरक्षा अधिकारी की तारीफ की

सुरेश कुमार की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने बहुत कठिन समय में मन को संतुलित रखा। यह बहुत हिला देने वाला पल होता है। आपने इतनी बातों को संभाल लिया, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। सीआरपीएफ के ड्राइवर अक्षर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि जी-20 सम्मेलन में विदेश से आए राष्ट्राध्यक्षों का वाहन चलाने और सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को दी गई थी।

ग्रेटर नोएडा में मिली थी कार चलाने की ट्रेनिंग

इसके लिए ग्रेटर नोएडा में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान बाईं तरफ स्टेयरिंग वाली गाड़ी चलाने और अन्य फीचर के बारे में बताया गया। तीन दिन उनके साथ रहकर बहुत अच्छा लगा। इस पर मोदी ने कहा कि हम सबको ध्यान में आता होगा कि जब इतना बड़ा आयोजन होता है, तो पेन ड्राइव के बारे में भी सीखना पड़ता है। प्लानिंग में कितनी बारीकियों की जरूरत पड़ती है, इसका अंदाज आपको हो सकता है।

दिल्ली पुलिस की सब इंस्पेक्टर ने ऐप से तुर्किये भाषा का किया अनुवाद

दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर पिंकी रानी ने बताया कि उनकी ड्यूटी तुर्किये की प्रथम महिला एमिन एर्दोगन के साथ लगी थी। एक बार मैं उनको दिल्ली हाट लेकर गई। वहां वह एक कपड़ा और उसके उपयोग के बारे में जानना चाहती थीं। हमारे सामने समस्या यह थी कि मुझे तुर्की भाषा नहीं आती थी और मैडम हिंदी नहीं जानती थीं। तब मैंने जी-20 एप का उपयोग कर तुर्की भाषा का अनुवाद किया और दुकानदार को समझाया कि मैडम को क्या चाहिए।

रविंदर त्यागी ने अपने घर का अनुभव पीएम से साझा किया। कहा कि वैसे तो सबको पता था कि जी-20 का सम्मेलन होना है। लेकिन, जब मैंने अपनी पत्नी को बताया कि आठ, नौ और 10 सितंबर को मैं काफी सवेरे जाऊंगा और देर रात घर आऊंगा। इस पर पत्नी ने कहा कि यह तो बहुत गर्व की बात है त्यागीजी। आप घर भी न आओ और तीन दिन वहीं रहो तो कौन सी दिक्कत है आपको? हमें तो गर्व महसूस हो रहा है कि आप जी-20 के आयोजन का हिस्सा हो।

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लोगों ने पूरी ईमानदारी से निभाई ड्यूटी

उनकी बात सुनने के बाद पीएम ने कहा, जब आपकी पत्नी को पता चलेगा कि मोदीजी आपको एक महीने के लिए ले जा रहे हैं, तब तो वह मिठाई बांटेगी। प्रवीण कुमार ने बताया उनको एनडीएमसी की उन 41 मुख्य सड़कों के सुंदरीकरण की जिम्मेदारी दी गई थी, जिनसे होकर विदेशी मेहमान गुजरने वाले थे। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी।

उन्होंने कहा, एक दिन की बात है। मैं रात को तीन बजे घर पहुंचा। सुबह लीला होटल के सामने उपराज्यपाल साहब का निरीक्षण था। जैसे ही मैंने अपने घर का दरवाजा खटखटाया, तभी मेरे फोन की घंटी बजी। मुझे बताया गया कि हमने जो गमले लगाए थे, एक गाड़ी वाले ने वहां एक्सीडेंट कर दिया और सारे गमले तोड़ दिए। मैंने अपनी बाइक अंदर भी नहीं की। मेरी माताजी कहने लगीं कि फिर आया क्या करने था? दरवाजा खटखटाने या चेहरा दिखाने? फिर कहा, बेटा इस समारोह को जी-जान लगाकर सफल करो। जाओ और अगर जरूरत पड़े तो दो-तीन दिन तक वहीं रुको।